यूएन प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने सुरक्षा परिषद को सम्बोधित हुए ज़ोर दिया कि इसकी संरचना में, द्वितीय विश्व युद्ध के अन्त के समय, सत्ता का सन्तुलन झलकता था, मगर अब ये बदलती दुनिया के साथ रफ़्तार क़ायम रखने में नाकाम रही है.
उन्होंने कहा, “वर्ष 1945 में, आज के अधिकतम अफ़्रीकी देश, औपनिवेशिक शासन के आधीन था और अन्तरराष्ट्रीय मामलों में उनकी कोई आवाज़ नहीं थी.”
यूएन प्रमुख ने कहा, “हम इस स्थिति को स्वीकार नहीं कर सकते कि विश्व की प्रखर शान्ति व सुरक्षा संस्था में, एक अरब से अधिक लोगों के महाद्वीप की स्थाई आवाज़ ही ना हो…और हम ये भी स्वीकार भी नहीं कर सकते कि अफ़्रीका के विचारों को, शान्ति व सुरक्षा के सवालों पर कोई अहमियत ही नहीं दी जाए…”
अन्याय को सुधारें
एंतोनियो गुटेरेश ने समाधान की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा, “परिषद की पूर्ण साख़ और वैधता सुनिश्चित करने का मतलब है – यूएन महासभा, विभिन्न भौगोलिक समूहों – अरब समूह से लेकर बेनेलक्स, नॉर्डिक और CARICOM देशों के साथ-साथ इसी परिषद में कुछ स्थाई सदस्यों की लम्बे समय से चली आ रही पुकारों को सुनना, कि अन्याय को सुधारा जाए.”
यूएन प्रमुख ने जुलाई 2023 में जारी किए गए अपने नीति पत्र – शान्ति पर नवीन एजेंडा का ज़िक्र किया जिसमें भविष्य के समझौते पर वार्ताओं को केन्द्र में रखा गया है. यह समझौता सितम्बर (2024) में होने वाले भविष्य सम्मेलन में अपनाया जाएगा.
उन्होंने आग्रह किया कि सभी देश इस सम्मेलन में शिरकत करें और अपने विचारों और मतों का योगदान करें ताकि अफ़्रीकी आवाज़ों को सुना जा सके, अफ़्रीका पहल कार्यक्रमों को समर्थन दिया जा सके, और अफ़्रीकी ज़रूरतों को पूरी किया जा सके.
एंतोनियो गुटेरेश ने ये विचार, ऐतिहासिक अन्याय और सुरक्षा परिषद में अफ़्रीका के असरदार प्रतिनिधित्व पर ध्यान देने के मुद्दे पर बुलाई गई बैठक में व्यक्त किए. इस बैठक का आयोजन सियेरा लियोन ने किया जो अगस्त महीने के लिए सुरक्षा परिषद का अध्यक्ष है.
सुरक्षा परिषद की संरचना
15 सदस्यों वाली सुरक्षा परिषद में पाँच स्थाई और 10 अस्थाई सदस्य हैं. स्थाई सदस्यों के पास वीटो अधिकार है जिसके ज़रिए वो किसी भी प्रस्ताव का नाकाम कर सकते हैं. इनके नाम हैं – चीन, फ़्रांस, रूस, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका. 10 अस्थाई सदस्यों का चुनाव क्षेत्रीय आधार पर दो साल के लिए होता है.
क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व इस प्रकार है – तीन सीटें अफ़्रीकी देशों से, प्रत्येक दो-दो सीटें एशिया-प्रशान्त, लातीनी अमेरिका और कैरीबियाई, और पश्चिमी योरोप और अन्य देशों से; एक सदस्य पूर्वी योरोपीय देशों से आता है.
अफ़्रीका की अहम भूमिका
एंतोनियो गुटेरेश की टिप्पणी के बाद, यूएन महासभा अध्यक्ष डेनिस फ़्रांसिस ने भी सुरक्षा परिषद को सम्बोधित किया और वैश्विक शान्ति व सुरक्षा में अफ़्रीका की अहम भूमिका रेखांकित किया. उन्होंने सुधारों की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि महासभा इस मुद्दे पर अन्तरसरकारी वार्ताओं के ज़रिए, सक्रियता के साथ विचार कर रही है. उन्होंने सदस्य देशों से ठोस सुधारों की तरफ़, रचनात्मक रूप से बढ़ने का आग्रह भी किया.