भाजपा के दिग्गज नेता और बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी का निधन हो गया। वे कैंसर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। उन्होंने दिल्ली के एम्स में अंतिम सांस ली। उनके चले जाने से बिहार बीजेपी को बड़ा झटका लगा है। वह प्रदेश में बीजेपी के सीनियर नेताओं में से एक थे। बिहार में पार्टी को मजबूत करने में उनका बड़ा योगदान रहा है। बता दें कि अप्रैल के शुरुआती हफ्ते में सुशील मोदी ने अपने सोशल मीडिया हैंडल X पर कहा था कि पिछले 6 महीने से कैंसर से संघर्ष कर रहा हूं। अब लगा कि लोगों को बताने का समय आ गया है। लोकसभा चुनाव में कुछ कर नहीं पाऊंगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इस संबंध में सब कुछ बता दिया है। देश, बिहार और पार्टी का सदा आभार और सदैव समर्पित रहूंगा।
सुशील मोदी को मिली थी ये बड़ी उपलब्धि
बिहार की राजनीति में सुशील कुमार मोदी एक बड़ा नाम था। इनका जन्म 5 जनवरी, 1952 को पटना जिले में एक मारवाड़ी (वैश्य बनिया) परिवार में हुआ। बहुत कम लोग जानते हैं कि सुशील मोदी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के आजीवन सदस्य थे। जेपी आंदोलन में विद्यार्थी नेता के रूप में उभरे सुशील मोदी ने राजनीति में करीब पांच दशक का एक लंबा सफर तय किया है। लालू प्रसाद यादव के बाद सुशील मोदी बिहार के एकमात्र नेता हैं, जिन्हें राज्यसभा, लोकसभा, बिहार विधान परिषद और बिहार विधानसभा के सदस्य रहने की उपलब्धि प्राप्त है।
छात्र जीवन से राजनीति में रहे सक्रिय
भाजपा के सीनियर नेता ने मैट्रिक की पढ़ाई पटना स्थित राम मोहन राय सेमिनरी से की। फिर पटना विश्वविद्यालय के पटना साइंस कॉलेज से 1973 में वनस्पति विज्ञान में स्नातक किया। इसी विषय से पोस्ट ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए मोदी ने पटना विश्वविद्यालय में नामांकन कराया, लेकिन जेपी आंदोलन में शामिल होने के लिए उन्होंने कुछ महीने बाद ही पढ़ाई छोड़ दी। कॉलेज में पढ़ाई के दौरान ही वह छात्र राजनीति में सक्रिय हो गए। 1971 में सुशील मोदी छात्र संघ के 5 सदस्यीय कैबिनेट के सदस्य निर्वाचित हुए। फिर 1973 से 1977 तक पटना विश्वविद्यालय छात्र संघ के महामंत्री के तौर पर अपनी भूमिका निभाई। राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव इसी छात्र संघ के निर्वाचित अध्यक्ष और भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद संयुक्त सचिव थे।
आपातकाल के दौरान 19 महीने रहे जेल में
1974 में जेपी आंदोलन में सुशील मोदी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। आपातकाल के दौरान वह 19 महीने जेल में भी रहे। फिर 1983 से 86 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में प्रदेश मंत्री, प्रदेश संगठन मंत्री सहित कई पदों पर रहने के बाद 1983 में उन्हें महासचिव बनाया गया।
नीतीश कुमार और सुशील मोदी
छात्र राजनीति से मंत्री पद तक
- आरएसएस से जुड़े रहे सुशील कुमार मोदी की छात्र राजनीति की शुरुआत 1971 में हुई। वह अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद में महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
- 1990 में सुशील मोदी सक्रिय राजनीति में शामिल हो गए। उन्होंने पटना केंद्रीय विधानसभा (अब कुम्हार विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र) से बिहार विधानसभा चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की।
- 1996-2004 के दौरान वो बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता बने रहे।
- साल 2004 में वे भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव जीते। साल 2005 में उन्होंने संसद सदस्यता से इस्तीफ़ा दिया और विधान परिषद के लिए निर्वाचित होकर उपमुख्यमंत्री बने। यहीं से नीतीश कुमार के साथ उनका साथ शुरू हुआ।
- 2010 में एनडीए की दोबारा जीत के बाद भी वो डिप्टी सीएम के पद पर बने रहे। सुशील मोदी लगभग 11 वर्षों तक नीतीश कुमार की सरकार में डिप्टी सीएम रहे। एक वक्त था जब दोनों नेताओं को राम-लक्ष्मण की जोड़ी के रूप में जाना जाता था।
- 2015 के चुनाव में सुशील मोदी बिहार में एनडीए खेमे से भाजपा के सबसे बड़े नेता के तौर पर देखे गए। उन्हें मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था। हालांकि, तब जदयू-राजद के महागठबंधन को पूर्ण बहुमत मिला और नीतीश कुमार सीएम बने थे।
- 8 दिसंबर 2020 को रामविलास पासवान के निधन के बाद खाली सीट को भरने के लिए सुशील मोदी को राज्यसभा के लिए निर्विरोध चुना गया।
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