जब शेयर बाजार की बात हो, तो मशहूर निवेशक वॉरेन बफे से बेहतर सलाह देने वाला कौन हो सकता है? मौजूदा वक्त में निवेशकों के मन में अहम सवाल यह है कि क्या 400 लाख करोड़ वाला यह शेयर बाजार नई ऊंचाइयों पर जाकर उन्हें और अमीर बनाएगा या यह समय बाजार में गिरावट का है। यहां पर एक भरोसेमंद इंडिकेटर है, जो हमें यह अंदाजा देता है कि बड़ी तस्वीर कैसी होगी। इस बफे इंडिकेटर नाम से जाना जाता है, जो सभी लिस्टेड कंपनियों के मार्केट कैपिटल और देश जीडीपी का अनुपात होता है।
बफे इंडिकेटर दिखा रहा बेहतर तस्वीर
भारत का मिड-कैप और जीडीपी रेशियो 8 अप्रैल को 1.33 या 133 पर्सेंट है। यह 10 साल के औसत 0.93 से ज्यादा है। यह ट्रेंड से थोड़ा सा अलग है, लेकिन इंडिकेटर भारत में सबसे ऊंचे लेवल पर नहीं पहुंचा है। मिडकैप और जीडीपी अनुपात 2007 में 1.464 के ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था जो 2008 में गिरकर 1 से भी कम हो गया।
मार्केट कैपिटल टू जीडीपी रेशियो 2021 में फिर से 100 पर्सेंट के आंकड़े पर पहुंच गया, क्योंकि कोविड के दौरान निचले स्तर से रिकवरी के बाद बाजार नऊ ऊंचाई पर पहुंच गया। इस इंडिकेटर का निचला स्तर 2001 में 0.23 पर पहुंच गया था, जिससे 2003-2007 के दौरान बुल रन की बुनियाद तैयार हुई।
भारत का सबसे तेज, लेकिन सबसे महंगा नहीं
31 मार्च को खत्म तिमाही में अमेरिका का मार्केट कैप-जीडीपी रेशियो 1.8444 था, जबकि इससे पिछली तिमाही में यह आंकड़ा 1.676 था। जापान का यह आंकड़ा 1.703 था। दोनों देशों का रेशियो भारत के मुकाबले ज्यादा है। जर्मनी का बफे इंडिकेटर 0.6111 के लेवल के आसपास है, जबकि ब्रिटेन का इंडिकेटर करीब 1.037 था। बफे इंडिकेटर का सबसे निचला स्तर चीन में था, जो तकरीबन 0.563 था।
इसका क्या मतलब है?
मार्केट एक्सपर्ट्स का मानना है कि वेल्थ जेनरेशन के मामले में भारत का मौजूदा बुल रन बेजोड़ है और इसकी झलक कंपनियों के ऊंचे मार्केट कैपिटल में भी देखने को मिलती है। इसकी बुनियाद मजबूत है। यहां मैक्रो-इकोनॉमी की स्थिति मजबूत है और कंपनियों के नतीजे भी ठीक-ठाक रहे हैं। इसके अलावा, इंटरेस्ट रेट भी अपने उच्चतम स्तर को छू चुका है।
घरेलू ब्रोकरेज फर्म मोतीलाल ओसवाल के मुताबिक, भारतीय बाजार के पास साइज और ग्रोथ दोनों है। इंटरनेशनल ब्रोकरेज फर्म हाईटोन्ग को लॉन्ग टर्म में शेयर बाजार की मजबूती बनी रहने की उम्मीद है। साथ ही, चुनाव के बाद फर्म को बाजार की रफ्तार और मजबूत होने की उम्मीद है। हालांकि, एक्सपर्ट्स उन शेयरों के लिए सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं, जहां वैल्यूएशन ज्यादा है।