हिमाचल प्रदेश उत्तर भारत का एकलौता ऐसा राज्य है जहां कांग्रेस की सरकार है। हालांकि, यहां पर भी बीते कुछ दिनों से कांग्रेस सरकार के ऊपर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। राज्यसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस के 6 विधियकों ने क्रॉस वोटिंग की और पार्टी के खिलाफ हो गए। इसके बाद मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ नाराजगी जाहिर की। इसके बाद कांग्रेस आलाकमान हरकत में आया और डैमेज कंट्रोल करने का दावा किया गया। हालांकि, विक्रमादित्य सिंह एक बार फिर से ऐसा कदम उठाया जिससे साफ हो रहा है कि हिमाचल में कांग्रेस के ऊपर से संकट अभी टला नहीं है। आइए जानते हैं पूरा मामला।
विक्रमादित्य ने बदला फेसबुक प्रोफाइल स्टेटस
हिमाचल सरकार में मंत्री और राज्य के पूर्व सीएम विक्रमादित्य सिंह ने अपना फेसबुक प्रोफाइल का स्टेटस बदल दिया है। उन्होंने अपनी प्रोफाइल पर कांग्रेस विधायक की जगह ‘हिमाचल का सेवक’ लिख दिया है। इसके बाद एक बार फिर से हिमाचल की राजनीति में नए उठापटक को लेकर कयास शुरू हो गए हैं। आपको बता दें कि विक्रमादित्य सिंह ने सीएम के खिलाफ नाराजगी जाहिर करते हुए मंत्री पद से इस्तीफे का भी ऐलान किया था।
बागी विधायकों से मिलने पहुंचे थे विक्रमादित्य
सुखविंदर सिंह सुक्खू के खिलाफ विद्रोह का झंडा उठाने वाले कैबिनेट मंत्री विक्रमादित्य सिंह शुक्रवार को चंडीगढ़ में बागी विधायकों से मुलाकात के बाद दिल्ली पहुंचे थे। हालांकि, छह बागी विधायकों में से दो विधायकों ने विक्रमादित्य सिंह से मुलाकात नहीं की। बता दें कि विक्रमादित्य सिंह ने कुछ दिनों पहले सीएम सुक्खू पर आरोप लगाते हुए कहा था कि विधायकों को दरकिनार किया गया, उनकी अनदेखी की गई और राजकोष का कुप्रबंधन हुआ।
सुखविंदर सिंह सुक्खू ने भी दिया बयान
हिमाचल प्रदेश की राजनीतिक स्थिति पर मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा, “विक्रमादित्य सिंह कल कैबिनेट में थे, उनसे हमारी बातचीत हुई है और कैबिनेट बैठक के बाद वह शाम को चंडीगढ़ गए जहां ललित होटल में वह हमारी बागी विधायकों से मिले। बागी विधायकों में से कुछ कांग्रेस में वापस आना चाहते हैं…मेरी उनसे सुबह और दोपहर में बात हुई है। मैंने उनसे कहा कि आप हाईकमान से बात कर ले। एक बागी विधायक ने मुझसे कहा था कि वह वापस आना चाहते हैं लेकिन वहां पर CRPF तैनात कर दिए गए हैं। तो हम ऐसा काम नहीं करने वाले जब उनका मन होगा वो वापस आए और हम उनका स्वागत करेंगे क्योंकि जोर-जबरदस्ती हिमाचल की संस्कृति में नहीं है।”