संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम और ब्रिटेन के ऑक्सफ़र्ड विश्वविद्यालय के सहयोग से गुरूवार को प्रकाशित एक अध्ययन में यह जानकारी सामने आई है.
टकरावों व हिंसा से ज़िन्दगियों में बाधाएँ
इस वर्ष की यह रिपोर्ट में 112 देशों में 6 अरब 30 करोड़ लोगों के साथ किए गए शोध के नतीजों को आधार बनाया गया है.
रिपोर्ट में पाया गया है कि 1 अरब 10 करोड़ॉ लोग अत्यन्त गम्भीर निर्धनता में जीवन जी रहे हैं उनमें से क़रीब साढ़े 45 करोड़ लोग, ऐसे देशों में रहे हैं जहाँ युद्ध या हिंसक व अस्थिरता के हालात हैं.
संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) के प्रशासक अख़िम श्टीनर का कहना है, “हाल के वर्षों में टकराव और अधिक सघन होने के साथ-साथ कई गुना बढ़े हैं.”
“जिनके कारण हताहत होने वाले लोगों की संख्या रिकॉर्ड स्तर पर पहुँची है, करोड़ों लोग विस्थापित हुए हैं, और लोगों की ज़िन्दगियों व आजीविकाओं में विशाल पैमाने पर बाधाएँ पहुँची हैं.”
बुनियादी चीज़ों से भी वंचित
हिंसक टकरावों और युद्धों से प्रभावित देशों में, निर्धनता को कम करने के कार्य बहुत कम रहे हैं, जबकि उन्हीं देशों में निर्धनता बहुत अधिक है.
युद्ध से त्रस्त देशों में ही बुनियादी चीज़ों व सेवाओं की सबसे अधिक क़िल्लत है, जिनमें बिजली आपूर्ति, समुचित पानी और स्वच्छता साधन, शिक्षा और सेहतमन्द भोजन की कमी शामिल हैं.
उदाहरण के लिए, युद्ध या टकराव प्रभावित देशों में हर चार में से एक व्यक्ति को बिजली उपलब्ध नहीं है. जबकि स्थिर क्षेत्रों या देशों में ये आँकड़ा हर 20 में से एक व्यक्ति का है.
शिक्षा, पोषण और बाल मृत्यु के क्षेत्रों में भी कुछ इसी तरह की स्थिति है.
अफ़ग़ानिस्तान पर ध्यान
इस अध्ययन में बताया गया है कि दुनिया की लगभग 1.1 अरब आबादी में से आधी संख्या 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों व किशोरों की है, जोकि क़रीब 58 करोड़ 40 लाख बैठती है.
दुनिया भर में, लगभग 28 प्रतिशत बच्चे निर्धनता में जीवन जी रहे हैं, जबकि निर्धनता में रहने वाले वयस्कों की संख्या साढ़े 13 प्रतिशत है.
इस रिपोर्ट में अफ़ग़ानिस्तान के बारे में भी गहन अध्ययन शामिल किया गया है, जहाँ वर्ष 2015-1016 और 2022-2023 के उथल-पुथल भरे दौर में, लगभग 53 लाख लोग बहुकोणीय निर्धनता के गर्त में चले गए.
उससे भी आगे, 2023 के आँकड़ों से मालूम होता है कि अफ़ग़ानिस्तान की लगभग दो-तिहाई आबादी निर्धनता में जीवन जी रही है.
अख़िम श्टीनर ने बहुकोणीय निर्धनता में जीवन जी रहे लोगों को, सहायता मुहैया कराने की ख़ातिर और अधिक कार्रवाई किए जाने की पुकार लगाई है.
उनका कहना है, “हमें संसाधनों और विशिष्ट विकास तक पहुँच के साथ-साथ, निर्धनता व संकटों के कुचक्र को तोड़ने के लिए, निर्धनता उन्मूलन के लिए शुरुआती स्तर पर सहायता कार्यक्रमों की आवश्यकता है.”