मार्च महीने में सीरिया में हिंसक टकराव को शुरू हुए 13 वर्ष पूरे हो गए हैं, जिसमें आम नागरिकों पर व्यवस्थागत ढंग से अत्याचार हुआ है और उन्हें विशाल पीड़ा भोगनी पड़ी है.
संयुक्त राष्ट्र के एक अनुमान के अनुसार, सीरिया में 1.67 करोड़, यानि देश की क़रीब 70 प्रतिशत आबादी को वर्ष 2024 में मानवीय सहायता की आवश्यकता है.
युद्ध से पहले देश की कुल आबादी का लगभग 50 फ़ीसदी देश की सीमाओं के भीतर या अन्य देशों में विस्थापित है.
सीरिया में मौजूदा हालात, पिछले वर्ष फ़रवरी में देश के पूर्वी हिस्से में आए सिलसिलेवार भूकम्पों से हुए नुक़सान की वजह से और जटिल हो गए, जिसमें 5,900 लोगों की जान गई थी.
इस आपदा में बुनियादी ढाँचे को गम्भीर क्षति पहुँची और अपनी बुनियादी आवश्यकताओं को पूरा करने में कठिनाई का सामना करने वाले लाखों लोगों के लिए गुज़र-बसर और चुनौतीपूर्ण हो गई.
विशाल मानवीय सहायता आवश्यकताओं के बीच, ज़रूरतमन्दों तक राहत पहुँचाने के लिए धनराशि अपने निम्नतम स्तर पर पहुँच गई है.
पिछले वर्ष, यूएन के नेतृत्व में मानवीय सहायता प्रयासों के लिए 5.41 अरब डॉलर की अपील की गई थी, जिसमें से केवल दो अरब डॉलर का ही प्रबन्ध हो पाया.
हरसम्भव प्रयास ज़रूरी
महासचिव गुटेरेश ने अपने वक्तव्य में सभी हितधारकों से आग्रह किया है कि सीरिया में एक वास्तविक और विश्वसनीय राजनैतिक समाधान पर पहुँचने के लिए हरसम्भव उपाय किए जाने होंगे.
उनके अनुसार सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 2254 के तहत, एक ऐसा समाधान ढूंढा जाना होगा जिसमें सीरियाई नागरिकों की जायज़ आकाँक्षाओं की पूर्ति हो, और देश की सम्प्रभुता, एकता, स्वतंत्रता व क्षेत्रीय अखंडता बहाल हो सके.
यूएन प्रमुख ने कहा कि सीरियाई शरणार्थियों की स्वैच्छिक व गरिमामय देश वापसी के लिए अनुकूल परिस्थितियाँ तैयार करना भी ज़रूरी है.
आम नागरिकों की रक्षा
यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने ज़ोर देकर कहा कि आम नागरिकों और प्रतिष्ठानों की सुरक्षा की जानी होगी, और देश में आतंकवाद से निपटने के लिए एक रणनैतिक दृष्टिकोण अपनाने की आवश्यकता है.
महासचिव ने कहा कि सभी अहम पक्षों को आगे बढ़कर इन सभी उपायों पर विचार करना होगा, चूँकि सीरिया की एक पूरी पीढ़ी ने मौजूदा टकराव की एक बड़ी क़ीमत चुकाई है.
उन्होंने ध्यान दिलाया कि लोगों को मनमाने ढंग से हिरासत में लेने, लोगों के जबरन ग़ायब होने, न्यायेतर हत्याएँ किए जाने, यौन व लिंग आधारित हिंसा को अंजाम देने समेत मानवाधिकार हनन के मामलों का जारी रहना, सीरिया में सतत शान्ति के रास्ते में एक बड़ी बाधा हैं.