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IOC ने अपने पहले ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट के लिए फिर से टेंडर जारी किया, इंडस्ट्री की चिंताओं को दूर करने की कोशिश

IOC ने अपने पहले ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट के लिए फिर से टेंडर जारी किया, इंडस्ट्री की चिंताओं को दूर करने की कोशिश

देश की सबसे बड़ी फ्यूल रिटेल कंपनी इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन ने अपने पहले ग्रीन हाइड्रोजन प्लांट के लिए फिर से टेंडर जारी किया है। यह प्लांट पानीपत में स्थापित किया जाना है। मनीकंट्रोल को टेंडर डॉक्युमेंट के जरिये मिली जानकारी के मुताबिक, इसके लिए बिडिंग प्रोसेस 15 अप्रैल से शुरू होगी। कंपनी ने मार्च में संशोधित नया टेंडर जारी किया गया था और इसमे विवेकाधीन प्रावधानों को लेकर डिवेलपर्स द्वारा जताई गई चिंताओं को ध्यान में रखा गया था।

सरकारी ऑयल मार्केटिंग कंपनी ने फरवरी में अपने टेंडर को रद्द कर दिया था। दरअसल, रिन्यूएबल एनर्जी फर्मों के एक ग्रुप ने इस टेंडर के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाया था। इसमें आरोप लगाया गया था कि देश की सबसे बड़ी फ्यूल रिटेल कंपनी ने एक ज्वाइंट वेंचर के पक्ष में काम करने के लिए टेंडर नियमों में गैर-जरूरी बदलाव किए हैं।

संशोधित टेंडर में विवादास्पद ROFR (राइट ऑफ फर्स्ट रिफ्यूजल) प्रावधान हटा दिया गया है। द इंडिपेंडेंट ग्रीन हाइड्रोजन प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (IGHPA) ने आरोप लगाया था कि यह प्रावधान IOCL की ज्वाइंट वेंचर कंपनी GH4 इंडिया के पक्ष में बनाया गया है। IOCL ने इस सिलसिले में भेजी गई ईमेल का जवाब नहीं दिया।

ग्रीन हाइड्रोजन फर्म हाइजेनको (Hygenco) के को-फाउंडर अंशुल गुप्ता ने बताया, ‘इस बार टेंडर में ROFR प्रावधान नहीं है। हालांकि, योग्यता की शर्तें थोड़ी सी कठिन हैं।’ नए टेंडर के तहत इस प्रक्रिया में हिस्सा लेने वाले कंसोर्शियम या ज्वाइंट वेंचर में कम से कम तीन सदस्य होने चाहिए और सबकी कम से कम 26 पर्सेंट हिस्सेदारी होनी चाहिए। पिछले टेंडर में कम से कम हिस्सेदारी वाली कोई शर्त नहीं थी।

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