संयुक्त राष्ट्र की अवर महासचिव रोज़मैरी डीकार्लो ने बुधवार को कहा कि ख़ारतूम की सड़कों पर हिंसक युद्ध शुरू हुए, पाँच महीने से अधिक समय बीत चुका है. उन्होंने इन हालात में, सूडानी सेना और अर्द्धसैनिक बलों (RSF) से अपने हथियार डालने का आहवान किया.
रोज़मैरी डीकार्लो ने न्यूयॉर्क स्थित संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में ‘सूडान में निष्क्रियता की क़ीमत’ (The Cost of Inaction in Sudan) विषय पर आयोजित एक उच्च स्तरीय मंत्रिस्तरीय कार्यक्रम के दौरान कहा कि लोगों की पीड़ा समाप्त करने का एकमात्र तरीक़ा बातचीत है, जिससे ‘एक सार्थक युद्धविराम के ज़रिए, युद्ध को स्थाई रूप से ख़त्म किया जा सके.
अवर महासचिव ने कहा कि लम्बे समय से चल रहे संघर्ष से पूरा क्षेत्र अस्थिर हो गया है, जिसके परिणाम स्वरूप पाँच हज़ार से अधिक सूडानी नागरिक मारे गए हैं और देश के भीतर व सात देशों के साथ मिलने वाली अन्तरराष्ट्रीय सीमाओं के पार, लाखों लोग जबरन विस्थापित हुए हैं.
70 लाख से अधिक लोग विस्थापित
उन्होंने कहा कि अब सूडान में दुनिया की आन्तरिक रूप से विस्थापित सबसे बड़ी आबादी है, जिसमें कम से कम 71 लाख लोगों को अपने घर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा है.
अवर महासचिव, रोज़मेरी डीकार्लो ने ज़ोर देते हुए कहा, “सूडान पर राजनैतिक निष्क्रियता की पहले ही भारी क़ीमत चुकाई जा चुकी है. आवश्यक मानवीय कार्रवाई के अलावा हमें प्रभावी कूटनेतिक प्रयास बढ़ाने की भी आवश्यकता है.”
उन्होंने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से संघर्ष विराम और राजनैतिक समाधान के लिए अधिक प्रयास करने का आग्रह किया.
सूडान में 60 लाख से अधिक लोग भुखमरी के कगार पर हैं, और ये आँकड़े तब तक बढ़ते रहेंगे जब तक संघर्ष जारी रहेगा.
मानवीय राहत मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख, मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने कहा कि यदि आप निष्क्रियता की क़ीमत जानना चाहते हैं, तो “आपको सूडान के लोगों की पीड़ा से आगे कुछ और देखने की ज़रूरत नहीं है.”
‘लगभग 13 सामूहिक क़ब्रें’
हिंसा दिनोंदिन जातीय रूप लेती जा रही है, विशेषकर अस्थिरता के ऐतिहासिक गढ़, दारफ़ूर में. प्राप्त जानकारी के अनुसार, एल जेनिना जैसे स्थानों में कम से कम 13 सामूहिक क़ब्रें हैं.
स्वास्थ्य प्रणाली पूरी तरह चरमरा गई है, और लगभग 1,200 बच्चे कुपोषण व खसरा जैसी रोकथाम योग्य बीमारियों से अपनी जान गँवा चुके हैं.
उन्होंने कहा कि मानवतावादी “राहत कार्रवाई को आवश्यकतानुसार बढ़ाने व तेज़ करने के लिए” हर सम्भव प्रयास कर रहे हैं.
लक्ष्य से दूर
अब तक, संयुक्त राष्ट्र के आपदा राहत समन्वय कार्यालय OCHA और उसके साझीदार संगठनों ने लगभग 35 लाख लोगों को महत्वपूर्ण सहायता पहुँचाई है. हालाँकि, ये एक करोड़ 80 लाख लोगों के कुल लक्ष्य का केवल 19 प्रतिशत ही है.
प्रभावित क्षेत्रों तक पहुँचने में चुनौतियों और नौकरशाही बाधाओं के कारण, सूडान विश्व का सबसे ख़तरनाक और जटिल परिचालन क्षेत्र बन चुका है.
आपात राहत मामलों के समन्वयक, मार्टिन ग्रिफ़िथ्स ने ठोस अन्तरराष्ट्रीय प्रयास का आहवान किया, जिससे उन क्षेत्रों में जीवन रक्षक सहायता पहुँचाई जा सके, जहाँ इसकी बेहद ज़रूरत है.
उन्होंने देशों के प्रतिनिधियों से कहा, “इसकी ज़रूरत आज भी है, कल भी थी और कल भी रहेगी.”