यूएन कार्यालय की वरिष्ठ अधिकारी ऐडेम वोसोर्नू ने बुधवार को सुरक्षा परिषद की बैठक को सम्बोधित करते हुए कहा कि हिंसक टकराव का एक वर्ष पूरा होने जा रहा है.
“हम यह और स्पष्टता से नहीं बता सकते हैं कि सूडान में आम नागरिक किस हताशा का सामना कर रहे हैं.”
यूएन मानवतावादी कार्यालय ने सूडान में व्याप्त खाद्य असुरक्षा पर पिछले शुक्रवार को एक श्वेत पत्र जारी किया था, जिसके बाद सुरक्षा परिषद की यह बैठक बुलाई गई.
वर्ष 2018 में सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव पारित किया गया था, जिमें हिंसक टकराव से पीड़ित क्षेत्रों में अकाल और खाद्य असुरक्षा गहराने की स्थिति में यूएन महासचिव से तत्परतापूर्वक जानकारी देने की बात कही गई थी.
इसी प्रस्ताव के अनुरूप यूएन एजेंसी की ओर से पिछले सप्ताह यह पत्र जारी किया गया था.
सूडान की सशस्त्र सेना और अर्द्धसैनिक त्वरित सुरक्षा बल (आरएसफ़) के बीच पिछले वर्ष अप्रैल महीने में शुरू हुए युद्ध में 1.8 करोड़ लोग, यानि सूडानी आबादी का एक-तिहाई से अधिक हिस्सा अचानक खाद्य असुरक्षा से जूझ रहा है.
इनमें से अधिकाँश दारफ़ूर, कोर्दोफ़ान क्षेत्र और ख़ारतूम व अल जज़ीराह प्रान्तों में हैं.
लड़ाई के कारण कृषि उत्पादन में कठिनाई पेश आ रही है, बुनियादी ढाँचे को क्षति पहुँची है, क़ीमतों में भारी उछाल दर्ज किया गया है और व्यापार में व्यवधान आया है.
यूएन खाद्य एवं कृषि संगठन के उपमहानिदेशक मॉरिज़ियो मार्टिना ने बताया कि दक्षिण-पूर्वी प्रान्तों में टकराव का दायरा फैल रहा है, जोकि अनाज उत्पादन की दृष्टि से एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है और यहाँ कुल गेहूँ उत्पादन की 50 फ़ीसदी उपज होती है.
पिछले सप्ताह FAO की एक रिपोर्ट जारी हुई थी जिसके अनुसार अन्न के उत्पादन में 2023 में 46 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है.
उपमहानिदेशक मार्टिना ने बताया कि 2024 में 33 लाख टन अन्न के आयात की ज़रूरत होने का अनुमान है, और इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए सूडान की वित्तीय व संचालन क्षमता के प्रति चिन्ता बढ़ी है.
“अन्न की ऊँची उत्पादन लागत की वजह से बाज़ार की क़ीमतों में और अधिक उछाल आने की सम्भावना है, जोकि पहले से ही बेहद ऊँचे स्तर पर हैं.”
कुपोषण की दर में वृद्धि
सूडान में फ़िलहाल सवा सात लाख लोग कुपोषण से पीड़ित हैं, जिनकी संख्या तेज़ी से बढ़ रही है और छोटे बच्चों की मौतें भी हो रही हैं.
यूएन एजेंसी अधिकारी वोसोर्नू ने हाल ही में Médecins Sans Frontières नामक संगठन की ओर से जारी रिपोर्ट का उल्लेख करते हुए बताया कि उत्तर दारफ़ूर के ज़मज़म शिविर में हर दो घंटे में एक बच्चे की मौत हो रही है.
“हमारे मानवतावादी साझेदारों का अनुमान है कि आने वाले हफ़्तों और महीनों में, कुपोषण की वजह से दो लाख 22 हज़ार बच्चों की मौत होने की आशंका है.”
सहायता प्रयासों में अवरोध
सूडान में मानवीय सहायता ज़रूरतमन्द आबादी के लिए एक जीवनरेखा है, मगर मानवतावादी संगठनों को हिंसा प्रभावित आबादी तक पहुँचने में अवरोधों से जूझना पड़ रहा है.
इस महीने, सुरक्षा परिषद ने एक प्रस्ताव जारी किया था जिसमें सूडान में पूर्ण व निर्बाध मानवीय सहायता मार्ग मुहैया कराए जाने की अपील की गई है, मगर यूएन एजेंसी अधिकारी का कहना है कि फ़िलहाल ज़मीन पर कोई ख़ास प्रगति नहीं हुई है.
सूडान प्रशासन ने चाड से पश्चिमी दारफ़ूर के लिए 60 ट्रकों को अनुमति देने पर सहमति व्यक्त की है, और पौने दो लाख लोगों के लिए भोजन समेत अन्य राहत सामग्री लेकर आने वाले क़ाफ़िले की तैयारी की जा रही है.
ऐडेम वोसोर्नू ने कहा कि ये सकारात्मक क़दम हैं मगर अकाल के मंडराते जोखिम का सामना करने के लिए बिलकुल भी पर्याप्त नहीं हैं.
भूख का साया
यूएन खाद्य कार्यक्रम के कार्यकारी उपनिदेशक कार्ल स्काउ ने सूडान में भूख संकट को क्षेत्रीय नज़रिये से वृहद परिप्रेक्ष्य में प्रस्तुत किया. उन्होंने कहा कि दक्षिण सूडान में 70 लाख लोग, चाड में 30 लाख लोग भी अचानक खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे हैं.
मौजूदा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विश्व खाद्य कार्यक्रम की टीम अनवरत प्रयासों में जुटी है, और पिछले साल लगभग 80 लाख लोगों तक मदद पहुँचाई गई थी.
मगर, सहायता मार्ग सुलभ ना होने और संसाधनों की कमी की वजह से सहायता अभियान में मुश्किलें पेश आ रही हैं.
कार्यकारी उपनिदेशक कार्ल स्काउ ने कहा कि यदि सूडान को विश्व का सबसे बड़ा भूख संकट बनने से रोकना है तो तुरन्त समन्वित प्रयास व एकजुट कूटनीति की आवश्यकता है.
उन्होंने चेतावनी जारी की है कि भोजन अभाव के कारण क्षेत्र में अस्थिरता को हवा मिल सकती है, जिसके मद्देनज़र, आपात राहत अभियानों के लिए तेज़ी से वित्तीय व राजनैतिक समर्थन मुहैया कराया जाना होगा