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सुरक्षा परिषद: महिलाओं को शान्ति व सुरक्षा प्रयासों के केन्द्र में रखने की पुकार

सुरक्षा परिषद: महिलाओं को शान्ति व सुरक्षा प्रयासों के केन्द्र में रखने की पुकार

राजनैतिक एवं शान्तिनिर्माण मामलों की अवर महासचिव रोज़मैरी डीकार्लो ने मंगलवार को सुरक्षा परिषद में महिला, शान्ति व सुरक्षा एजेंडा पर बुलाई गई एक बैठक को सम्बोधित किया, जिसमें कायापलट कर देने वाले बदलाव लाने में महिला नेतृत्व में निवेश किए जाने पर चर्चा हुई.

उन्होंने सदस्य देशों के प्रतिनिधियों से आग्रह किया कि अब अगली पीढ़ी के लिए दरवाज़ों को खोला जाना होगा.

“महिलाएँ, शान्ति व सुरक्षा एजेंडा में निवेश कोई विकल्प नहीं है. ये हिंसक टकरावों की रोकथाम करने और टिकाऊ व समावेशी शान्ति को हासिल करने के लिए एक अनिवार्यता है.”

यूएन अवर महासचिव ने पाकिस्तान की मलाला युसूफ़ज़ई का उदाहरण दिया, जो लड़कियों की शिक्षा के लिए निरन्तर प्रयासरत हैं और नोबेल पुरस्कार विजेता भी हैं. साथ ही, स्वीडन की जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थुनबर्ग और सोमालिया की इलवाड ऐलमान का उल्लेख किया जो बाल सैनिकों के पुनर्वास के लिए प्रयासों में जुटी हैं.

रोज़मैरी डीकार्लो के अनुसार, ये युवा महिलाएँ न्यायसंगत व शान्तिपूर्ण विश्व की मांग कर रहे हैं. “ये असाधारण नेता हमें ध्यान दिलाती हैं कि रुपान्तरकारी बदलावों के लिए यह ज़रूरी है कि यथास्थितिवाद को धकेला जाए.”

इस क्रम में, उन्होंने यूएन महासचिव के नीतिपत्र, शान्ति के लिए नया एजेंडा का ज़िक्र किया, जिसमें पितृसत्तात्मक व्यवस्थाओं को उखाड़ने की बात कही गई है, जिनकी वजह से असमानता व बहिष्करण बढ़ता है.

ग़ौरतलब है कि सुरक्षा परिषद में वर्ष 2000 में ऐतिहासिक प्रस्ताव 1325 अपनाया गया था. इस प्रस्ताव के तहत, हिंसक टकरावों की रोकथाम व समाधान में महिलाओं के महत्वपूर्ण योगदान को मान्यता दी गई है.

इस प्रस्ताव में युद्धरत पक्षों से, महिलाओं व लड़कियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने, और शान्ति प्रक्रियाओं में महिलाओं की पूर्ण भागेदारी का भी आहवान किया गया है.

दक्षिण सूडान में यूएन मिशन ने शान्ति व सुरक्षा से जुड़े मसलों पर महिलाओं के लिए एक कार्यशाला आयोजित की है.

दक्षिण सूडान में यूएन मिशन ने शान्ति व सुरक्षा से जुड़े मसलों पर महिलाओं के लिए एक कार्यशाला आयोजित की है.

सत्ता तंत्रों की नए सिरे से परिकल्पना

अवर महासचिव ने कहा कि वैश्विक सत्ता तंत्रों की नई सिरे से कल्पना की जानी होगी और उसमें महिलाओं व लड़कियों, विशेषकर युवा महिलों को अहम भूमिका देनी होगी. उनके अनुसार, हिंसक टकराव व असुरक्षा की बुनियादी वजहों से निपटने के लिए यह हमारे प्रयासों के केन्द्र में है.

“यदि हम पितृसत्तात्मक मानकों की बेड़ियों से आज़ाद नहीं हुए, तो वास्तविक शान्ति व समावेशी सुरक्षा हमारी पकड़ से दूर रहेगी.”

रोज़मैरी डीकार्लो ने कहा कि हाल ही में भविष्य के लिए वचन-पत्र पारित किया गया था, जिसमें हिंसक टकराव की रोकथाम और शान्ति स्थापना में महिला नेतृत्व व उनकी भागीदारी को सुनिश्चित किए जाने पर बल दिया गया है.

उनके अनुसार अन्तर-पीढ़ीगत नेतृत्व को आगे बढ़ाने में तीन बिन्दुओं का विशेष रूप से ध्यान रखा जाना होगा: सम्वाद को प्रोत्साहन देना, समावेशी शान्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाना, युवा महिलाओं के नेतृत्व में निवेश करना.

अहम कार्रवाई क्षेत्र

अवर महासचिव डीकार्लो ने कहा कि भरोसे को मज़बूती देने और साझा आकाँक्षाओं को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करने में अन्तर-पीढ़ीगत सम्वाद महत्वपूर्ण अवसर प्रदान कर सकते हैं.

इसके समानान्तर, समावेशी शान्ति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने में महिलाओं के विविधतापूर्ण समूहों को प्राथमिकता देनी होगी, जिनमें हर स्तर पर उनके नेतृत्व व अधिकारों का ख़्याल रखा जाए.

उन्होंने ध्दायन दिलाया कि सुरक्षा परिषद में महिलाएँ, शान्ति व सुरक्षा एजेंडा पर वार्षिक चर्चा के दौरान, यूएन महासचिव ने एक पहल की शुरुआत की थी, जिसमें समाज के विभिन्न वर्गों से मध्यस्थकारों को आमंत्रित किया गया ताकि वे यूएन के साथ मिलकर शान्ति प्रक्रियाओं में महिलाओं की भागेदारी सुनिश्चित कर सकें.

शान्तिनिर्माण मामलों की प्रमुख ने कहा कि हमारी प्राथमिकताओं के अनुरूप ही निवेश किए जाने होंगे. ठोस, सतत संसाधनों के ज़रिये युवा महिला शान्तिनिर्माताओं को समर्थन दिया जाना ज़रूरी है ताकि उनका कामकाज फल-फूल सके.

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