भूटान का यह दूरस्थ और हरा-भरा ज़िला सिरांग, जैविक खेती के लिए जाना जाता है. सिरांग जिले में मेंड्रेलगांग प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में चिकित्सा अपशिष्ट प्रबन्धक के रूप में कार्यरत, सिंग्ये माया गुरूंग अपने काम पर गर्व महसूस करती हैं.
इसी काम के ज़रिए वो अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं. लेकिन चिकित्सा अपशिष्ट का काम ख़तरों से भरा है, जो न केवल उनके लिए बल्कि उनके समुदाय के लिए भी जोखिम लेकर आता है.
उन्हें काम से लौटने के बाद अपने बच्चों को गले लगाने से पहले, सावधानीपूर्वक अपने कपड़े बदलने व धोने पड़ते हैं. साथ ही वो इस बात को लेकर भी चिन्तित हैं कि कोविड-19 के बाद से बढ़ा हुआ चिकित्सा अपशिष्ट, उनके समुदाय को प्रदूषित कर सकता है.
वह कहती हैं, “चिकित्सा अपशिष्ट बहुत जोखिम भरा है. यदि अनुपचारित कचरे को सीधे फेंक दिया जाता है, तो इसका असर हर किसी पर पड़ेगा, पशुओं, लोगों और पर्यावरण पर.”
स्वास्थ्य सेवा के कई पहलू, जलवायु संकट और इसके साथ होने वाले पर्यावरणीय क्षरण से जुड़े हैं. चिकित्सा अपशिष्ट का निपटान, मलेरिया, एचआईवी और टीबी जैसी बीमारियों से सम्बन्धित वैश्विक चुनौतियों का केवल एक पहलू है.
जलवायु संकट से न केवल इन रोकथाम योग्य और इलाज योग्य स्थितियों के प्रति संवेदनशीलता बढ़ रही है, बल्कि इससे आजीविकाएँ नष्ट हो रही हैं, आर्थिक एवं खाद्य सुरक्षा घट रही है, परिवार विस्थापित हो रहे हैं और आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ बाधित हो रही हैं. साथ ही, स्वास्थ्य क्षेत्र, अपने-आप में उत्सर्जन और पर्यावरणीय क्षरण का एक बड़ा स्रोत है.
स्वास्थ्य सेवा का जलवायु समस्या में हिस्सा
यदि स्वास्थ्य सेवा एक देश होती, तो यह ग्रीनहाउस गैसों का पाँचवाँ सबसे बड़ा उत्पादक होती – मुख्य रूप से इसकी आपूर्ति श्रृंखला और चिकित्सा कचरे के कारण.
और भले ही एक अरब लोग ऐसी सुविधाओं में इलाज करवाते हैं जिनके पास बिजली नहीं है, वाणिज्यिक भवनों की तुलना में, स्वास्थ्य केन्द्र लगभग तीन गुना अधिक ऊर्जा का उपयोग करते हैं.
तीन में से एक स्वास्थ्य सेवा केन्द्र के पास अपने कचरे का प्रबन्धन करने के लिए संसाधन नहीं हैं, और चिकित्सा अपशिष्ट को खुले स्थानों में जलाना, कुछ परिस्थितियों में विषैले रसायन छोड़ सकता है. तो जिनके पास संसाधन हैं भी, उनके लिए भी यह प्रक्रिया, प्रदूषणकारी या केवल आंशिक रूप से प्रभावी हो सकती है.
स्वास्थ्य एक समाधान के रूप में
स्वास्थ्य क्षेत्र, जलवायु परिवर्तन से निपटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है.
UNDP, सरकारों, समुदायों, ‘एड्स, तपेदिक और मलेरिया’ से लड़ने हेतु वैश्विक कोष और वैक्सीन एलायंस के साथ मिलकर, विभिन्न तरीकों से स्वास्थ्य और जलवायु चुनौतियों का समाधान करने के प्रयास कर रहा है.
इसके तहत, स्वास्थ्य सेवा की खाई को पाटने, चिकित्सा कचरे के निपटारे और महामारी की तैयारी जैसी चुनौतियों से निपटने के लिए, डिजिटल रूप से सक्षम, सौर ऊर्जा संचालित एवं ऊर्जा कुशल समाधानों का उपयोग करना शामिल है.
जहाँ एक ओर सतत ख़रीद की पहल का समर्थन करना, जलवायु पर स्वास्थ्य उत्पादों का प्रभाव कम करता है, वहीं दूसरी ओर इससे सरकारों को चिकित्सा अपशिष्ट के प्रबन्धन के लिए, उत्कृष्ट पर्यावरण और सामाजिक प्रथाओं को अपनाने के लिए मदद मिलती है.
व्यापक कार्यान्वयन
UNDP ने 2023 में, जलवायु, पर्यावरण और स्वास्थ्य के को केन्द्र में रखकर, 59 देशों में काम किया.
