सीरिया में क़रीब 14 वर्ष पहले, शान्तिपूर्ण विरोध-प्रदर्शनों का सख़्ती से दमन किए जाने के बाद, गृहयुद्ध शुरू हो गया था, जिससे लाखों लोग विस्थापन का शिकार हुए और देश को भीषण बर्बादी झेलनी पड़ी.
दिसम्बर 2024 में पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद की सत्ता का पतन होने के बाद, सीरिया में स्थिरता क़ायम होने की उम्मीद उपजी थी, मगर पिछले कुछ दिनों में हुई हिंसा से जोखिम बढ़ा है.
हाल के दिनों में सीरिया में पूर्व सरकार के समर्थकों और अन्य हथियारबन्द व्यक्तियों द्वारा किए गए हमलों के बाद जवाबी कार्रवाई में महिलाओं, बच्चों और घायल लड़ाकों समेत पूरे परिवारों को जान से मार दिए जाने की ख़बरें हैं.
मौजूदा कार्यवाहक प्रशासन के सुरक्षा बलों और अज्ञात बन्दूकधारियों द्वारा सम्प्रदाय के आधार पर बिना सुनवाई के ही लोगों की हत्या किए जाने की जानकारी मिली है. अधिकाँश मौतें तटीय प्रान्तों, लताकिया और टारटूस में अल्पसंख्यक अलावाइट सम्प्रदाय के इलाक़ों में हुई हैं, जिसे पारम्परिक रूप से पूर्व असद शासन के समर्थकों के गढ के रूप में देखा जाता है.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने हिंसा में आम नागरिकों हताहत होने की निन्दा की है और ध्यान दिलाया है कि आम नागरिकों की हत्याओं को किसी भी तरह से जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है.
सीरियाई नेतृत्व में बदलाव
विशेष दूत पैडरसन ने दोहराया कि संक्रमणकालीन राजनैतिक प्रक्रिया को सीरियाई आबादी के स्वामित्व और नेतृत्व में आगे बढ़ाया जाना होगा. यूएन इन प्रयासों में अपना योगदान देने के लिए तैयार है.
वहीं, यूएन प्रवक्ता स्तेफ़ान दुजैरिक ने गुरूवार को न्यूयॉर्क में पत्रकारों को जानकारी देते हुए कहा कि देश में समावेशी संक्रमणकालीन राजनैतिक प्रक्रिया को यूएन का समर्थन प्राप्त होगा, जो जवाबदेही तय करने और प्रभावितों पर मरहम लगाने पर केन्द्रित हो.
महासचिव गुटेरेश ने ज़ोर देकर कहा है कि कार्यवाहक प्रशासन ने बार-बार एक नए सीरिया के निर्माण का संकल्प व्यक्त किया है, जोकि सभी सीरियाई नागरिकों के लिए समावेशी, विश्वसनीय बुनियाद पर खड़ा हो.
“यह इस कार्रवाई को करने का समय है.”

सीरिया में 14 वर्षों के भीषण युद्ध के दौरान, कुछ पश्चिमोत्तर इलाक़ों में, भी भारी तबाही हुई है.
पुनर्निर्माण की चुनौतियाँ
सीरिया में राजनैतिक दिशा में हुई प्रगति के बावजूद, देश अब भी गम्भीर मानवीय संकट से गुज़र रहा है.
यूएन शरणार्थी एजेंसी के प्रमुख फ़िलिपो ग्रैंडी ने फ़्रेंच भाषा के एक अख़बार ‘ला मोंड’ में प्रकाशित अपने एक लेख में क्षोभ जताया कि विध्वंस के स्तर की कल्पना नहीं की जा सकती है.
उनके अनुसार किसी भी सेवा या व्यवस्था को नहीं बख़्शा गया, घरों से लेकर जल शोधन संयंत्रों तक. “यदि हम सीरिया की तात्कालिक मानवीय आवश्यकताओं की उपेक्षा करते हैं, तो सामाजिक व राजनैतिक दरारें और गहरी होंगी.”
हाल ही में प्रकाशिक एक UNHCR सर्वेक्षण के अनुसार, क़रीब 27 फ़ीसदी सीरियाई शरणार्थी अगले एक वर्ष के भीतर अपने घर लौटना चाहते हैं. पूर्व असद सरकार के पतन से पहले यह आँकड़ा केवल दो फ़ीसदी था.
हालांकि, अपने घर लौटने के इच्छुक शरणार्थियों को सुरक्षा, राजनैतिक स्थिरता और बुनियादी आवश्यकताओं की क़िल्लत के प्रति चिन्ता है, जो उन्हें अपने देश वापिस आने से रोक रही है.
जवाबदेही, आगे बढ़ने का रास्ता
विशेष दूत पैडरसन ने कहा कि संवैधानिक घोषणापत्र में संक्रमणकालीन प्रक्रिया के लिए एक फ़्रेमवर्क प्रदान किया गया है, मगर इसकी सफलता उसे वास्तविक मायनों में अमल में लाए जाने पर निर्भर करती है.
उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र इस प्रक्रिया का हिस्सा बनने और अपना समर्थन देने के लिए तैयार है.
सीरिया के लिए अगले कुछ महीने बेहद चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं, और उसी अवधि में यह तय होगा कि देश स्थाई शान्ति की दिशा में अग्रसर है या फिर अनिश्चितता के गर्त में धँस रहा है.
यूएन महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि यह सुनिश्चित करना होगा कि सीरिया को युद्ध की परछाई से बाहर लाकर, एक ऐसे भविष्य की ओर ले जाया जाए जो गरिमा व क़ानून के राज से निर्धारित हो, जहाँ सभी की आवाज़ को सुना जाए और किसी समुदाय को पीछे ना छूटने दिया जाए.
