संयुक्त राष्ट्र के मानवीय मामलों के समन्वय कार्यालय – OCHA ने कहा है कि ग़ाज़ा पट्टी के कई इलाक़ों में बाढ़ आ गई है, जिससे “विस्थापित फ़लस्तीनियों का संघर्ष गम्भीर हो गया है”.
ग़ाज़ा पट्टी क्षेत्र में लगभग 19 लाख लोग हिंसा के कारण विस्थापित हो गए हैं और आधे से अधिक लोगों ने दक्षिणी शहर रफ़ाह में पनाह ली है.
फ़लस्तीनी शरणार्थियों के लिए यूएन सहायता एजेंसी – UNRWA के ग़ाज़ा पट्टी के दक्षिणी इलाक़े में स्थित आश्रय स्थल क्षमता से नौ गुना अधिक भर गए हैं और बड़ी संख्या में लोग बाहर, कठोर मौसम में या अस्थाई आश्रय स्थलों में रह रहे हैं.
जल एवं स्वच्छता आपात स्थिति
ओसीएचए ने कहा है कि भीड़भाड़ वाले आश्रयों में सीवेज का प्रबन्धन नहीं किया जा सकता है. परिस्थितियाँ, बाढ़ और कचरा एकत्र हो जाने के कारण कीड़ों, मच्छरों और चूहों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है, जिससे बीमारी फैलने का ख़तरा बहुत बढ़ गया है.
इस सप्ताह के शुरू में ग़ाज़ा स्वास्थ्य अधिकारियों ने कहा था कि उन्होंने आश्रय स्थलों में संक्रामक रोगों के 3 लाख 60 हज़ार मामले दर्ज किए थे, जबकि वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है.
इस बीच बुधवार को बताया कि ग़ाज़ा की आबादी को पानी, स्वच्छता और स्वच्छता सहायता प्रदान करने वाली मानवीय सहायता एजेंसियों ने, क्षतिग्रस्त जल पाइपलाइनों को ठीक करने के लिए निर्माण सामग्री की तत्काल आवश्यकता है.
ओसीएचए ने कहा, “मरम्मत करने में असमर्थता के परिणामस्वरूप, ग़ाज़ा के दक्षिणी इलाक़े में कुछ क्षेत्रों से पानी की आपूर्ति ठप हो सकती है.”
अस्पताल में छापेमारी जारी
ओसीएचए ने बताया है कि इसराइली सैनिकों ने, ग़ाज़ा शहर के उत्तर में बीइत लाहिया में कमल अदवान अस्पताल पर, बुधवार को लगातार दूसरे दिन छापा मारा, जिस दौरान “बड़े पैमाने पर गिरफ़्तारिया किए जाने और और हिरासत में लिए गए लोगों के साथ दुर्व्यवहार किए जाने की ख़बरें मिली हैं”.
ओसीएचए के अनुसार पिछले दिन – मंगलवार को हिरासत में लिए गए पाँच डॉक्टरों और सभी महिला कर्मचारियों को हिरासत से रिहा कर दिया गया है, मगर अस्पताल के निदेशक और लगभग 70 अन्य चिकित्सा कर्मचारी “अस्पताल के बाहर किसी अज्ञात स्थान पर हिरासत में हैं”.
संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य एजेंसी – WHO ने छापेमारी पर चिन्ता व्यक्त की और अस्पताल के अन्दर मरीज़ों और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चितकिए जाने का आग्रह किया है.
महिलाएँ और लड़कियाँ असमान रूप से प्रभावित
उधर संयुक्त राष्ट्र के स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञों ने, गुरूवार को इसराइल द्वारा क़ाबिज़ फ़लस्तीनी क्षेत्र और इसराइल में महिलाओं और लड़कियों के लिए, युद्ध के “दुखद परिणामों” के बारे में आगाह किया है.
महिलाओं और लड़कियों के ख़िलाफ़ भेदभाव पर कार्य समूह के सदस्यों सहित, इन मानवाधिकार विशेषज्ञों ने, 7 अक्टूबर को हमास के आतंकी हमलों के दौरान, इसराइली महिलाओं और लड़कियों को बन्धक बनाने और हमास व अन्य सशस्त्र गुटों द्वारा की गई यौन हिंसा के बढ़ते आरोपों पर गम्भीर चिन्ता व्यक्त की है.
मानवाधिकार विशेषज्ञों ने, इन आरोपों की जाँच और अपराधियों को जवाबदेह ठहराए जाने का आहवान किया है.
विशेषज्ञों ने ग़ाज़ा पट्टी में महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य, शिक्षा और आजीविका पर, युद्ध के विनाशकारी प्रभाव की भी निन्दा की है.
7 अक्टूबर के बाद से, ग़ाज़ा में 2 हज़ार 784 महिलाएँ विधवा हो गईं और उन्हें घर की नई मुखिया बनना पड़ा है.
संयुक्त राष्ट्र द्वारा नियुक्त स्वतंत्र विशेषज्ञ, जिनीवा स्थित मानवाधिकार परिषद से अपना शासनादेश प्राप्त करते हैं. वो अपनी व्यक्तिगत हैसियत में काम करते हैं और संयुक्त राष्ट्र के कर्मचारी नहीं होते हैं, ना ही उन्हें इस काम के लिए संयुक्त राष्ट्र से कोई वेतन मिलता है.