सुरक्षा परिषद द्वारा प्रतिबन्धित आतंकी गुट हयात तहरीर अल-शाम समेत अन्य हथियारबन्द गुटों ने पिछले कुछ दिनों में सीरिया के अनेक शहरों को अपने नियंत्रण में लेने के बाद राजधानी दमिश्क पर भी अपना वर्चस्व स्थापित किया. राष्ट्रपति बशर अल-असद के देश छोड़कर जाने की ख़बरों के बीच बड़ी संख्या में सीरियाई नागरिक जश्न मनाने के लिए सड़कों पर उतरे.
मानवाधिकार मामलों के प्रमुख ने कहा कि सीरियाई नागरिकों के मन में भविष्य के लिए आशा व बेचैनी है. “आशा यह कि ये मानवाधिकारों, आज़ादी व न्याय की बुनियाद में अपने देश के भविष्य को गढ़ने का एक अवसर होगा, और बेचैनी, चूँकि इतना कुछ अभी अनिश्चित है.”
सीरिया में क़रीब डेढ़ दशक से जारी गृहयुद्ध के दौरान, लाखों लोगों की जान गई, लाखों घायल हुए, एक लाख से अधिक लोग ग़ायब हो गए.
जवाबदेही सुनिश्चित किया जाना ज़रूरी
एक करोड़ 40 लाख सीरियाई नागरिक बेहद कठिन परिस्थितियों में अपने घर से विस्थापित होने के लिए मजबूर हुए, जिनमें से बड़ी संख्या में लोगों ने अन्य देशों में शरण ली है.
मानवाधिकार मामलों के प्रमुख ने बताया कि पिछले कुछ वर्षों में, उन्होंने इनमें से अनेक विस्थापितों से मुलाक़ात की और उनकी हताशा, सदमे को प्रत्यक्ष रूप से महसूस किया. इनमें बहुत से लोगों ने यातना, रासायनिक हथियारों के हमले समेत मानवाधिकार उल्लंघन के बेहद गम्भीर मामलों को या तो भुगता था या फिर उन्हें अपने सामने अंजाम दिए जाते हुए देखा.
यूएन उच्चायुक्त के अनुसार, किसी भी राजनैतिक संक्रमणकालीन प्रक्रिया में गम्भीर मानवाधिकार हनन मामलों के दोषियों की जवाबदेही तय की जानी चाहिए. साथ ही, यह गारंटी दी जानी भी ज़रूरी है कि इन्हें अंजाम देने वाले लोगों पर अदालती कार्रवाई की जाएगी.
“यह अनिवार्य है कि सभी साक्ष्यों को जुटाया जाए और भविष्य में इस्तेमाल के लिए लगनता के साथ संरक्षित किया जाए. सुरक्षा तंत्र में सुधार अहम होगा.”
वोल्कर टर्क ने ध्यान दिलाया कि संक्रमणकालीन प्रक्रिया में लापता हुए लोगों की त्रासदी पर भी ध्यान केन्द्रित करना होगा.
सीरिया के कुछ हिस्सों में टकराव अब भी जारी है, जिनमें देश का पूर्वोत्तर हिस्सा भी है. इसके मद्देनज़र, उन्होंने सभी पक्षों से अन्तरराष्ट्रीय मानवतावादी व मानवाधिकार क़ानून के तहत अपने तयशुदा दायित्वों का निर्वहन करने की अपील की है.
मानवाधिकारों की रक्षा
मानवाधिकार मामलों के प्रमुख ने कहा कि सभी अल्पसंख्यकों की रक्षा सुनिश्चित की जानी होगी और बदले की भावना से किए जाने वाले कृत्यों को हर हाल में टालना होगा.
“आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता, राष्ट्र के स्वामित्व में राजनैतिक प्रक्रिया है, जिसके ज़रिये हर तरह की पीड़ा पर विराम लगाया जाए, सभी सीरियाई नागरिकों की आकाँक्षाओं को साकार किया जाए और सच्चाई, न्याय, मुआवज़े, मरहम लगाने और आपसी मेलमिलाप को प्रोत्साहन मिले.”
मानवाधिकार उच्चायुक्त ने कहा कि सभी सीरियाई नागरिकों के मानवाधिकारों की रक्षा को, इस प्रक्रिया के मूल में रखा जाना होगा, और महिलाओं व युवजन समेत उनकी भागेदारी सुनिश्चित करनी होगी.
“सीरिया की सम्प्रभुता, स्वाधीनता व क्षेत्रीय अखंडता को बहाल किया जाना होगा. मेरा कार्यालय इस संक्रमणकालीन प्रक्रिया को समर्थन देने के लिए तैयार है.”
इससे पहले, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने रविवार को जारी अपने वक्तव्य में कहा कि सीरिया में पिछले 14 वर्ष से जारी बर्बर युद्ध और लम्बे तानाशाही शासन के पतन के बाद, आम नागरिकों के पास एक स्थिरता भरे व शान्तिपूर्ण भविष्य की ओर बढ़ने का अवसर है.
उन्होंने इस सम्वेदनशील क्षण में बिना किसी भेदभाव के सभी सीरियाई नागरिकों के अधिकारों की रक्षा किए जाने की पुकार दोहराई है.