रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि 5 अक्टूबर 2023 को लड़ाई में उस समय तेज़ी आ गई थी जब सरकार के नियंत्रण वाले होम्स में एक सैन्य अकादमी में हो रहे समारोह में लगातार की विस्फोट हुए थे. उस घटना में कम से कम 63 लोगों की मौत हुई थी, जिनमें 37 आम लोग थे.
जाँचकर्ताओं ने कहा है कि सीरिया सरकार और रूसी बलों ने, तीन सप्ताह तक की गई जवाबी कार्रवाई में, विपक्ष के नियंत्रण वाले इलाक़ों में, कम से कम 2,300 ठिकानों पर हमले किए थे, जिनमें सैकड़ों आम लोग मारे गए थे.
हमलों का शिकार हुए ठिकानों में अस्पताल, स्कूल, बाज़ार और देश के भीतर ही विस्थापित हुए लोगों के लिए बनाए गए आश्रय स्थल भी शामिल थे. इन हमलों को युद्ध अपराध के दायरे में भी समझा जा सकता है.
90 प्रतिशत आबादी ग़रीबी में
सीरिया जाँच आयोग के अध्यक्ष पाउलो पिनहीरा ने ज़ोर देकर कहा है कि सीरियाई लोग 13 वर्ष के युद्ध के बाद, अब और लड़ाई सहन नहीं कर सकते. इस लड़ाई ने, देश के भीतर ही लगभग एक करोड़ 67 लाख लोगों को, मानवीय सहायता के ज़रूरतमन्द बना दिया है.
यह संकट शुरू होने के बाद से, मानवीय सहायता के ज़रूरतमन्द लोगों की ये सबसे बड़ी संख्या है.
अध्यक्ष पाउलो पिनहीरा ने कहा, “देश की 90 प्रतिशत से अधिक आबादी अब निर्धनता में जीवन जी रही है, प्रतिबन्धों के बीच अर्थव्यवस्था गर्त में जा रही है, और बदतर होती क़ानून-व्यवस्था के कारण, सैन्य बलों और मिलिशिया द्वारा जबरन वसूली और दमनकारी गतिविधियाँ बढ़ रही हैं.”
जाँच आयोग की एक आयुक्त हैनी मैगली ने कहा है कि सीरिया ने, घनी आबादी वाले इलाक़ों में क्लस्टर विस्फोटकों का प्रयोग किया है, साथ ही विनाशकारी और क़ानून के दायरे से बाहर गतिविधियाँ जारी रखी हैं, जिनका आयोग ने आलेखन किया है.
उन्होंने कहा, “अक्टूबर 2023 के हमलों के परिणामस्वरूप, लगभग एक लाख 20 हज़ार लोगों को अपने स्थानों से बेदख़ल होना पड़ा. उनमें से बहुत से लोग उससे पहले भी विस्थापित हो चुके थे. इनमें फ़रवरी 2023 में आए भूकम्प से प्रभावित लोग भी शामिल थे.”
आयुक्त ने कहा कि ग़ाज़ा युद्ध शुरू होने के बाद से, सीरिया में सक्रिय लगभग छह विदेशी सेनाओं में भी तनाव वृद्धि देकी गई है. इनमें इसराइल, ईरान और संयुक्त राज्य अमेरिका की सेनाएँ प्रमुख हैं, जिससे इस संकट के और भी अधिक वृहद क्षेत्र में फैल जाने की आशंका प्रबल हो गई है.
इस बीच, सीरिया के पूर्वोत्तर इलाक़े में, तुर्की सेनाओं ने, कुर्दों के नेतृत्व वाली सीरियाई लोकतांत्रिक सेनाओं के विरुद्ध, अपने अभियान तेज़ कर दिए हैं.
बिजली संयंत्रों पर तुर्की के हमलों ने, लगभग 10 लाख लोगों को, कई सप्ताह तक बिजली और पानी से वंचित कर दिया था, जोकि अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का उल्लंघन है.
सीरिया जाँच आयोग की रिपोर्ट, 18 मार्च को, मानवाधिकार परिषद को सौंपी जाएगी.