उद्योग/व्यापार

चुनावों का साल है 2024, दुनिया के 400 करोड़ लोग चुनेंगे अपने-अपने देश का लीडर

चुनावों का साल है 2024, दुनिया के 400 करोड़ लोग चुनेंगे अपने-अपने देश का लीडर

यह साल चुनावों का है। इस साल 64 से अधिक देशों में इलेक्शन होने हैं जिसमें दुनिया के करीब 49 फीसदी लोग वोट करेंगे। इस साल दुनिया भर के 400 करोड़ से अधिक लोग अपने देश का नेतृत्व चुनेंगे। इसमें भारत और अमेरिका समेत ताईवान, रुस, अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, इंडोनेशिया, मैक्सिको, दक्षिण अफ्रीका और वेनेजुएला शामिल है। भारत की बात करें तो पीएम नरेंद्र मोदी की नजरें इस साल होने वाले लोकसभा चुनावों में जीत हासिल कर लगातार तीसरी बार सत्ता हासिल करने की है। हिंदी बेल्ट के तीन अहम राज्यों- मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हाल ही में हुए विधानसाभा चुनावों में बीजेपी को प्रचंड बहुमत मिला जिसने केंद्र में भी बीजेपी की संभावनाओं को और मजबूत किया है।

पड़ोसी देशों की क्या है स्थिति

अब बाकी दुनिया में इस साल के चुनावों में सबसे पहले पड़ोसी देशों की बात करें तो इस साल बांग्लादेश और पाकिस्तान में चुनाव होंगे। जनवरी में बांग्लादेश में चुनावों से पहले राजनीतिक तनाव और सार्वजनिक असंतोष बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री शेख हसीना के शासन पर मानवाधिकारों के उल्लंघन और प्रेस की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का आरोप लग रहा है। वहीं पाकिस्तान की बात करें तो राजनीतिक और आर्थिक उथल-पुथल के साथ-साथ पूर्व प्रधान मंत्री इमरान खान के निष्कासन और कारावास, पूर्व प्रधान मंत्री नवाज शरीफ की वापसी और हाई इनफ्लेशन जैसी हालिया घटनाओं के कारण चुनाव फरवरी तक के लिए टाल दिए गए हैं। इन दोनों चुनावों के नतीजे न केवल इन देशों से भारत के संबंधों पर बल्कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी असर डाल सकते हैं।

Kotak Mahindra Bank को मिला नया एमडी और सीईओ, Uday Kotak के इस्तीफे के 4 महीने बाद

अमेरिका, ब्रिटेन जैसे देशों की क्या है स्थिति

पड़ोसी देशों से इतर बाकी देशों की बात करें तो सबसे अहम नवंबर में अमेरिका में होने वाले चुनाव को माना जा रहा है, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की नजर व्हाइट हाउस में वापसी पर है। ‘द इकोनॉमिस्ट’ के अनुसार ट्रम्प अगर दूसरी बार राष्ट्रपति बनते हैं तो इसे 2024 में ‘दुनिया के लिए सबसे बड़ा खतरा’ कहा जा सकता है। ट्रंप अभी कई कानूनी चुनौतियों से जूझ रहे हैं लेकिन वह अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन के साथ दोबारा मुकाबले के लिए अपने पक्ष में लगातार मजबूत माहौल तैयार करने की कोशिश में हैं। अमेरिकी चुनाव के नतीजे का असर पूरी दुनिया पर पड़ेगा तो ऐसे में इस पर पूरी दुनिया की निगाहे हैं।

LIC को मिला ₹806 करोड़ का टैक्स नोटिस, फिर भी दो कारणों से 3% चढ़ गया शेयर

वहीं टीवी पर नए साल के अपने संबोधन में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन ने कहा कि जून में यूरोपीय संसद के चुनाव रूस-यूक्रेन संकट के बीच यूरोपीय देशों की एकजुटता को लेकर भी निर्णायक विकल्प पेश करेंगे। अब यूनाइटेड किंगडम की बात करें तो ब्रिटेन में प्रधान मंत्री ऋषि सुनक और उनकी कंजर्वेटिव पार्टी कीर स्टार्मर (Keir Starme) की लेबर पार्टी से पिछड़ रही है। ताइवान की बात करें तो यहां जो भी राष्ट्रपति बनेगा यह देखना दिलचस्प होगा कि वह चीन के रवैये से कैसे निपटता है। ताइवान पर चीन कई बार हमले की धमकी दे चुका है।

एंप्लॉयीज का ट्रांसफर कर फंसी TCS, महाराष्ट्र सरकार ने भेज दिया नोटिस

रुस और यूक्रेन में बात करें तो यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर जेलेंस्की ने अपने यहां चुनाव से इनकार कर दिया तो रूस में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के सत्ता में बने रहने की उम्मीद के साथ चुनाव होने वाले हैं। उनके दोबारा चुने जाने से यूक्रेन पर कब्जा करने की उनकी कोशिशों को बढ़ावा मिल सकता है। दक्षिण अफ्रीका में अफ्रीकन नेशनल कांग्रेस और राष्ट्रपति सिरिल रामफोसा (Cyril Ramaphosa) भ्रष्टाचार और सांठगांठ वाले पूंजीवाद को लेकर निशाने पर आ गए हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इसके चलते वर्ष 1994 के बाद पहली बार कोई विपक्षी दल सत्ता में आ सकता है।

Source link

Most Popular

To Top