बैंकिंग सेक्टर में विलय का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कुछ वक्त पहले एचडीएफसी बैंक और एचडीएफसी लिमिटेड के विलय की चर्चाएं खूब सुर्खियों में रहीं और अब एक और बड़ा विलय सामने आया है। आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के शेयरहोल्डर्स ने आईडीएफसी लिमिटेड के साथ विलय को मंजूरी दे दी है। नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) की चेन्नई बेंच की एक मीटिंग में यह फैसला लिया गया और बैंक ने 17 मई को स्टॉक एक्सचेंज को यह जानकारी दी। बैंक ने बताया कि बैलट पेपर के जरिए ई-वोटिंग और रिमोट ई-वोटिंग करने वाले बैंक के शेयरहोल्डर्स में से 99.95 प्रतिशत से अधिक शेयरहोल्डर्स ने विलय योजना को मंजूरी देने के प्रस्ताव को पारित कर दिया।
नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट
सूत्रों के मुताबिक, एनसीएलटी भी जल्द ही अपनी मंजूरी की घोषणा कर सकता है। 27 दिसंबर को, आईडीएफसी लिमिटेड ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने आईडीएफसी लिमिटेड, आईडीएफसी FHCL और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के विलय के लिए नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) दे दिया है। जुलाई 2023 में आईडीएफसी FHCL, आईडीएफसी और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स ने प्रस्तावित विलय को मंजूरी दी थी।
बंधन बैंक के साथ लाइसेंस
आईडीएफसी बैंक को आरबीआई ने 2014 में बंधन बैंक के साथ लाइसेंस दिया था। 2018 में, आईडीएफसी बैंक लिमिटेड और कैपिटल फर्स्ट लिमिटेड ने आईडीएफसी फर्स्ट बैंक बनने के लिए विलय पूरा होने की घोषणा की थी। आईडीएफसी, अपनी गैर-वित्तीय होल्डिंग कंपनी के माध्यम से, आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में 39.93 प्रतिशत की हिस्सेदारी रखती है। विलय के बाद, बैंक के बुक वैल्यू प्रति शेयर में 31 मार्च 2023 को हुए ऑडिटेड फाइनेंशियल के आधार पर 4.9 प्रतिशत की वृद्धि होगी।
स्टॉक एक्सचेंज फाइलिंग
बैंक ने पहले स्टॉक एक्सचेंज को एक फाइलिंग में कहा था कि इस विलय से आईडीएफसी फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनी, आईडीएफसी लिमिटेड और आईडीएफसी फर्स्ट बैंक के कॉर्पोरेट ढांचे के सिम्प्लिफिकेशन को एक यूनिट में कंसोलिडेट करने में मदद मिलेगी और इन संस्थाओं के रेगुलेटरी कंप्लायंस को तैयार करने में मदद मिलेगी।
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