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5 अहम तथ्य: हेती में संकट के बीच खाद्य सहायता पहुँचाने की जद्दोजहद

5 अहम तथ्य: हेती में संकट के बीच खाद्य सहायता पहुँचाने की जद्दोजहद

संयुक्त राष्ट्र के नवीनतम आँकड़ों से मालूम होता है कि इन गिरोहों का पोर्ट-ऑ-प्रिंस के 90 प्रतिशत हिस्से पर नियंत्रण है, जिससे यह चिन्ता बढ़ गई है कि स्थानीय आबादी को मजबूर करने और प्रतिद्वंद्वी सशस्त्र समूहों पर दबाव बनाने के लिए, भूख को एक हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है.

उत्तर और दक्षिण में कृषि क्षेत्रों के प्रमुख मार्गों पर उनका नियंत्रण है, जिससे उन्होंने भोजन सहित अन्य वस्तुओं की आपूर्ति बाधित कर दी है.

यहाँ गाँवों में मुख्य रूप से खेती करने वाली आबादी है, और इसलिए माना जाता है कि यह देश, भोजन के मामले में आत्मनिर्भर हो सकता है.

तो ग़लती कहाँ हुई?

हेती में वर्तमान खाद्य सुरक्षा स्थिति के बारे में जानकारी के लिए, यहाँ पाँच कारण दिए गए हैं:

हेती में बच्चे, संयुक्त राष्ट्र और साझेदारों द्वारा स्कूल में उपलब्ध कराया गया गर्म भोजन खा रहे हैं.

क्या भुखमरी का स्तर बढ़ रहा है?

हेती की आबादी लगभग एक करोड़ 10 लाख है और देश में खाद्य सुरक्षा के नवीनतम संयुक्त राष्ट्र समर्थित विश्लेषण के अनुसार, लगभग 49 लाख 70 हज़ार लोग, यानि लगभग आधी आबादी को किसी न किसी प्रकार की खाद्य सहायता की आवश्यकता है. 

लगभग 16 लाख 40 हज़ार लोग, तीव्र खाद्य असुरक्षा की आपातस्थिति का सामना कर रहे हैं. इससे ख़ासतौर पर बच्चे प्रभावित हैं. 

वर्ष 2024 में गम्भीर कुपोषण से पीड़ित बच्चों की संख्या में 19 प्रतिशत की चिन्ताजनक वृद्धि होने का अनुमान है.

सकारात्मक पहलू देखें तो फ़रवरी 2023 में पोर्ट-ऑ-प्रिंस के एक संवेदनशील इलाक़े में भुखमरी का सामना करने वाले 19 हज़ार लोग, अब गम्भीर सूची से हट चुके हैं.

WFP, किसानों के साथ काम करके स्कूली-भोजन कार्यक्रमों के लिए, भोजन आपूर्ति कर रहा है.

लोग भूखे क्यों हैं?

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने कहा कि वर्तमान “कुपोषण संकट पूरी तरह से मानव निर्मित है.”

वर्तमान खाद्य असुरक्षा के प्रमुख चालक, सामूहिक हिंसा, बढ़ती क़ीमतें और कम कृषि उत्पादन के साथ-साथ, राजनैतिक उथल-पुथल, नागरिक अशान्ति, गहन निर्धनता और प्राकृतिक आपदाएँ हैं.

हेती में, अनुमानतः 3 लाख 62 हज़ार लोग अब आन्तरिक रूप से विस्थापित हैं और उनके लिए अपना पेट भरना मुश्किल होता जा रहा है. लगभग 17 हज़ार लोग राजधानी पोर्ट-ऑ-प्रिंस से देश के सुरक्षित हिस्सों में भाग गए हैं, जिससे उनकी आजीविका पीछे छूट गई है और क़ीमतें बढ़ने के कारण भोजन ख़रीदने की उनकी क्षमता भी कम हो गई है.

हेती पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद द्वारा निर्देशित विशेषज्ञों के पैनल के अनुसार, गिरोहों ने “प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से देश की खाद्य सुरक्षा को ख़तरे में डाल दिया है.”

गिरोहों के हमलों के कारण अपने घरों से भागने के बाद विस्थापित लोग, पोर्ट-ऑ-प्रिंस शहर के एक बॉक्सिंग परिसर में शरण लिए हुए हैं.

हिंसा बढ़ने से, आर्थिक संकट, क़ीमतों व ग़रीबी में वृद्धि हुई है. सभी आर्थिक गतिविधियों का दम घोटने के लिए गिरोहों ने, peyi lok यानि एक सोची-समझी, प्रभावी रणनीति के तहत, लोगों को धमकी देकर, व्यापक बाधाएँ बढ़ाकर, और कई बार अर्थव्यवस्था को बन्द करके, खाद्य आपूर्ति बाधित की है.

इसके अलावा उन्होंने प्रमुख परिवहन मार्गों को अवरुद्ध किया है और राजधानी एवं उत्पादक कृषि क्षेत्रों के बीच से गुज़रने का प्रयास करने वाले वाहनों पर जबरन, अनाधिकारिक कर लगाया है.

एक मामले में, देश के मुख्य चावल उत्पादक क्षेत्र और गिरोह की गतिविधि के लिए अपेक्षाकृत नए केन्द्र आर्टिबोनाइट में एक गिरोह के नेता ने, सोशल मीडिया पर कई धमकियाँ जारी कीं, जिसमें चेतावनी दी गई कि जो भी किसान अपने खेतों में लौटेंगे, उन्हें मार दिया जाएगा. 

विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) ने 2022 में बताया कि आर्टिबोनाइट में खेती में उल्लेखनीय कमी आई है.

इस बीच, संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (FAO) का कहना है कि 2023 में, कृषि उत्पादन में पाँच साल के औसत की तुलना में, मक्का में लगभग 39 प्रतिशत, चावल में 34 प्रतिशत और ज्वार में 22 प्रतिशत की गिरावट आई है.

हम इस गम्भीर स्थिति में किस तरह पहुँचे?

हालाँकि हेती में भुखमरी का वर्तमान संकट, गिरोहों द्वारा हेती की अर्थव्यवस्था व दैनिक जीवन पर नियंत्रण के कारण और भी गम्भीर हो गया है, लेकिन इसकी जड़ें दशकों के अविकास एवं राजनैतिक व आर्थिक संकटों में निहित हैं.

कुछ हद तक ग़रीबी के कारण वनों की कटाई और बाढ़, सूखा और भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदाएँ भी खाद्य असुरक्षा की वजह रही हैं.

1980 के दशक में शुरू की गईं व्यापार उदारीकरण नीतियों के तहत चावल, मक्का और केले जैसे कृषि उत्पादों पर आयात कर घटा दिए गए थे, जिससे स्थानीय रूप से उत्पादित भोजन की प्रतिस्पर्धात्मकता और व्यवहार्यता में कमी आई थी.

संयुक्त राष्ट्र क्या कर रहा है?

तनावपूर्ण व अस्थिर ज़मीनी हालात के बावजूद, हेती के अधिकारियों के साथ मिलकर ख़ासतौर पर पोर्ट-ऑ-प्रिंस में, संयुक्त राष्ट्र की मानवीय कार्रवाई जारी है.

भोजन से सम्बन्धित प्रमुख गतिविधियों में से एक है, विस्थापित लोगों को गर्म भोजन, ज़रूरतमन्द लोगों को भोजन व नक़दी और स्कूली बच्चों के लिए दोपहर को भोजन पहुँचाना.

मार्च में, WFP  ने बताया कि उन्होंने इन कार्यक्रमों के ज़रिए, राजधानी और देश भर में 4 लाख 60 हज़ार से अधिक लोगों तक पहुँच बनाई है. वहीं,  UNICEF ने स्कूली भोजन सहित अन्य राहत सहायता भी प्रदान की है.

FAO  की किसानों के साथ काम करने की एक लम्बी परम्परा रही है और वो रोपण के आगामी मौसम के लिए आवश्यक सहायता प्रदान कर रहा है. इसमें, कृषि आजीविका का समर्थन करने के लिए नक़दी का हस्तान्तरण, सब्ज़ी के बीज और उपकरण शामिल हैं.

संयुक्त राष्ट्र एजेंसी ने, हेती के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय कृषि नीतियों और विकास कार्यक्रमों के कार्यान्वयन का भी समर्थन करना जारी रखा हुआ है.

दीर्घकालिक उपाय क्या होंगे?

अन्ततः, किसी भी संकटग्रस्त अविकसित देश का लक्ष्य, दीर्घकालिक टिकाऊ विकास का रास्ता खोजना होता है, जिसमें सहनसक्षम खाद्य प्रणालियाँ स्थापित करना शामिल है. लेकिन संयुक्त राष्ट्र और अन्य संगठनों द्वारा प्रदान की जाने वाली मानवीय सहायता पर निर्भर देश के लिए, यह काम मुश्किल है.

लक्ष्य है, भोजन पर आयात निर्भरता को कम करना और मानवीय कार्रवाई को खाद्य सुरक्षा पर दीर्घकालिक कार्रवाई से जोड़ना.

उदाहरण के लिए, छात्रों को दोपहर का भोजन प्रदान करने वाले, WFP के स्थानीय उत्पादित स्कूली भोजन कार्यक्रम के लिए, खाद्य सामग्री आयात करने के बजाय, स्थानीय स्तर पर ख़रीदने का निर्णय लिया गया है. इस पहल के ज़रिए, किसानों को ऐसी फ़सलें उगाने और बेचने के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा, जिससे उनकी आजीविका में सुधार आएगा और स्थानीय अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा.

हेती में एक पेड़ पर लगा कोको फल.

UN Haiti/Daniel Dickinson

अन्तरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO), अत्यधिक पौष्टिक ब्रेडफ्रूट उगाने के लिए, देश के दक्षिण-पश्चिम हिस्से में किसानों के साथ मिलकर काम कर रहा है. लगभग 15 टन अनाज पीसकर आटा बनाया गया है, जिसमें से कुछ हिस्सा, WFP के कार्यक्रमों को आपूर्ति किया जा रहा है.

ILO ने कोको किसानों का भी समर्थन किया है, जिससे  2023 में वो, 25 टन मूल्यवान वस्तु का निर्यात करने में सफल हुए हैं.

दोनों कार्यक्रमों से किसानों की आय में वृद्धि व खाद्य सुरक्षा में सुधार होने की उम्मीद है और ILO के देश प्रमुख, फैब्रिस लेक्लर्क के अनुसार, इससे “ग्रामीण पलायन की रोकथाम” में मदद मिलेगी.

हालाँकि, अधिकाँश लोग सहमत हैं कि शान्ति और स्थिर, सुरक्षित समाज के बिना, हेती की बाहरी सहायता पर निर्भरता कम होने व लोगों को पर्याप्त भोजन मुहैया कराने में सक्षम होने की सम्भावना बहुत कम है. 

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