IOM की महानिदेशक एमी पोप ने शुक्रवार को कहा है, “हम बड़े पैमाने पर (लोगों की) वापसी को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं; समुदाय स्पष्ट रूप से उन लोगों को समायोजित करने के लिए तैयार नहीं हैं जो विस्थापित हो गए हैं, और घर वापस आएँगे…इस स्थिति से देश पर बोझ पड़ेगा.”
उन्होंने कहा, “बहुत से लोग वापस लौट आए हैं और उन्होंने पाया है कि उनके घर मलबे में तब्दील हो गए हैं.”
एमी पोप ने सीरिया की राजधानी दमिश्क की यात्रा से लौटने के तुरन्त बाद जिनीवा में पत्रकारों से बातचीत में बताया कि 13 वर्ष के युद्ध ने किस तरह “अस्पतालों, स्कूलों, सामुदायिक केन्द्रों” के अलावा और भी बहुत कुछ नष्ट कर दिया है.
“घरों का पुनर्निर्माण किया जाना, सम्पूर्ण समाधान का केवल एक हिस्सा है, लेकिन [सीरियाई लोगों] के लिए सुरक्षित महसूस करने और अपनी ज़िन्दगियों को फिर से बहाल करने की नींव रखने के लिए स्वास्थ्य सेवा और आवश्यक सेवाओं तक पहुँच की भी आवश्यकता है.”
सीरिया की आधी से ज़्यादा आबादी विस्थापित हो चुकी है, लगभग 1.67 करोड़ लोगों को मानवीय सहायता की ज़रूरत है और 60 लाख से अधिक सीरियाई शरणार्थियों ने पड़ोसी देशों में शरण ली है.
धन की ‘बहुत अधिक’ ज़रूरत
IOM की प्रमुख एमी पोप ने कहा, “वित्तीय संसाधनों और राजनैतिक संसाधनों, दोनों के लिए धन की ज़रूरतें बहुत ज़्यादा होने वाली हैं.”
उन्होंने बताया कि आईओएम “वहाँ की स्थिति का सामना करने में मदद करने के किसी भी प्रयास का हिस्सा होगा”, जिसमें जनवरी में फ़्रांस सरकार द्वारा नियोजित आगामी सीरिया पुनर्निर्माण सम्मेलन भी शामिल है.
वैसे भी हयात-तहरीर अल-शाम (HTS) के लड़ाकों और अन्य समूहों द्वारा असद शासन को उखाड़ फेंकने के बाद, सीरिया में पुनर्निर्माण और निवेश का कार्य कठिन और जटिल बना हुआ है.
विशेष रूप में, वर्ष 2011 में लोकतंत्र समर्थक विरोध प्रदर्शनों के हिंसक दमन के बाद, संयुक्त राज्य अमेरिका और योरोपीय संघ द्वारा लगाए गए प्रतिबन्धों के कारण, सीरिया में हालात और भी जटिल बने हुए हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव ऐंतोनियो गुटेरश ने गुरूवार को कहा कि जब तक उन सदस्य देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबन्धों को हटाने की शर्तें पूरी नहीं हो जाती हैं, तब तक अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से, सीरियाई लोगों के साथ अन्तरराष्ट्रीय एकजुटता बहुत महत्वपूर्ण है.
उन्होंने साथ ही मानवीय सहायता प्रदान करने और अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के प्रयासों का समर्थन करने की तत्काल आवश्यकता पर भी ज़ोर दिया.
IOM की मुखिया एमी पोप ने यूएन प्रमुख की उस अपील को दोहराते हुए, सीरिया में प्रतिबन्धों के प्रभाव का वर्णन किया, जहाँ “लोगों के पास नक़दी तक पहुँच नहीं है…उनके पास ऋण तक पहुँच नहीं है”.
माल ख़रीदे जाने के बजाय, चीज़ों की अदला-बदली की जाती है और वेतन “बहुत कम है और अक्सर उनकी सबसे बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए अपर्याप्त है…इसलिए, स्थिति को फिर से बेहतर बनाने के लिए, उन प्रतिबन्धों पर नए सिरे से विचार किए जाने की आवश्यकता होगी.”