यूएन मौसम विज्ञान एजेंसी की यह चेतावनी, संयुक्त राष्ट्र के वार्षिक जलवायु परिवर्तन सम्मेलन से ठीक पहले जारी की गई है. यह सम्मेलन (कॉप29) इस वर्ष अज़रबैजान की राजधानी बाकू में आयोजित हो रहा है.
यूएन के शीर्षतम अधिकारी एंतोनियो गुटेरेश ने जलवायु संकट की गम्भीरता के प्रति बार-बार ध्यान आकृष्ट किया है और मानवता के अस्तित्व पर मंडराते इस ख़तरे को नज़रअन्दाज़ करने की क़ीमत के प्रति सचेत किया है.
यूएन एजेंसी की उप महासचिव को बैरेट ने जिनीवा में पत्रकारों को बताया कि कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) जिस रफ़्तार से वातावरण में जमा हो रही है, वैसा मानव इतिहास में पहले कभी नहीं देखा गया.
कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन और नाइट्रस ऑक्साइड, जलवायु परिवर्तन के लिए ज़िम्मेदार तीन मुख्य ग्रीनहाउस गैस हैं.
उन्होंने कहा कि वातावरण में कार्बन डाइऑक्साइड लम्बे समय तक बनी रह सकती हैं और इसलिए तापमान में वृद्धि आगामी कई वर्षों तक जारी रहने की सम्भावना है.
WMO के ग्रीनहाउस गैस बुलेटिन दर्शाता है कि CO2 के बढ़ते स्तर की गति को धीमा करने की आवश्यकता है. 2004 में वातावरण में कार्बन डाइ ऑक्साइड की सघनता 3771. पार्ट्स प्रति मिलियन थी, जोकि 2023 में बढ़कर 420 पार्ट्स प्रति मिलियन पहुँच गई है. यह पिछले दो दशकों में 11.4 प्रतिशत की वृद्धि है.
WMO की वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये केवल आँकड़े होने तक सीमित नहीं है. हर पार्ट प्रति मिलियन की वृद्धि मायने रखती है, तापमान वृद्धि का हर अंश की अहमियत है. हिमनद व जमे हुए पानी की चादर पिघलने की गति के नज़रिये से यह अहम है.
इससे समुद्री जलस्तर में वृद्धि, महासागर का तापमान व अम्लीकरण, और प्रजातियों, पारिस्थितिकी तंत्रों पर असर निर्धारित होता है, और यह भी कि किसी साल में कितनी संख्या में लोग अत्यधिक गर्मी का सामना करना करेंगे.
यूएन एजेंसी के अनुसार, वनों में आग लगने की घटनाओं का ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में वृद्धि का बड़ा योगदान रहा है. साथ ही, ऐल नीन्यो जलवायु प्रभाव के कारण शुष्क परिस्थितियाँ उपजी और 2023 के उत्तरार्ध में गैस की सघनता में बढ़ोत्तरी हुई है.
अध्ययन दर्शाता है कि कार्बन डाइऑक्साइड की कुल उत्सर्जित मात्रा में से क़रीब 50 फ़ीसदी ही वातावरण में मौजूद रहती है. 25 फ़ीसदी से अधिक महासागर द्वारा अवशोषित कर ली जाती है और 30 प्रतिशत भूमि में रहती है.
WMO अधिकारी का कहना है कि जबतक उत्सर्जन जारी रहेंगे तब तक ग्रीनहाउस गैस वातावरण में जमा होती रहेंगी, जिससे वैश्विक तपामान में बढ़ोत्तरी होगी. इसलिए, उन्होंने विश्व नेताओं से आग्रह किया है कि भावी पीढ़ियों को बचाने के लिए अर्थव्यवस्था में जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल को कम करने की दिशा में बढ़ना होगा.