Steel stocks :चीनी केंद्रीय बैंक के गवर्नर द्वारा बीमार अर्थव्यवस्था के लिए नकदी प्रदान करने के लिए बैंक रिजर्व रिक्वायरमेंट रेशियो में कटौती की योजना की घोषणा के बाद 24 जनवरी के कारोबारी सत्र के दौरान स्टील शेयरों में जोरदार तेजी देखने को मिली। कल के कारोबारी सत्र में टाटा स्टील, हिंडाल्को, एनएमडीसी और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया जैसी कंपनियों के शेयरों में 3 फीसदी से 5 फीसदी तक की तेजी देखने को मिली थी।
फिलहाल आज टाटा स्टील 11.20 बजे के आसपास 0.70 अंक यानी 0.52 फीसदी की कमजोरी के साथ 135 रुपए के आसपास दिख रहा है। वहीं, हिंडाल्को 5.80 अंक यानी 1.03 फीसदी की कमजोरी के साथ 562 रुपए के आसपास कारोबार कर रहा है। जबकि स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया 3.25 रुपए याना 2.82 फीसदी की तेजी के साथ 118 रुपए के आसपास कारोबार कर रहा है।
चीन दुनिया में मेटल्स का सबसे बड़ा उपभोक्ता है। बाजार का मानना है कि यहां ब्याज दरों में कमी से आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा। खासकर बुनियादी ढांचे और आवास में तेजी आने की उम्मीद है। अगर ऐसा होता है तो चीनी स्टील कंपनियां अंतरराष्ट्रीय बाजारों में डंप करने के बजाय अपने उत्पादन की एक बड़ी मात्रा स्थानीय स्तर पर बेच सकेंगी।
गौरतलब है कि पिछले कई महीनों से कमजोर मांग के साथ-साथ चीन द्वारा की जाने वाली डंपिंग के कारण ग्लोबल स्टील की कीमतें कम हो गई हैं। कमजोर ग्लोबल कीमतें भारतीय इस्पात निर्माताओं के निर्यात को नुकसान पहुंचाती हैं।
प्रभुदास लीलाधर के तुषार चौधरी का कहना है कि चीनी स्टील कंपनियां कमजोर मांग के बावजूद उत्पादन में कटौती नहीं कर रही हैं। चीनी कंपनियों ने घाटे के बावजूद पिछले साल की दूसरी छमाही को बाद से उत्पादन में कटौती नही की है। अगर आर्थिक सुधारों से चीन में रियल एस्टेट और इंफ्रा सेक्टर में तेजी आती हो तो चीनी स्टील निर्यात घटेगा। इससे हमारी घरेलू स्टील कंपनियों को मदद मिलेगी।
ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना के गवर्नर पैन गोंगशेंग ने कहा है कि बैंक 5 फरवरी को रिजर्व रिक्वायरमेंट रेशियो (reserve requirement ratio) में 0.5 फीसदी की कटौती करेंगे, जिससे अर्थव्यवस्था को 139 बिलियन डॉलर की नकदी मिलेगी।
प्रभुदास की रिपोर्ट के मुताबिक, चुनाव के कारण इंफ्रा सेक्टर पर होने वाले खर्च में कमी के कारण तीसरी तिमाही में स्टील कंपनियों की घरेलू मांग धीमी रहने की उम्मीद है। ऐसे में प्रतिस्पर्धी निर्यात (competitive exports) से इन कंपनियों को अच्छा फायदा हुआ है।
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