इस अपील का लक्ष्य साढ़े सात लाख से अधिक पुरुषों, महिलाओं व बच्चों तक मदद पहुँचाना है, जिसके तहत उनके लिए भोजन, जल, पोषण, दवाओं, स्वास्थ्य देखभाल, संरक्षण, कृषि व आजीविका सहायता की व्यवस्था की जाएगी.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव के प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने न्यूयॉर्क में पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह जानकारी दी है.
मानवीय सहायता मामलों में समन्वय के लिए यूएन कार्यालय (OCHA) ने बताया कि अनेक लोग अब भी आश्रय स्थलों पर या फिर अपने रिश्तेदारों के साथ रह रहे हैं.
इससे पहले, यूएन अवर महासचिव मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने इस महीने, केन्द्रीय आपात प्रतिक्रिया कोष से ज़रूरतमन्दों तक मदद पहुँचाने के इरादे से 75 लाख डॉलर की धनराशि आवंटित की थी.
‘रीमल’, दो सप्ताह पहले बांग्लादेश के दक्षिणी हिस्से और भारत के पश्चिम बंगाल राज्य में तटीय इलाक़ों से टकराया था.
बांग्लादेश में इसने 400 वर्ग किलोमीटर के इलाक़े को अपनी चपेट में ले लिया था. इस दौरान 110 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से हवाएँ चलीं, मूसलाधार बारिश हुई, निचले इलाक़ों में जल जमाव हो गया, और सामान्य स्तर के मुक़ाबले 8 से 12 फ़ीट तक की लहरें उठीं.
स्थानीय और राष्ट्रीय स्तर पर प्रशासनिक एजेंसियों द्वारा समय रहते चेतावनी सन्देश भेजे जाने से अनेक लोगों की ज़िन्दगियाँ बचाने में मदद मिली, और विस्थापितों को बांग्लादेश सरकार द्वारा स्थापित 9,424 केन्द्रों में शरण दी गई.
तूफ़ान से नुक़सान
इसके बावजूद, तूफ़ान से बड़े पैमाने पर नुक़सान पहुँचा. इस आपदा में 16 लोगों की मौत हो गई और कुछ ही घंटों के भीतर क़रीब आठ लाख लोग विस्थापित होने के लिए मजबूर हो गए.
बांग्लादेश के आठ ज़िलों में कुल 46 लाख लोग प्रभावित हुए हैं और लगभग सवा चार लाख लोगों को स्वास्थ्य सेवाओं की ज़रूरत हैं.
‘रीमल’ के कारण क़रीब 1.74 लाख घर क्षतिग्रस्त या पूरी तरह ध्वस्त हो गए हैं, जबकि पाँच लाख से अधिक किसानों की फ़सलें बर्बाद हुई हैं.
एक हज़ार सरकारी स्कूलों को नुक़सान पहुँचने की वजह से, बच्चे वहाँ पढ़ाई कर पाने में असमर्थ हैं. तूफ़ान के कारण 20 हज़ार से अधिक जल केन्द्र और 1.34 लाख शौचालय भी क्षतिग्रस्त हुए हैं.