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2022 में, बाल मृत्यु के विरुद्ध लड़ाई पहुँची ‘ऐतिहासिक पड़ाव’ पर

2022 में, बाल मृत्यु के विरुद्ध लड़ाई पहुँची ‘ऐतिहासिक पड़ाव’ पर

बाल मृत्यु मामलों के आकलन के लिए यूएन एजेंसियों के समूह (UN IGME) ने बुधवार को आँकड़े प्रकाशित किए हैं, जिनके अनुसार, वर्ष 2000 के बाद से अब तक, पाँच वर्ष से कम उम्र के बच्चों में मृत्यु दर में 51 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.

कम्बोडिया, मलावी, मंगोलिया और रवांडा समेत अन्य देशों में इसी अवधि के दौरान, पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों में मृत्यु दर में 75 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (UNICEF) की कार्यकारी निदेशक कैथरीन रसैल ने दाइयों, स्वास्थ्यकर्मियों और सामुदायिक स्वास्थ्यकर्मियों के समर्पित प्रयासों की सराहना की, जिनके परिणामस्वरूप इस अभूतपूर्व गिरावट को हासिल कर पाना सम्भव हुआ है.

“बच्चों के पास कम क़ीमत में, गुणवत्तापरक और कारगर स्वास्थ्य सेवाएँ पहुँचाने के लिए व्यक्तियों, समुदायों और राष्ट्रों के दशकों के संकल्प के ज़रिये, हमने दर्शाया है कि हमारे पास ज़िन्दगियाँ बचाने के लिए ज्ञान व औज़ार हैं.”

डेटा के आदान-प्रदान और बाल मृत्यु दर के अनुमानों के तौर-तरीक़ों को बेहतर बनाने के इरादे से वर्ष 2004 में UN IGME का गठन किया गया था.

इसके ज़रिये बच्चों के जीवन की रक्षा करने के लक्ष्य की दिशा में प्रगति का आकलन किया जाता है.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष द्वारा इसकी अगुवाई की जाती है और विश्व स्वास्थ्य संगठन, विश्व बैन्क समूह, और आर्थिक व सामाजिक मामलों के लिए यूएन विभाग का जनसंख्या प्रभाग इसका हिस्सा हैं.

लम्बा सफ़र बाक़ी

मगर, रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि बच्चों व किशोरों की असामयिक मौतों की पूर्ण रूप से रोकथाम करने के लिए एक लम्बा रास्ता तय करना है.

बड़ी संख्या में बच्चों की अब भी ऐसे कारणों से मौत हो रही है, जिनका उपचार सम्भव है. इनमें जन्म के दौरान पेश आने वाली जटिलताएँ, न्यूमोनिया, दस्त और मलेरिया समेत अन्य बीमारियाँ हैं. 

इनमें से अधिकाँश मौतें सब-सहारा अफ़्रीका और दक्षिणी एशिया में होती हैं, जोकि गुणवत्तपूर्ण स्वास्थ्य देखभाल में पसरी क्षेत्रीय विषमताओं को रेखांकित करता है.

रिपोर्ट में सचेत किया गया है कि आर्थिक अस्थिरता, हिंसक टकराव, जलवायु परिवर्तन और कोविड-19 महामारी के प्रभावों के कारण, चुनौती बरक़रार है और मृत्यु दर में मौजूदा विसंगति और गहरी हो रही हैं.

यूएन स्वास्थ्य एजेंसी के प्रमुख टैड्रॉस एडहेनॉम घेबरेयेसस ने अब तक दर्ज की गई प्रगति का स्वागत करते हुए कहा कि लाखों परिवारों को हर साल अपना बच्चा खोने की पीड़ा से गुज़रना पड़ता है, अक्सर जन्म के कुछ ही दिन के भीतर.

इसके मद्देनज़र, उन्होंने गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाओं को हर माँ व बच्चे के लिए बेहतर व सुलभ बनाने का आग्रह किया है, आपात स्थिति और दूरदराज़ के इलाक़ों में भी.

विश्लेषण के अनुसार, गुणवत्तापरक स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता में बेहतरी लाने और बच्चों की रोकथाम योग्य बीमारियों से रक्षा करने के लिए स्वास्थ्यकर्मियों की शिक्षा, रोज़गार, उपयुक्त कामकाजी माहौल सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी है.

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