यूएन मानवीय सहायता एजेंसियों ने शनिवार को ये चेतावनी दी है.
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष – यूनीसेफ़ की, मध्य पूर्व और उत्तरी अफ़्रीका के लिए क्षेत्रीय निदेशक एडेल ख़ोदर ने शनिवार को कहा कि मौतों और चोटों के मामले में सबसे ज़्यादा ख़ामियाज़ा, महिलाओं और बच्चों को भुगतना पड़ रहा है, क्योंकि इसराइली सैनिकों और फ़लस्तीनी चरमपंथियों के बीच, पूरे ग़ाज़ा-पट्टी क्षेत्र में लड़ाई चल रही है.
ग़ाज़ा पट्टी में कोई भी जगह सुरक्षित नहीं बची है, और युद्ध, अपर्याप्त पहुँच और अपर्याप्त आपूर्ति के कारण सहायता वितरण में बाधाएँ आ रही हैं.
एडेल ख़ोदर ने कहा कि ग़ाज़ा “बच्चों के रहने के लिए दुनिया में सबसे ख़तरनाक जगह है…जहाँ बच्चे खेलते थे और स्कूल जाते थे, उन पूरी की पूरी बस्तियों को ख़त्म कर दिया गया है, उन्हें मलबे के ढेर में बदल दिया गया है, वहाँ कोई जीवन नहीं बचा है.”
संयुक्त राष्ट्र बाल एजेंसी के कर्मचारियों की रिपोर्ट के अनुसार, 7 अक्टूबर को हिंसा का चक्र शुरू होने के बाद से अब तक, क़रीब दस लाख बच्चे जबरन विस्थापित हो चुके हैं.
एडेल ख़ोदर ने चेतावनी देते हुए कहा, “अब उन्हें पानी, भोजन या सुरक्षा के बिना छोटे, भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में, दक्षिणी इलाक़े की ओर धकेला जा रहा है, जिससे उनके लिए, साँस सम्बन्धी संक्रमण और जलजनित बीमारी का ख़तरा बढ़ रहा है.”
उन्होंने कहा, “पूरे ग़ाज़ा पट्टी क्षेत्र में जीवनरक्षक सहायता आपूर्ति पर लगाए जा रहे प्रतिबन्ध और चुनौतियाँ, बच्चों के लिए एक और मौत की सज़ा है.”
उन्होंने कहा कि पूरी मानवीय सहायता व्यवस्था लड़खड़ा रही है, और ऐसा ख़ासकर इसराइल द्वारा, उसका आक्रमण जारी रहने के दौरान लागू किए गए उपायों के कारण उत्पन्न अत्यधिक के तहत हो रहा है.
उन्होंने कहा, “बच्चों की हत्याएँ और उन्हें घायल होने को रोकने का एकमात्र तरीक़ा तत्काल एक दीर्घकालिक मानवीय युद्धविराम का लागू होना है.”
ग़ौरतलब है किसंयुक्त राज्य अमेरिका (USA) ने शुक्रवार को सुरक्षा परिषद में, ग़ाज़ा में एक मानवीय युद्धविराम की मांग करने वाले प्रस्ताव को यह कहते हुए वीटो कर दिया लड़ाई समाप्त करने से हमास को जगह मिल जाएगी, जो अमेरिकी राजदूत रॉबर्ट वुड के अनुसार, “आपदा के लिए एक नुस्ख़ा” है.
इस वीटो के कारण वो प्रस्ताव पारित नहीं हो सका.