आईपीसी पहल के अनुसार, सूडान में 2.46 करोड़ से अधिक लोग यानि देश की लगभग आधी आबादी – तीव्र खाद्य असुरक्षा के उच्च स्तर का सामना कर रही है. आईपीसी पहल, वैश्विक स्तर पर अत्यधिक भूख की स्थिति पर नज़र रखती है.
आईपीसी की अकाल समीक्षा समिति (FRC) ने पुष्टि की है कि सूडान के कम से कम पाँच क्षेत्रों में, अकाल (आईपीसी चरण 5) की स्थिति मौजूद है, जिसमें उत्तरी दारफ़ूर का ज़मज़म शिविर और पश्चिमी नुबा पर्वत के कुछ हिस्से शामिल हैं.
इस संकट के और भी बढ़ने का अनुमान है, जिसमें पाँच अतिरिक्त क्षेत्र – उत्तरी दारफ़ूर के उम कददाह, मेलित, अल फ़शर, अत तवीशा और अल लैत इलाक़ों में, दिसम्बर 2024 और मई 2025 के बीच अकाल की स्थिति बनने के आसार हैं.
इसके अतिरिक्त, 17 अन्य क्षेत्र भी अकाल के जोखिम में हैं, विशेष रूप से वे जहाँ आन्तरिक रूप से विस्थापित लोगों (IDP) बड़ी संख्या में पहुँचे हुए हैं.
प्रभावित क्षेत्रों में उत्तर और दक्षिण दारफ़ूर, ख़ार्तूम और अल जज़ीरा प्रदेश के कुछ हिस्से शामिल हैं.
चरम स्तर की मानवीय पीड़ा
आईपीसी की रिपोर्ट में कहा गया है, “अकाल मानवीय पीड़ा का सबसे चरम रूप है, जो लोगों के जीवित रहने के लिए आवश्यक प्रणालियों और संसाधनों के विनाशकारी पतन को दिखाता है”
“यह केवल भोजन की कमी की स्थिति नहीं है, बल्कि स्वास्थ्य, आजीविका और सामाजिक संरचनाओं का गहरा पतन है, जो पूरे समुदायों को हताशा की स्थिति में छोड़ देता है.”
हालाँकि औसत से अधिक वर्षा ने उन क्षेत्रों में कृषि को सहारा दिया है जहाँ सुरक्षा की स्थिति बेहतर है. अनेक महीनें से जारी युद्ध ने कृषि गतिविधियों को गम्भीर रूप से बाधित किया है.
रिपोर्ट के अनुसार, किसानों को खेत छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और फसलें लूट ली गई हैं या उन्हें नष्ट कर दिया गया है.
विस्थापित परिवार, ख़ासतौर पर बस्तियों और सार्वजनिक इमारतों में रहने वाले परिवार, फ़सल के लाभों से वंचित हैं.
परिणामस्वरूप, 81 लाख लोगों को IPC चरण 4 (आपातकाल) में वर्गीकृत किया गया है और 6 लाख 38 हज़ार लोग पहले से ही चरण 5 (आपदा स्तर) में हैं.
IPC के चरण 5 की स्थिति में भुखमरी, मृत्यु और अत्यधिक कुपोषण के साथ अकाल का संकेत मिलता है.
युद्ध एक प्रमुख कारक
अप्रैल 2023 में सत्ता और प्रभाव के लिए होड़ करने वाली प्रतिद्वंद्वी सेनाओं के बीच भड़के क्रूर युद्ध ने 1.2 करोड़ से अधिक लोगों को उनके घरों से बेदख़ल कर दिया है, जिससे खाद्य असुरक्षा बढ़ गई है और विस्थापित लोगों को पनाह दे रहे मेज़बान समुदायों पर बहुत दबाव है.
घनी आबादी वाले क्षेत्रों में भीषण लड़ाई जारी है, जिसमें सभी पक्ष अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून की व्यापक अवहेलना कर रहे हैं.
भारी संख्या में हताहत हुए हैं, यौन हिंसा हो रही है, और स्वास्थ्य सेवा व शिक्षा सुविधाओं सहित, आवश्यक बुनियादी ढाँचा तबाह हो गया है.
स्वास्थ्य सेवा, स्वच्छ जल और स्वच्छता सहित आवश्यक सेवाओं में गिरावट के हालात में, हैज़ा जैसी घातक बीमारियाँ भी तेज़ी से फैल रही हैं.
तत्काल लागू करने के लिए सिफारिशें
आईपीसी रिपोर्ट ने रेखांकित किया कि केवल युद्ध को तत्काल ख़त्म करके ही, इस संकट को और अधिक बिगड़ने से रोकने में मदद मिल सकती है.
रिपोर्ट में, विशेष रूप से युद्धग्रस्त क्षेत्रों में सुरक्षित, निर्बाध और निरन्तर मानवीय सहायता की बहाली और बहु-क्षेत्रीय मानवीय सहायता को महत्वपूर्ण पैमाने पर बढ़ाए दाने आहवान किया गया है.