नागपुर: महाराष्ट्र सरकार के शीतकालीन सत्र का पहला दिन हंगामेदार और कई पेचीदा सवालों से घिरा रहा। इन्हीं सवालों में से एक यह भी रहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के विधायक नवाब मलिक आखिर किस गुट के साथ हैं। बता दें कि महाराष्ट्र की सियासत में एक अहम रोल अदा करने वाली NCP इन दिनों चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार के गुटों में बंट चुकी है। नवाब मलिक नागपुर में शीतकालीन सत्र में शामिल हुए लेकिन बावजूद न ही शरद पवार और न ही अजित पवार गुट की ओर से यह साफ किया गया कि वे किस ओर है।
नवाब मलिक की स्थिति पर मिल रहा ये इशारा
नवाब मालिक आज सत्ताधारी विधायकों के साथ पीछे की कुर्सी पर जाकर बैठे थे। सूत्रों की मानें तो नवाब मलिक भले ही अपनी ओर से कुछ भी साफ-साफ न कह रहे हों, लेकिन उनका यूं सत्ताधारी विधायको के साथ बैठना यह स्पष्ट करता है कि वह अजित पवार गुट को अघोषित समर्थन दे चुके हैं। आपको बता दें कि नवाब मालिक पर कुर्ला की एक जमीन ‘गोवावाला कंपाउंड’ में मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी दाउद इब्राहिम से संबध रखने का मामला सामने आया था और इस सिलसिले में उन्हें ED ने गिरफ्तार भी किया था। एक साल से भी ज्यादा समय तक जेल में रहने के बाद कोर्ट में उन्हें मेडिकल ग्राउंड पर जमानत दी थी।
दानवे ने पूछा, क्या यह बीजेपी को मंजूर है
तत्तकालीन विपक्षी दल BJP ने महाविकास आघाडी सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे और सत्ता में शामिल NCP एवं कांग्रेस पर आतंकवादी का साथ देने का आरोप लगाया था। अब नवाब मलिक सत्ताधरी विधायकों के साथ विधानसभा में भी बैठे दिखे और अजित पवार गुट को मिले कार्यालय में भी मौजूद रहे। इस पर विधान परिषद में उद्धव ठाकरे गुट के नेता अम्बादास दानवे ने पूछा कि जिस नवाब मालिक पर बीजेपी ने आतंकवादी एवं अंडरवर्ल्ड से संबंध होने का आरोप लगाया था और इस्तीफे की भी मांग की थी, क्या उनका सत्ताधारी कुर्सी पर बैठना BJP को मंजूर है?
देवेंद्र फडणवीस ने पत्र लिखकर जताया एतराज
दानवे के सवाल का जवाब देते हुए उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि जब नवाब मलिक को ED ने गिरफ्तार किया था तब तत्कलीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने उन्हें मंत्रिमंडल से क्यों नहीं निकाला था। उन्होंने कहा, ‘पहले आप इस सवाल का जवाब देें और फिर उसके बाद हमसे जवाब मांगें। हम जवाब देंगे।’ बाद में नवाब मलिक को महायुति में लेने के सवाल पर नाराजगी जताते हुए फडवीस ने अजित पवार को एक पत्र भी लिखा। देवेंद्र फडणवीस ने पत्र में लिखा, ‘आज पूर्व मंत्री और विधानसभा के सदस्य नवाब मलिक ने विधानसभा के कामकाज में हिस्सा लिया यह उनका अधिकार है। उनके लिए हमारे मन में कोई द्वेष या शत्रुता नहीं है, यह मैं प्रारंभ में ही स्पष्ट करना चाहता हूं। लेकिन जिस तरह के आरोप उन पर लगे हुए हैं उसके मद्देनजर नवाब मलिक को महायुति में लेना उचित नहीं होगा, ऐसा हमारा मत है।’
अजित पवार ने भी नहीं दिया कोई साफ जवाब
फडणवीस ने पत्र में आगे लिखा, ‘ नवाब मलिक को फिलहाल स्वास्थ्य के आधार पर जमानत मिली हुई है। उन पर लगे हुए आरोप अभी तक सिद्ध नहीं हुए हैं इसीलिए आप उनका स्वागत कर सकते हैं। लेकिन ऐसे आरोप लगे होने की वजह से उन्हें महायुति में लेना उचित नहीं होगा यह मेरा स्पष्ट मत है। किस व्यक्ति को पार्टी में लेना है यह आपका अधिकार है, इस बात को हम कबूल करते हैं। लेकिन किसी की व्यक्ति की वजह से महायुति में बाधा ना पैदा हो, इस बारे में सभी साथी दलों को सोचना चाहिए। नवाब मलिक को देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार करने के बावजूद उन्हें मंत्री पद पर कायम रखने वाले तत्कालीन मुख्यमंत्री और महाविकास आघाडी के विचारों से हम सहमत नहीं हो सकते हैं। आप हमारी भावनाओं का ख्याल रखेंगे ऐसी उम्मीद है।’ वहीं, इस सवाल पर कि ‘नवाब मलिक किस गुट में हैं’ का सीधा जवाब न देते हुए अजित पवार ने कहा था कि कौन कहां बैठेगा यह तय करने का अधिकार विधानसभा अध्यक्ष को है। उन्होंने कहा कि नवाब मलिक किसे समर्थन देना चाहते है ये वह खुद तय करेंगे।