UNDP, बांग्लादेश, भूटान और मालदीव में, जापान सरकार के वित्तपोषण से चिकित्सा अपशिष्ट को सुरक्षित रूप से छाँटने, निष्फल करने और निपटाने में सहायता करता है. केन्द्रों और सिंग्ये माया गुरूंग जैसे कचरा संचालकों को अपशिष्ट के सुरक्षित और पर्यावरणीय रूप से उचित निपटारे के लिए, मशीनरी एवं प्रशिक्षण दिया गया है.
सरकारें अब मानव स्वास्थ्य की रक्षा करने और सामाजिक व पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के लिए मज़बूत नीतियों, डिजिटल प्रौद्योगिकियों एवं नवीकरणीय ऊर्जा के साथ, पर्यावरणीय अनुकूल अपशिष्ट प्रबन्धन और निपटान प्रणाली स्थापित कर रही हैं.
मालदीव सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय में स्थाई सचिव ऐशाथ सामिया के अनुसार, “सुरक्षित चिकित्सा अपशिष्ट प्रबन्धन, न केवल स्वास्थ्य सेवा कार्यकर्ताओं और कचरा प्रबन्धन चक्र में शामिल सभी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है, बल्कि संक्रमण, आकस्मिक चोट और पर्यावरण को हानि से बचाने की दृष्टि से भी यह बेहद आवश्यक है.”
सतत स्वास्थ्य सेवा
उत्सर्जन घटाना और स्वास्थ्य देखभाल प्रौद्योगिकियों को अपनाना, एक ही सिक्के के दो पहलू हैं.
साओ टोमे और प्रिंसिपे, एचआईवी, टीबी और मलेरिया के उन्मूलन की दिशा में एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम के जरिए, व्यापक दृष्टिकोण अपना रहा है वो देश भर की स्वास्थ्य सुविधाओं से प्राप्त स्वास्थ्य डेटा का उपयोग करते हैं और प्रयोगशाला संचालन में सुधार के लिए सौर ऊर्जा को प्रयोग में लाते हैं.
ज़िला स्वास्थ्य सूचना प्रणाली (DHIS2) एक अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त ओपन-सोर्स मंच है जिसका उपयोग 100 से अधिक देशों में किया जाता है.
साओ टोमे और प्रिंसिपे में स्थित यह स्वास्थ्य मंत्रालय और सभी ज़िलों को एचआईवी, टीबी और मलेरिया के उपचार में हुई प्रगति की एक पूर्ण व नवीनतम तस्वीर पेश करने, स्वास्थ्य आवश्यकताओं को समझने और भविष्य में स्वास्थ्य पहलों पर योजना बनाने में सक्षम बनाता है.
इस प्रणाली ने 2020 में समग्र डेटा से परे जाकर व्यक्तिगत रोगी डेटा को एकत्र किया. यह एचआईवी, टीबी और मलेरिया के अतिरिक्त, अब हर किसी के लिए coronavirus“>COVID-19 वैक्सीन प्राप्त करने वाले डेटा को दर्ज करता है और स्वास्थ्य केन्द्रों में बाल टीकाकरण की निगरानी करता है.
इससे स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि मरीज़ों, विशेष रूप से सबसे संवेदनशील रोगियों को, टीकों की सभी खुराकें मिलें.
साओ टोमे और प्रिंसिपे में स्वास्थ्य सूचना प्रणाली के समन्वयक ओसवाल्डो विएगस कहते हैं, “हम बच्चों के टीकाकरण की पहली ख़ुराक से लेकर आख़िरी ख़ुराक तक निगरानी करते हैं. और हम भविष्य में एक संचार प्रणाली बनाने का इरादा रखते हैं, जिसका अर्थ है कि जब भी किसी बच्चे को टीका लगाने का समय आएगा, तो यह प्रणाली, माता-पिता और अभिभावकों को सूचित करने के लिए एक अधिसूचना भेजेगी कि बच्चे को क्लीनिक में आने की आवश्यकता है.”
स्वास्थ्य और जलवायु आपस में अटल रूप से आपस में जुड़े हैं, और जलवायु परिस्थितियाँ जैसे-जैसे अधिक चरम हो रही हैं, और मानव व आर्थिक लागतें बढ़ रही है, हमें सभी स्तरों पर अधिक ठोस एवं समन्वित प्रतिक्रियाओं की आवश्यकता होगी. ऐसे में स्वास्थ्य क्षेत्र को अधिक महत्वाकांक्षी जलवायु कार्रवाई में अपनी भूमिका निभानी होगी.
UNDP में वैश्विक निधि साझेदारी और स्वास्थ्य प्रणाली टीम प्रबन्धक लुसियाना मर्मेट कहती हैं, “जलवायु संकट एक स्वास्थ्य संकट है. हमें उन प्रणालियों के निर्माण के प्रयास तेज़ करने चाहिए, जो लोगों के स्वास्थ्य को जलवायु परिवर्तन से बचा सकती हैं, जिनमें एचआईवी, टीबी और मलेरिया महामारी को ख़त्म करने का काम भी शामिल है.”