भारत की इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) पॉलिसी, एलॉन मस्क की टेस्ला समेत इस सेक्टर की ग्लोबल कंपनियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित कर सकती है। हालांकि, चाइनीज कंपनियों को इस पॉलिसी के तहत छूट नहीं मिलने की संभावना है। भारत की इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी के तहत कुछ शर्तें पूरी करने पर 15 पर्सेंट की छूट मिलती है, मसलन इसके लिए कम से कम 4,150 करोड़ रुपये का निवेश जरूरी है।
एक सीनियर सरकारी अधिकारी ने बताया कि चीन और इससे जुड़ी कंपनियों के लिए छूट का प्रावधान नहीं किए जाने की संभावना है, क्योंकि चीन से जुड़े फॉरेन डायरेक्ट निवेश को लेकर भारत अभी भी काफी सावधानी बरत रहा है। उन्होंने कहा, ‘इंपोर्ट ड्यूटी पॉलिसी में छूट का मसला वास्तविक निवेश से जुड़ा है। BYD की कोई संभावना इसलिए नहीं बनती है, क्योंकि यह इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी की जरूरतों के मुताबिक, एफडीआई (FDI) का वादा नहीं कर पाएगी।
BYD को क्लीयरेंस की जरूरत होगी। इसका मतलब यह है कि उसे मौजूदा 70 से 100 पर्सेंट ड्यूटी का भुगतान करना होगा।’ इलेक्ट्रिक व्हीकल पॉलिसी के मुताबिक, 15 पर्सेंट की दर से इंपोर्ट ड्यूटी का लाभ उठाने के लिए भारत में मैन्युफैक्चरिंग प्लांट स्थापित करने में न्यूनतम निवेश और तीन साल की समयसीमा तय की गई है।
चीन के बारे में क्या कहती है भारत की FDI पॉलिसी
भारतीय कंपनियों के अवसरवादी अधिग्रहण या टेकओवर को रोकने के लिए केंद्र सरकार ने FDI पॉलिसी में संशोधन किया है, खास तौर पर प्रेस नोट 3, अप्रैल 2020 में बदलाव किया गया है। नए नियम के मुताबिक, अगर कोई कंपनी ऐसे देश से ताल्लुक रखती है, जिसकी सीमा भारत से लगती है, तो यह सिर्फ सरकारी रूट के जरिये निवेश कर सकती है। प्रेस नोट 3 के तहत संशोधित नियम 22 अप्रैल, 2020 से लागू हुए हैं।
चीन या किसी अन्य सीमावर्ती देश से जुड़े निवेश के किसी भी प्रस्ताव की विस्तार से जांच-पड़ताल होगी। अधिकारियों के मुताबिक, इस तरह के निवेश की अनुमति प्रेस नोट 3 में मौजूद नियमों के तहत ही मिल सकती है। बहरहाल, चाइनीज इलेक्ट्रिक कंपनियों के लिए सरकार की सख्ती बेहद अहम है, क्योंकि इस सेक्टर की चीन की कंपनियां काफी मजबूत हैं।