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2024 में, विनाशकारी स्तर पर खाद्य असुरक्षा में वृद्धि, ग़ाज़ा व सूडान सर्वाधिक प्रभावित

खाद्य संकटों पर वैश्विक रिपोर्ट बताती है कि क़रीब 20 लाख से अधिक लोग खाद्य असुरक्षा के बदतरीन स्तर, चरण 5, से जूझ रहे हैं.

खाद्य असुरक्षा का यह स्तर भोजन के चरम अभाव को दर्शाता है, जिससे प्रभावित आबादी के कुपोषण का शिकार और मौत होने का जोखिम बढ़ जाता है. साथ ही, दीर्घकाल में व्यापक मानवीय, सामाजिक व आर्थिक स्तर होते हैं.

रिपोर्ट के अनुसार, संकट प्रभावित देशों में महिलाओं व बच्चों में पिछले कुछ समय में कुपोषण का ऊँचा स्तर देखा गया है, चूँकि अनेक परिवारों को अपने लिए सेहतमन्द आहार नहीं मिल पा रहा है.

वहीं, केनया, काँगो लोकतांत्रिक गणराज्य, ग्वाटेमाल, लेबनान और अफ़ग़ानिस्तान समेत कुछ अन्य देशों में बेहतर कृषि पैदावार होने की वजह से भूख संकट से राहत मिली है.

गुरूवार को जारी इस रिपोर्ट को खाद्य एवं कृषि संगठन (FAO), विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP), संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) और अन्तरराष्ट्रीय प्रवासन संगठन (IOM) ने अपने मानवतावादी साझेदार संगठनों के साथ मिलकर तैयार किया है.

ग़ाज़ा में बदहाली

यूनीसेफ़ में बाल पोषण मामलों के लिए निदेशक विक्टर अगुअयो ने न्यूयॉर्क में यूएन मुख्यालय में पत्रकारों को जानकारी देते हुए बताया कि ग़ाज़ा में बच्चे गम्भीर कुपोषण से पीड़ित हैं.

उनके अनुसार, वहाँ हालात को इतिहास में सबसे गम्भीर खाद्य व पोषण संकटों में गिना जा सकता है. ”यह ध्यान रखना अहम है कि इस तबाही से पीड़ित ग़ाज़ा की क़रीब आधी आबादी, बच्चे हैं.”

यूनीसेफ़ निदेशक पिछले सप्ताह ही ग़ाज़ा से लौटे हैं, जहाँ उनके अनुसार, युद्ध और मानवीय सहायता पाबन्दियों की वजह से भोजन, स्वास्थ्य व संरक्षण प्रणालियाँ पूरी तरह ढह चुकी हैं.

ग़ाज़ा में 90 फ़ीसदी से अधिक बच्चों को कई हफ़्तों या महीनों तक केवल दो प्रकार की खाद्य सामग्री ही खाने के लिए मिल पा रही है. साथ ही, सुरक्षित पेयजल और साफ़-सफ़ाई का अभाव है.

एक अनुमान के अनुसार, 50 हज़ार से अधिक बच्चों को कुपोषण के उपचार के लिए तत्काल स्वास्थ्य सेवा की आवश्यकता है.

सूडान में तेज़ी से बिगड़े हालात

खाद्य एवं कृषि संगठन में मुख्य अर्थशास्त्री मैक्सिमो तोरेरो ने बताया कि युद्ध से जूझ रहे सूडान में खाद्य सुरक्षा की स्थिति में तेज़ी से गिरावट आई है.

परस्पर विरोधी सैन्य बलों के बीच हिंसक टकराव और मानवीय सहायता अभियान का सीमित स्तर होने की वजह से देश की सीमाओं के भीतर विस्थापित आबादी के शिविरों में अकाल की स्थिति है.

इसके अन्य इलाक़ों में फैल जाने का जोखिम है, और हालात में अक्टूबर तक सुधार होने की सम्भावना नहीं है.

मैक्सिमो तोरेरो ने बताया कि हिंसक टकराव के कारण, पिछले वर्ष जून महीने की तुलना में, इस वर्ष जून से सितम्बर की अवधि में अधिक संख्या में लोगों को खाद्य असुरक्षा के ऊँचे स्तर से जूझना पड़ रहा है.

इस संकट से पड़ोसी देशों पर भी असर हुआ है, जिनमें चाड और दक्षिण सूडान भी हैं, जहाँ बड़ी संख्या में सूडानी शरणार्थियों ने अपने देश में जारी युद्ध और जलवायु-जनित संकटों से बचने के लिए शरण ली है. 

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