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सूडान: युद्धविराम प्रयासों के लिए जिनीवा में यूएन के नेतृत्व में बातचीत जारी

पिछले वर्ष अप्रैल में लोकतांत्रिक शासन की दिशा में आगे बढ़ने के मुद्दे पर परस्पर विरोधी सैन्य बलों के बीच हिंसक टकराव भड़क उठा था. 2019 में सूडान के पूर्व राष्ट्रपति उमर अल-बशीर को सत्ता से बेदख़ल कर दिया गया था और फिर 2021 में सैन्य तख़्तापलट हुआ.

जिनीवा में यूएन की प्रवक्ता ऐलेसान्द्रा वैलुची ने बताया कि केवल एक प्रतिनिधिमंडल ने ही गुरूवार को आरम्भिक चर्चा में हिस्सा लिया है, हालांकि सूडानी सशस्त्र बलों और अर्द्धसैनिक बल (RSF) के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने बैठक में हिस्सा लेने के निमंत्रण को स्वीकार किया था.

सूडान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के विशेष दूत रामतने लमामरा की ओर यह निमंत्रण दिया गया था. इसके बाद उनकी टीम ने दोनों पक्षों को अलग-अलग बातचीत में हिस्सा लेने के लिए शुक्रवार को आमंत्रित किया.

यूएन प्रवक्ता वैलुची ने कहा कि आज यह बातचीत जारी रहेगी. “हम उनसे हिस्सा लेने का आग्रह करते हैं…सूडान में मानवीय हालात दिन बीतने के साथ ही बिगड़ रहे हैं.”

“इसलिए, हमें इसके नागरिक आबादी पर हुए विनाशकारी असर को देखने की ज़रूरत है. और हम प्रतिनिधिमंडलों से आग्रह करते हैं कि चुनौती के अनुरूप आगे बढ़ते हुए सृजनात्मक चर्चा में शामिल होना होगा.”

मानवीय आपात स्थिति

इस बीच, सूडान में लड़ाई पर विराम लगाने के अन्तरराष्ट्रीय दबाव बढ़ रहा है. पिछले एक वर्ष से अधिक समय से जारी लड़ाई में लाखों लोग विस्थापन का शिकार हुए हैं और अकाल पड़ने का जोखिम गहरा गया है.

मानवतावादी समुदाय ने आगाह किया है कि हिंसक टकराव के कारण बड़े पैमाने पर उथलपुथल हुई है, जोकि राजधानी ख़ारतूम से दारफ़ूर और अन्य क्षेत्रों में फैल चुकी है. 

मौजूदा हालात में, सूडान की क़रीब आधी आबादी, 2.5 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है.

युद्ध में अब तक 14 हज़ार से अधिक लोगों की जान जा चुकी है और 33 हज़ार घायल हुए हैं. सूडान, विश्व का सबसे बड़ा विस्थापन संकट बन गया है. 1.1 करोड़ लोग अपने घर से जबरन विस्थापित हुए हैं और साढ़े सात लाख से अधिक लोगों पर आने वाले महीनों में अकाल की चपेट में आने का जोखिम है.

मानवाधिकारों का ‘अभूतपूर्व’ हनन

संयुक्त राष्ट्र की स्वतंत्र मानवाधिकार विशेषज्ञ रैडहुएने नोसियर ने शुक्रवार को अपने एक वक्तव्य में आगाह किया कि देश में मानवाधिकार हनन व दुर्व्यवहार मामलों का स्तर अभूतपूर्व है.

पोर्ट सूडान से लौटने के बाद उन्होंने सूडानी प्रशासन से आम नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित किए जाने का आग्रह किया. साथ ही, निर्बाध मानवीय सहायता मार्ग मुहैया कराया जाना होगा, मनमाने ढंग से लोगों को हिरासत में लेने से रोकना होगा और मानवाधिकार उल्लंघन मामलों में जवाबदेही तय की जानी होगी.

नया विस्थापन संकट

इस बीच, सूडान के पूर्वी हिस्से में लड़ाई जारी है, जिसके मद्देनज़र विश्व खाद्य कार्यक्रम ने सेन्नार प्रान्त में विस्थापित लोगों के लिए खाद्य सहायता का स्तर बढ़ाने की घोषणा की है.

सिन्जा नगर को कथित रूप से अर्द्धसैनिक बल (RSF) ने अपने नियंत्रण में ले लिया था. वहाँ झड़पों के कारण हज़ारों लोग जान बचाकर भागने के लिए मजबूर हुए हैं और भूख संकट गहरा गया है.

अनेक लोग दूसरी या तीसरी बार विस्थापित हुए हैं. सेन्नार प्रान्त में ख़ारतूम और अल जज़ीरा से आने वाले लोगों ने शरण ली हुई थी.

यूएन एजेंसी ने नए सिरे से विस्थापितों के लिए 2,200 मीट्रिक टन भोजन की पहले से व्यवस्था की है. वहीं ब्लू नाइल में 40 हज़ार लोगों और गेदारेफ़ में तीन हज़ार लोगों तक मदद पहुँचाई जा रही है.

मगर, पूर्वी सूडान में हिंसा के कारण पोर्ट सूडान से अहम मानवीय सहायता मार्ग के कट जाने का ख़तरा है, जिससे सहायता अभियान के लिए प्रयास और जटिल हो सकते हैं.

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