एक अनुमान के अनुसार, 569 रोहिंज्या शरणार्थियों की पिछले वर्ष दक्षिण-पूर्व एशियाई क्षेत्र में या तो मौत हो गई या फिर वे लापता हो गए.
वर्ष 2014 के बाद (730) यह पहली बार है जब मृतक या लापता रोहिंज्या शरणार्थियों की संख्या इतने ऊँचे स्तर पर पहुँची है. 2023 में 2022 के मुक़ाबले, 200 से अधिक मृतक या लापता दर्ज किए गए.
अतीत के वर्षों की तुलना में, 2023 में लगभग साढ़े चार हज़ार लोगों ने जानलेवा समुद्री यात्राएँ की हैं जोकि एक बड़ी वृद्धि को दर्शाता है.
इन हादसों में जीवित बच जाने वाले व्यक्तियों ने समुद्री यात्राओं के दौरान दुर्व्यवहार और शोषण के भयावह अनुभवों को साझा किया है, जिनमें लिंग-आधारित हिंसा भी है.
अनुमान दर्शाते हैं कि वर्ष 2023 में समुद्री यात्रा करने वाले हर आठ में से एक रोहिंज्या की या तो मौत हो गई या फिर वो लापता हो गए.
इन आँकड़ों के मद्देनज़र, अंडमान सागर और बंगाल की खाड़ी जल क्षेत्र, विश्व में सर्वाधिक जानलेवा क्षेत्रों में से एक बन गया है.
सुरक्षित व बेहतर जीवन की तलाश में इन जोखिमपूर्ण समुद्री यात्राओं को करने वाले लोगों में अधिकाँश, लगभग 66 फ़ीसदी महिलाएँ व बच्चे हैं. ये शरणार्थी मुख्यत: बांग्लादेश या फिर म्याँमार से अपनी यात्राओं की शुरुआत करते हैं.
नवम्बर 2023 में एक नाव अंडमान सागर में डूब जाने से घातक हादसा हुआ जिसमें रोहिंज्या समुदाय के 200 लोगों की मौत होने की आशंका जताई गई.
यूएन शरणार्थी एजेंसी ने आगाह किया है कि ये चिन्ताजनक आँकड़े ध्यान दिलाते हैं कि हताशा में जीवन गुज़ारने के लिए मजबूर लोगों की मदद करने में विफलता का परिणाम उनकी मौत है.
हादसों को टालने की दरकार
ज़्यादा से ज़्यादा संख्या में हताश लोग, अनेकानेक तटीय देशों की निगरानी में मौत का शिकार हो रहे हैं, चूँकि ना तो उन्हें समय पर बचाया जाता है या फिर नज़दीकी सुरक्षित स्थान पर जहाज़ या नाव से उतारा जाता है.
यूएन शरणार्थी संगठन ने सभी क्षेत्रीय तटीय प्रशासनिक एजेंसियों से भविष्य में हादसों को टालने के लिए तत्काल कार्रवाई करने का आग्रह किया है.
UNHCR ने सचेत किया है कि समुद्री मार्ग में जोखिमों का सामना करने वाले लोगों की जीवन रक्षा करना और उन्हें बचाना एक मानवतावादी अनिवार्यता है, और अन्तरराष्ट्रीय समुद्री क्षेत्र क़ानून के तहत एक दायित्व भी.
यूएन एजेंसी ने इस चुनौती से प्रभावित देशों और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर प्रयास करने की बात कही है, जिसका उद्देश्य एक व्यापक क्षेत्रीय योजना को तैयार करना है ताकि इन जोखिमपूर्ण समुद्री यात्राओं से निपटा जा सके.
संगठन ने जिनीवा में दिसम्बर 2023 में आयोजित वैश्विक शरणार्थी फ़ोरम में लिए गए सकंल्पों को रेखांकित करते हुए कहा कि रोहिंज्या शरणार्थियों के लिए समाधानों को आगे बढ़ाने, उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की आवश्यकता है, ताकि वे ख़तरनाक समुद्री यात्राएँ करने के लिए मजबूर ना हों.