बताया गया है कि अर्द्धसैनिक, त्वरित समर्थन बल के सैनिकों ने इस सप्ताहांत, इस स्वास्थ्य केन्द्र पर धावा बोल दिया था, जिसके बाद यह क़दम उठाया गया.
यूएन एजेंसी ने सोशल मीडिया प्लैटफ़ॉर्म, X, पर अपने सन्देश में साउथ अस्पताल पर हुए इस हमले पर गहरा क्षोभ प्रकट किया है, जोकि दारफ़ूर के अल फ़शर में एकमात्र ऐसा अस्पताल है जहाँ सर्जरी सेवा उपलब्ध है.
“हमले के बाद अस्पताल के बन्द होने से दो अन्य अस्पतालों पर उनका क्षमता से परे बोझ बढ़ गया है, जिससे जीवनरक्षक सेवाओं की सुलभता सीमित हो गई है.”
प्राप्त जानकारी के अनुसार, अर्द्धसैनिक बल (RSF) के सैनिकों ने अस्पताल की इमारत में प्रवेश करने के बाद गोलीबारी की, जिसके बाद उसे बन्द करना पड़ा. इस घटना के दौरान अनेक उपकरणों और एक ऐम्बुलेंस चुराए जाने की भी ख़बर मिली है.
सूडान की सशस्त्र सेना और अर्द्धसैनिक बल, RSF, के बीच अप्रैल 2023 में लड़ाई भड़क उठी थी, जिससे बड़े पैमाने पर मानवीय संकट उपजा है, बड़े पैमाने पर लोग हताहत हुए हैं और लाखों विस्थापन का शिकार हुए हैं.
वाद अल-नूरा में हमला
इस बीच, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अल-जज़ीरा प्रान्त में स्थित वाद अल-नूरा के एक अन्य स्वास्थ्य देखभाल पर हमला होने की निन्दा की है. इस घटना में एक नर्स की जान चली गई है. वो नर्स, हमले के समय, मरीज़ों की देखभाल करने में जुटी थी.
“WHO स्वास्थ्य देखभाल पर हमलों की कठोर शब्दों में निन्दा करता है. स्वास्थ्य देखभाल हासिल करते समय, स्वास्थ्यकर्मी और मरीज़ों की ज़िन्दगियों पर जोखिम नहीं होना चाहिए.”
एक दिन पहले ही, कथित तौर पर RSF ने कथित रूप से भारी हथियारों के साथ इस गाँव पर हमला किया था, जिसमें 100 से अधिक लोगों के मारे जाने की ख़बर है.
मानवाधिकार प्रमुख की चेतावनी
यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त कार्यालय के प्रवक्ता वोल्कर टर्क ने इस हमले की कठोर निन्दा की है. उनके कार्यालय द्वारा जुटाए गए साक्ष्यों के अनुसार, RSF ने इस हमले के दौरान बड़े इलाक़े को अपनी चपेट में लेने वाले हथियारों का इस्तेमाल किया.
इससे पहले, यूएन मानवाधिकार उच्चायुक्त ने सूडान के सशस्त्र बलों और RSF के बीच बढ़ती हिंसा और उससे आम नागरिकों पर हो रहे विनाशकारी असर के विरुद्ध अपनी आवाज़ उठाई थी.
वोल्कर टर्क ने परस्पर विरोधी सैन्य बलों के नेताओं से फ़ोन पर अलग-अलग बातचीत की है. उन्होंने चेतावनी जारी की है कि 18 लाख नागरिक और देश के भीतर ही विस्थापित जन, शहर में फँसे हुए हैं और उनके सामने अकाल दस्तक दे रहा है.
यूएन कार्यालय ने चिन्ता जताई है कि लड़ाई में और तेज़ी आने का आम नागरिकों पर विनाशकारी असर होगा, और अन्तर-सामुदायिक टकराव बढ़ने की आशंका है, जिसके त्रासदीपूर्ण नतीजे सामने आ सकते हैं.
भूख संकट
सूडान में भीषण लड़ाई के कारण मानवीय आपात हालात उपजे हैं, जोकि अब विश्व में सबसे बड़े भूख संकट में तब्दील हो सकते हैं. इस वजह से WFP ने तत्काल मानवीय राहत प्रयासों के लिए धनराशि की पुकार लगाई है.
विश्व खाद्य कार्यक्रम (WFP) के अनुसार, सूडान में 1.8 करोड़ लोग पिछले कुछ समय में खाद्य असुरक्षा का शिकार हुए हैं, जिनमें से लगभग 50 लाख लोग आपात स्तर पर भूख से जूझ रहे हैं.
यूएन एजेंसी ने ध्यान दिलाया कि फ़सल पैदावार के मौसम में यह पहली बार है जब भूख पीड़ितों की इतनी बड़ी संख्या दर्ज की गई है.
आपात हालात में रहने के लिए मजबूर 90 फ़ीसदी से अधिक प्रभावित, उन इलाक़ों में हैं, जहाँ भीषण लड़ाई व पाबन्दियों के कारण सहायता सीमित मात्रा में उपलब्ध है.