यूएन महासभा ने क़ानूनी रूप से बाध्यकारी इस सन्धि को मंगलवार को पारित किया है, और यह पिछले पाँच वर्षों से यूएन सदस्य देशों के प्रयासों का नतीजा है. इस प्रक्रिया में नागरिक समाज, सूचना सुरक्षा विशेषज्ञों, शिक्षा जगत और निजी सैक्टर के प्रतिनिधियों की भी राय ली गई.
यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने इस सन्धि पर सहमति बनने का स्वागत किया है. पिछले 20 वर्षों में अन्तरराष्ट्रीय आपराधिक न्याय के लिए यह पहली सन्धि है.
उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि यह सन्धि कठिन दौर में बहुपक्षवाद की सफलता की परिचायक है और साइबर अपराधों का मुक़ाबला करने और अन्तरराष्ट्रीय सहयोग के ज़रिये उनकी रोकथाम करने के लिए सदस्य देशों की सामूहिक भावना को प्रदर्शित करती है.
यूएन प्रमुख के अनुसार, इस कन्वेंशन से सहयोग का एक अभूतपूर्व प्लैटफ़ॉर्म तैयार होगा, साक्ष्यों का आदान-प्रदान किया जा सकेगा, पीड़ितों और ऑनलाइन माध्यमों पर मानवाधिकारों की रक्षा की जा सकेगी.
“महासचिव को भरोसा है कि इस नई सन्धि से एक सुरक्षित साइबर जगत को बढ़ावा मिलेगा, और उन्होंने सभी सदस्य देशों से इस कन्वेंशन में शामिल होने और प्रासंगिक हितधारकों के सहयोग से इस अमल में लाने का आग्रह किया है.”
यूएन महासभा के अध्यक्ष फ़िलेमॉन यैंग ने कहा कि इस सन्धि के पारित होने से साइबर अपराधों की रोकथाम, उनसे निपटने के लिए अन्तरराष्ट्रीय सहयोग को मज़बूती मिलेगी और आम नागरिकों के अधिकारों की रक्षा होगी.
193 सदस्य देशों वाली यूएन महासभा में इस सन्धि की स्वीकृति के लिए लाए गए प्रस्ताव को बिना मतदान के पारित किया गया.
साइबर अपराधों पर लगाम
साइबर अपराधों के विरुद्ध इस सन्धि में सूचना व संचार टैक्नॉलॉजी के ग़लत इस्तेमाल से उपजने वाले ख़तरों को रेखांकित किया गया है, जिनकी वजह से अभूतपूर्व गति व दायरे में आपराधिक गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है.
इन अपराधों का देशों, उद्यमों, आम नागरिकों व समाजों पर गहरा असर हो रहा है. इसके मद्देनज़र, यह सन्धि इन साइबर अपराधों, आतंकवाद, मानव तस्करी, ड्रग तस्करी और ऑनलाइन माध्यमों पर वित्तीय धोखाधड़ी से मुक़ाबले पर केन्द्रित है.
इस कन्वेंशन में साइबर अपराधों से आम नागरिकों पर होने वाले असर पर चिन्ता जताई गई है और सभी भुक्तभोगियों के लिए न्याय को प्राथमिकता देने पर बल दिया गया है, विशेष रूप से निर्बल समूहों के लिए.
साथ ही, तकनीकी सहायता, क्षमता-निर्माण और सदस्य देशों व सभी हितधारकों के साथ आपसी सहयोग को प्रोत्साहन देना अहम होगा.
वियत नाम के हनोई शहर में इस सन्धि को एक औपचारिक समारोह में हस्ताक्षर के लिए प्रस्तुत किया जाएगा. 40 हस्ताक्षरकर्ता देशों द्वारा मुहर लगाए जाने के 90 दिन बाद यह सन्धि अमल में आ जाएगी.