विश्व

सहायता पहुँचाने की एक लाख वजहें: आर्मीनिया में IOM के सक्रिय राहत प्रयास

सहायता पहुँचाने की एक लाख वजहें: आर्मीनिया में IOM के सक्रिय राहत प्रयास

गोरिस, 20 हज़ार की आबादी वाला एक बेहद सुन्दर नगर है, जोकि आर्मीनिया के दक्षिणी हिस्से में ऊँची पहाड़ियों में बसा हुआ है.. यह अज़रबैजान की सीमा से 25 किलोमीटर दूर, लाचिन गलियारे की ओर है.

सितम्बर के अन्तिम सप्ताह में, एक लाख से अधिक जातीय आर्मीनियाई लोग काराबाख़ क्षेत्र छोड़ा और गोरिस पहुँचे. 

इस पृष्ठभूमि में, संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों द्वारा स्थानीय सरकारी एजेंसियों और राहत साझेदार संगठनों के साथ मानवीय सहायता कार्रवाई एक अनिवार्यता बन गई.

इसके लिए टैंटों में लोगों के रहने, सचल रसोई, शौचालयों, कपड़ों, स्वास्थ्य केन्द्रों, खेलकूद स्थलों की व्यवस्था की गई, और हालात को बिगड़ने से टालने के लिए रातों-रात एक पंजीकरण केन्द्र स्थापित किया गया.

अक्टूबर महीने के पहले सोमवार तक, गोरिस नगर फिर से पहले जैसा शान्त हो गया. हर एक के लिए किसी ना किसी प्रकार से अस्थाई तौर पर रहने की व्यवस्था हो गई. 

सरकार द्वारा 40 हज़ार लोगों को होटेल और सामुदायिक केन्द्रों में ठहराया गया है, जबकि अन्य के लिए उनके परिवारों और मित्रों ने प्रबन्ध किया है. इसके अलावा, सोशल मीडिया मुहिम के ज़रिये स्वैच्छिक संगठनों ने भी मदद की है.

काराबाख़ से पलायन करने वाले लोगों को गोरिस में मानवीय सहायता दी जा रही है.

काराबाख़ से पलायन करने वाले लोगों को गोरिस में मानवीय सहायता दी जा रही है.

समस्या का हल हुआ?

असल में ये नहीं हो पाया. आर्मीनिया के समक्ष अब वहाँ पहुँचने वाले लोगों को समाज में एकीकृत करने की चुनौती है. 

यूएन प्रवासन एजेंसी के क्षेत्रीय निदेशक मैनफ़्रेड प्रोफ़ाज़ी ने बताया कि “उनके लिए घरों, स्कूलों, अस्पतालों, नौकरियों की आवश्यकता होगी, वो सभी चीज़ें, जिन्हें वे अपने लिए मानकर चलते थे.”

क्षेत्रीय निदेशक मैनफ़्रेड प्रोफ़ाज़ी ने आर्मीनिया के अपने तीन दिवसीय दौर के बाद यह बात कही. उन्होंने यूएन एजेंसी द्वारा संचालित सचल स्वास्थ्य केन्द्रों को देखा, जिनकी देश भर में शुरुआत की गई है, ताकि वहाँ पहुँचने वाले लोगों के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा किया जा सके.

उन्होंने बताया कि यहाँ पहुँचने वाले लोगों ने 30 वर्षों से जारी संघर्ष का सामना किया है, अपने घरों, पारिवारिक स्मृतियों और समुदायों को खोया है.

“वे सदमे में है और बुरी तरह थक चुके हैं. बच्चों और बुज़ुर्गों की विशेष रूप से ख़राब हालत है. हम सर्दी के मौसम से पहले उन तक मदद पहुँचाने के लिए तेज़ी से अपने प्रयासों का विस्तार कर रहे हैं.”

स्वास्थ्य सेवाएँ

यूएन एजेंसी के हर सचल क्लीनिक में एक मनोचिकित्सक, अन्य डॉक्टर्स के साथ मिलकर काम कर रहा है, जिनकी ज़िम्मेदारी प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, रोग निदान व उपचार के लिए जानकारी प्रदान करना, और सदमे से जूझ रहे लोगों की शिनाख़्त व उनकी सहायता करना है. 

