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सूडान: ‘इस युद्ध का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता है’

सूडान: ‘इस युद्ध का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता है’

सूडान के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के निजी दूत, रामतने लमामरा ने हाल ही में अपनी सूडान यात्रा के दौरान, सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाक़ात की. इनमें सूडानी सशस्त्र बलों के शीर्ष कमांडर और संक्रमणकालीन सम्प्रभु परिषद के प्रमुख जनरल अब्देल फ़ताह अल-बुरहान भी थे.

यूएन दूत इथियोपिया भी गए जहाँ उन्होंने राजधानी आदिस अबाबा में अर्द्धसैनिक बल (RSF) के एक प्रतिनिधिमंडल से मुलाक़ात की. 

रामतने लमामरा ने अपनी यात्रा के बाद हिंसक टकराव का अन्त होने की आशा व्यक्त की है और देश में शान्ति स्थापना में संयुक्त राष्ट्र की अहम भूमिका को रेखांकित किया है.

इस इंटरव्यू को स्पष्टता व संक्षिप्तता के लिए सम्पादित किया गया है.

यूएन न्यूज़: आपकी इस यात्रा के दौरान क्या प्रगति हुई?

रामतने लमामरा: मैं अपने इस मिशन को मिले समर्थन से उत्साहित हूँ. सूडानी अधिकारियों ने यूएन के साथ मिलकर काम करने और सूडान में शान्ति लाने के लिए महासचिव के प्रयासों का हिस्सा बनने का संकल्प जताया है.

मैंने सूडानी नागरिकों की पीड़ा का अन्त करने और स्थिरता, सुरक्षा, लोकतांत्रिक शासन व्यवस्था और विकास सुनिश्चित करने के लिए, संयुक्त राष्ट्र की मज़बूत इच्छा दोहराई.

मैं इस समय किसी ख़ास प्रगति की बात नहीं कह सकता हूँ, मगर फिर भी हम अपना काम करना जारी रखेंगे, जिनका उद्देश्य, सभी पक्षों को शान्तिपूर्ण हल के नज़दीक लाना है. हमारे लिए एकमात्र विकल्प अपने प्रयासों को जारी रखना है.

सूडान में युद्ध के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें बहुत से पड़ोसी देश चाड में भी पहुँचे हैं.

© UNHCR/Andrew McConnell

सूडान में युद्ध के कारण लाखों लोग विस्थापित हुए हैं, जिनमें बहुत से पड़ोसी देश चाड में भी पहुँचे हैं.

यूएन न्यूज़: क्या आपने नागरिक समाज, महिला समूहों के प्रतिनिधियों से मुलाक़ात की और इस बातचीत के दौरान क्या चर्चा हुई?

रामतने लमामरा: मैंने अनेक बार सूडानी नागरिक समाज के प्रतिनिधियों से बातचीत की. सूडान में राजनैतिक व नागरिक समाज क्षेत्र के विविध प्रतिनिधियों से चर्चा करना बहुत ज़रूरी है, जिनमें महिलाएँ, युवा व हाशिए पर मौजूद अन्य आवाज़ हैं.

वे ही लोग हैं, जो इस हृदयविदारक युद्ध का एक ऐसा बोझ ढो रहे हैं, जिसे और सहन कर पाना सम्भव नहीं है.

सूडान के नागरिकों के लिए इस असहनीय दर्द का अन्त करना, एक बड़ी प्राथमिकता है. साथ ही, हमें इस युद्ध का अन्त करने और एक समावेशी व विश्वसनीय राजनैतिक प्रक्रिया आगे बढ़ाने के लिए अपने प्रयास जारी रखने होंगे.

पूर्वी चाड में यूनीसेफ़ समर्थित स्तनपान एवं पोषण जागरूकता केन्द्र में अपने तीन महीने के जुड़वाँ बच्चों के साथ बैठीं एक सूडानी शरणार्थी.

पूर्वी चाड में यूनीसेफ़ समर्थित स्तनपान एवं पोषण जागरूकता केन्द्र में अपने तीन महीने के जुड़वाँ बच्चों के साथ बैठीं एक सूडानी शरणार्थी.

यूएन न्यूज़: ये हिंसक टकराव पिछले 20 महीनों से चल रहा है, जिसका कोई अन्त नज़र नहीं आ रहा है, जबकि यूएन और अन्य क्षेत्रीय संगठनों की ओर से प्रयास किए गए हैं. युद्धविराम की दिशा में प्रगति के लिए किस तरह के बदलाव ज़रूरी हैं?

रामतने लमामरा: यह समय इस हिंसक टकराव पर विराम लगाने का है, जोकि बहुत लम्बे समय से जारी है और सूडानी नागरिकों की पीड़ा की वजह है.

सभी पक्षों को सूडानी नागरिकों के हितों को सर्वोपरि रखना चाहिए और यह समझना होगा इस युद्ध का कोई सैन्य समाधान नहीं हो सकता है. इतिहास से हमें यही सबक़ मिला है.

इस रक्तपात का अन्त करने के लिए एक युद्धविराम की आवश्यकता है, जोकि वार्ता आधारित समझौते का मार्ग प्रशस्त करे, सूडानी नागरिकों के नेतृत्व में एक समावेशी प्रक्रिया ताकि सूडान की एकता की रक्षा की जाए. यदि ऐसा नहीं हुआ तो सूडान और पूरे क्षेत्र के लिए इस युद्ध के गम्भीर नतीजे होंगे.

मैं निजी तौर पर यह नहीं समझ सकता हूँ कि इस युद्ध के दो साल अगले वर्ष अप्रैल में पूरे हो रहे हैं, मगर फिर भी प्रभावशाली देशों व अन्य द्वारा आक्रामक पक्षों पर कोई विशाल, सामूहिक दबाव नहीं डाला गया है.

ये दबाव लम्बे समय से उन विदेशी पक्षों पर भी डाला जाना चाहिए था, जोकि हथियारों व उपकरणों की आपूर्ति कर रहे हैं, जोकि सूडान की एकता, क्षेत्रीय अखंडता के लिए ज़रूरी एक शान्तिपूर्ण समाधान की समझ व मूल्य की क़ीमत पर सैन्य भ्रम को पोषित करते हैं.

मैं सभी सम्बद्ध पक्षों के साथ अपने प्रयास जारी रखूँगा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि हम एक साझा लक्ष्य की ओर बढ़ सकें, हमें अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करना है. सूडानी नागरिक इसके हक़दार हैं.

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