Uncategorized

2024, अब तक का सबसे गर्म साल साबित होने की राह पर

2024, अब तक का सबसे गर्म साल साबित होने की राह पर

यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी द्वारा 2024 के लिए, वैश्विक तापमान का लेखाजोखा जनवरी 2025 में जारी किया जाएगा, जिसके बाद मार्च 2025 में वैश्विक जलवायु स्थिति पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित होगी.

यूएन के शीर्षतम अधिकारी एंतोनियो गुटेरेश ने भी अपने नव वर्ष सन्देश में बढ़ते तापमान पर गहरी चिन्ता व्यक्त की है. “आज, मैं आधिकारिक रूप से यह बता सकता हूँ कि हमने जानलेवा गर्मी के एक दशक को झेला है.”

“रिकॉर्ड पर 10 सबसे अधिक गर्म वर्ष, बीते 10 वर्षों के दौरान घटित हुए हैं, जिनमें 2024 भी शामिल है. यह जलवायु अव्यवस्था है – वास्तविकता में.”

इस पृष्ठभूमि में, यूएन प्रमुख ने विनाश के इस रास्ते से हटने की पुकार लगाई और आगाह किया कि पुख़्ता कार्रवाई के लिए समय बीता जा रहा है.

बदलती जलवायु का असर

वर्ष 2024 में, यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी ने सिलसिलेवार ढंग से प्रकाशित अपनी रिपोर्टों में बदलती जलवायु की तेज़ रफ़्तार और उससे टिकाऊ विकास पर होने वाले प्रभावों को उजागर किया.

इन अध्ययन में रिकॉर्डतोड़ बारिश, विनाशकारी बाढ़, झुलसा देने वाली गर्मी, 50 डिग्री सेल्सियस को पार करने वाले तापमान और जंगलों में आग की घटनाओं पर जानकारी जुटाई गई.

यूएन एजेंसी के अनुसार, जलवायु परिवर्तन के कारण 2024 में गर्मी भरे 41 दिन और जुड़ गए, जिससे मानव स्वास्थ्य और पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित हुए हैं.

साथ ही, जलवायु परिवर्तन के कारण 29 मौसमी घटनाओं में से 26 की तीव्रता में वृद्धि हुई है, जिनमें कम से कम 3,700 लोगों की जान गई और लाखों विस्थापित हुए. यूएन मौसम विज्ञान एजेंडी की महासचिव सेलेस्ते साउलो ने वर्ष 2024 को नीन्द से जगा देने वाली चेतावनी बताया है.

उन्होंने कहा कि इस वर्ष रिकॉर्ड स्तर पर बारिश व बाढ़ की घटनाएँ हुई, जिनमें बड़ी संख्या में लोगों की जान गई, और हर महाद्वीप पर समुदायों को पीड़ा से गुज़रना पड़ा.

WMO प्रमुख ने सचेत किया कि तापमान वृद्धि का हर अंश मायने रखता है, जिससे चरम मौसम, उसके असर व जोखिम निर्धारित होते हैं.

संकट के बीच आशा

2024 की निराशाजनक वास्तविकताओं के बावजूद, 2024 के दौरान भविष्य के लिए सहमति-पत्र को भी पारित किया गया, जोकि टिकाऊ विकास को मज़बूती देने पर केन्द्रित है.

अज़रबैजान के बाकू में कॉप29 जलवायु सम्मेलन के दौरान, जलवायु परिवर्तन से प्रभावित निर्धन देशों के लिए वित्तीय सहायता सुनिश्चित करने पर भी चर्चा हुई ताकि वे चरम मौसम घटनाओं के प्रभावों का सामना कर सकें.

कार्बन उत्सर्जन की मात्रा में विकासशील देशों का बहुत कम योगदान है, मगर उन्हें जलवायु संकट के अग्रिम मोर्चे पर चुनौतियों से जूझना पड़ रहा है.

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने अत्यधिक गर्मी से मुक़ाबले के लिए क़दम उठाने की अपील जारी की थी, जिसके बाद, 15 अन्तरराष्ट्रीय संगठनों और 12 देशों के विशेषज्ञों की जिनीवा में WMO मुख्यालय में बैठक हुई, जिसमें अत्यधिक गर्मी से निपटने के लिए एक फ़्रेमवर्क तैयार करने पर विचार-विमर्श हुआ.

Source link

Most Popular

To Top