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सूडान में अनगिनत लोग यौन हिंसा और अकाल की विभीषिका से त्रस्त

सूडान में अनगिनत लोग यौन हिंसा और अकाल की विभीषिका से त्रस्त

संयुक्त राष्ट्र की मानवीय सहायता टीमों ने मंगलवार को यह जानकारी दी है.

यूनीसेफ़ के प्रवक्ता जेम्स ऐल्डर ने सूडान से जानकारी में बताया है कि उनकी मुलाक़ात ख़ारतूम के बाहर स्थित अल नाओ नामक एक अस्पताल में एक ऐसे चिकित्सा कर्मी से हुई है जो ऐसी सैकड़ों-सैकड़ों महिलाओं व लड़कियों को जानते हैं जिनके साथ बलात्कार हुआ है.

उनमें कुछ लड़कियों की उम्र तो केवल 80 वर्ष की थी. बहुत सी लड़कियों और महिलाओं को कई सप्ताहों तक हिरासत में रखा गया है.

यूनीसेफ़ प्रवक्ता ने जिनीवा में पत्रकारों को, सूडान से एक वीडियो लिंक के ज़रिए मुख़ातिब करते हुए बताया कि इस चिकित्सा कर्मी ने बलात्कार के बाद पैदा हुए अनेक बच्चों की बड़ी संख्या के बारे में भी बात की है, जिन्हें अब लावारिस छोड़ दिया गया है.

असीम मुसीबतें

ऐसी जानकारी भी दी गई है कि बच्चों पर हुए अनगिनत अत्याचारों की कोई रिपोर्ट ही दर्ज नहीं हुई हैं, और ऐसा अक्सर इसलिए हुआ है कि उन बच्चों को रिपोर्ट दर्ज कराने की सुविधाएँ ही हासिल नहीं हैं.

साथ ही ये चेतावनी भी जारी की गई है कि अगर कार्रवाई नहीं की गई तो, आगामी महीनों के दौरान, हज़ारों सूडानी बच्चों की मृत्यु हो सकती है. “और ये बढ़ा-चढ़ाकर पेश की गई स्थिति बिल्कुल भी नहीं है… अगर चेचक की बीमारी फैलती है, अगर डायरिया फैलता है या फिर साँस सम्बन्धी संक्रमण फैलते हैं, तो सूडान के बच्चों के लिए हालात बहुत तेज़ी से बदतर हो जाएंगे.”

संयुक्त राष्ट्र की प्रवासन एजेंसी – IOM ने भी इस जानकारी की पुष्टि करते हुए कहा है कि बाढ़ नवे लाखों लोगों की दैनिक चुनौतियों में और बढ़ोत्तरी कर दी है, जो युद्ध की विभीषिका से पहले ही त्रस्त हैं.

ध्यान रहे कि सूडान की दो प्रतिद्वन्द्वियों के दरम्यान अप्रैल 2023 में युद्ध भड़क उठा था, जिसका मूल कारण वर्ष 2019 में तत्कालीन राष्ट्रपति उमर अल-बशर को सत्ता से हटा दिए जाने के हालात में निहित बताया जाता है.

सूडान में बाढ़ ने जून (2023) से 20 हज़ार से भी अधिक लोगों को विस्थापित बना दिया है.

अकाल का भय बना वास्तविकता

वैश्विक खाद्य सुरक्षा विशेषज्ञों ने अगस्त महीने के आरम्भ में बताया था कि सूडान के उत्तरी दारफ़ूर के कुछ इलाक़ों में अकाल की परिस्थितियाँ हो गई हैं, जिनमें अल फ़शर क़स्बे के पास ज़मज़म शिविर भी शामिल है.

इस शिविर में लगभग पाँच लाख विस्थापित लोग रह रहे हैं, जिन्हें अत्यन्त गम्भीर खाद्य असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है जिसके कारण कुपोषण और मौतें हो रहे हैं. इसके अलावा 13 अन्य इलाक़े भी अकाल के निकट हैं.

विस्थापन की विभीषिका

यूएन प्रवासन एजेंसी के नवीनतम आँकड़ों में नज़र आता है कि विस्थापन लगातार बढ़ रहा है और एक करोड़ से अधिक लोग, देश के भीतर ही सुरक्षा की तलाश में भटक रहे हैं. बहुत से लोगों को तो कई बार विस्थापित होना पड़ा है.

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