इसके मद्देनज़र, संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से आग्रह किया है कि वादों से आगे बढ़कर अब कार्रवाई पर ध्यान देना होगा ताकि सम्वेदनशील परिस्थितियों से जूझ रहे लोगों को मदद पहुँचाई जा सके.
बहुत से परिवारों के पास पर्याप्त आश्रय व्यवस्था नहीं है और उनके पास गुज़र-बसर के साधन भी कम हैं.
सीरिया में यूएन शरणार्थी एजेंसी के प्रतिनिधि ग़ोन्ज़ालो वर्गास ल्लोसा ने बताया कि पिछले कुछ हफ़्तों में, उच्चस्तरीय अन्तरराष्ट्रीय गलियारों में जल्द पुनर्बहाली व पुनर्निर्माण प्रक्रिया की शुरुआत करने की बात कही गई है.
“लेकिन, जब तक हम शब्दों से कार्रवाई पर नहीं लौटते हैं, देश लौटने वाले अनेक लोगों के लिए…सीरिया में उनके नए जीवन का अर्थ, दुर्भाग्यवश, प्लास्टिक शीट में सोना है.”
चुनौतीपूर्ण हालात से जूझ रहे सीरिया के शान्तिपूर्ण भविष्य के लिए बुधवार को सुरक्षा परिषद की एक अहम बैठक हुई थी.
पिछले 14 वर्षों से गृहयुद्ध में झुलसने के बाद, 8 दिसम्बर को पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के शासन का पतन हो गया. हयात तहरीर अल-शाम (एचटीएस) समेत अन्य हथियारबन्द गुटों ने तेज़ी से राजधानी दमिश्क समेत अनेक शहरों पर अपना नियंत्रण स्थापित कर लिया था.
इसके बाद, मानवीय सहायता संगठनों की सीरिया में वापसी हुई है, मगर देश के शहरों व क़स्बों में बड़े पैमाने पर बर्बादी हुई, जिससे उबरने के लिए विशाल सहायता प्रयासों की आवश्यकता है.
शरणार्थियों के वापिस लौटने के अलावा, युद्ध के कारण देश की सीमाओं के भीतर विस्थापित हुए क़रीब पाँच लाख लोग भी पिछले वर्ष के अन्त तक पश्चिमोत्तर सीरिया लौटे हैं.
यूएन मानवतावादी कार्यालय के अनुसार, असद शासन के पतन से पहले, सीरिया में 74 लाख लोग आन्तरिक रूप से विस्थापित थे.
इनमें से 23 लाख लोग विस्थापितों के लिए बनाए गए कैम्प में रह रहे हैं. देश में कुल 1.67 करोड़ लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं.
सुरक्षा परिषद में चर्चा के बाद, इटली, फ़्राँस, जर्मनी, ब्रिटेन और अमेरिका के साथ-साथ योरोपीय संघ में विदेश मामलों के प्रतिनिधि गुरूवार को सीरिया मे हालात पर विचार-विमर्श के लिए मिल रहे हैं.