भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) के एक कर्मचारी के फ्रंट-रनिंग ट्रेड में शामिल होने की मार्केट रेगुलेटर सेबी (SEBI) ने पुष्टि की है। यह कर्मचारी एक बड़े क्लाइंट के लिए फ्रंट-रनिंग ट्रेड करने में शामिल था। सेबी ने अपने आदेश में कहा, “धोखाधड़ा वाली फ्रॉड एक्टिविटी को रोकने और गलत तरीके से कमाए करीब 2.44 करोड़ रुपये के इस्तेमाल को रोकने के लिए प्रथम दृष्टया निष्कर्षों के आधार पर एक अंतरिम आदेश पास किया जाता है। आरोपियों ने प्रथम दृष्टया बड़े क्लाइंट्स के लिए फ्रंट-रनिंग ट्रेड को आगे बढ़ाया है, जिससे सेबी एक्ट की कई धाराओं को उल्लंघन हुआ है।”
जिन 5 एंटिटी के खिलाफ ये अंतरिम आदेश पारित हुआ है, उसमें LIC के इनवेस्टमेंट डिपार्टमेंट में काम करने वाले योगेश गर्ग, उनकी माँ सरिता गर्ग, उनकी सास कमलेश अग्रवाल, वेद प्रकाश एचयूएफ और सरिता गर्ग एचयूएफ शामिल हैं।
इसके साथ ही SEBI ने 2.44 करोड़ रुपये से अधिक का अवैध लाभ जब्त कर लिया है। नोटिस प्राप्तकर्ताओं को अगले आदेश तक शेयर बाजार से जुड़ी किसी भी गतिविध में भाग लेने से भी बैन कर दिया गया है।
सेबी ने इस मामले जनवरी 2022 और मार्च 2022 के बीच जांच की। उसे आरोपियों की ओर से संभावित फ्रंट-रनिंग के बारे में अलर्ट मिला था। इसके बाद रेगुलेटर ने 1 जनवरी 2020 और 15 मार्च 2022 के बीच हुए ट्रेड की जांच की।
LIC ने इस मामले पर स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि यह फ्रंट रनिंग का पुराना मामला है। कंपनी के बयान में कहा गया है, “हमने किसी भी प्रकार की फ्रंट रनिंग को रोकने के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं के साथ-साथ मजबूत निगरानी सिस्टम भी बनाया हुआ है।”
LIC ने आगे कहा कि डीलिंग रूम के लेनदेन से जुड़ी जानकारियों की गोपनीयता के लिए सभी कड़े उपाय किए गए हैं। इनमें बायोमेट्रिक के जरिए प्रवेश, सीसीटीवी कवरेज, इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स पर प्रतिबंध आदि शामिल है। बीमा कंपनी ने कहा, “आरोपी अधिकारी के खिलाफ डिस्प्लिनरी कमेटी ने कड़ी कार्रवाई की है और उन्हें उनकी सेवाओं से हटा दिया गया है।”