इसके अलावा, प्रभावितों को उनकी मौजूदा स्थिति को समझने और तनाव से मुक्त भविष्य की दिशा में आगे बढ़ने के प्रयास किए जाएंगे.

IOM चिकित्सक, एक नए सचल स्वास्थ्य केन्द्र में मरीज़ों की जाँच कर रही हैं.

IOM चिकित्सक, एक नए सचल स्वास्थ्य केन्द्र में मरीज़ों की जाँच कर रही हैं.

आर्मीनिया में यूएन प्रवासन एजेंसी कार्यालय में परियोजना समन्वयक नूने असात्रयान ने बताया कि सचल स्वास्थ्य क्लीनिक, निर्बल आबादियों तक स्वास्थ्य सेवाओं को पहुँचाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं. 

दूरदराज़ के इलाक़ों में रह रहे लोगों और ग्रामीण समुदायों के लिए यह बात विशेष रूप से लागू होती है. उन्होंने बताया कि मनोचिकित्सा थेरेपी के ज़रिये निजी चुनौतियों से कारगर ढंग से निपटने और तनाव व पीड़ा में कमी लाने में मदद मिलेगी.

अन्तर-एजेंसी सहायता प्रयास

यूएन प्रवासन संगठन, अन्तर-एजेंसी समूह के एक हिस्से के तौर पर, आर्मीनिया सरकार की अगुवाई में एक सहायता योजना को समर्थन प्रदान कर रही है. आर्मीनिया में यूएन एजेंसी के कार्यालय की प्रमुख इलोना तेर मिनास्यान ने बताया कि उनकी टीम अनेक क्षेत्रों में सक्रिय होगी.

उनके अनुसार सचल स्वास्थ्य केन्द्रों में अहम कामकाज के अलावा, IOM की आश्रय प्रदान करने, शुरुआत में हालात बहाल करने और संरक्षण सुनिश्चित करने में भूमिका है.

“अनेक महिलाएँ, यौन या अन्य मक़सदों से तस्करी और लिंग-आधारित हिंसा के प्रति सम्वेनशील हैं. वैश्विक स्तर पर, आबादियों को इनके जोखिमों के प्रति सचेत करना हमारी विशेषज्ञता है, जोकि इस सन्दर्भ में अहम होगी.”

यूएन प्रवासन संगठन की मंशा है कि उनके संगठन से मिलने वाला सहयोग, लम्बे समय के लिए जारी रहे. मानवतावादी समर्थन के साथ, स्थाई समाधान.  मगर, मुख्यत: यह नज़दीकी के बारे में है, जिस मदद की लोगों को जहाँ भी ज़रूरत है, उसे मुहैया कराया जाना.

काराबाख़ क्षेत्र से एक लाख से अधिक लोग अपने घर व सम्पत्तियाँ छोड़कर आर्मीनिया पहुँचे हैं.

काराबाख़ क्षेत्र से एक लाख से अधिक लोग अपने घर व सम्पत्तियाँ छोड़कर आर्मीनिया पहुँचे हैं.

गयाने ने अन्तिम बार डॉक्टर को तब देखा था, जब उन्होंने छह वर्ष पहले अपनी दूसरी बेटी को जन्म दिया. “मैंने यहाँ सुबह क्लीनिक को देखा, लेकिन सोचा कि मैं ठीक हूँ. यह मेरे लिए नहीं है.”

जब वो डॉक्टर से मिल रही थीं, तो IOM के एक कर्मचारी ने उनकी दो बेटियों की देखभाल करने की पेशकश की. उन्होंने देखा कि मेरा रक्तचाप अधिक था और मुझे दवाओं व नियमित जाँच की आवश्यकता है.

गयाने मुस्कुराते हुए क्लीनिक से बाहर आईं. उनके जैसे हज़ारों अन्य लोगों की आगामी महीनों में मदद की जाएगी, और हज़ारों अन्य को यूएन प्रवासन एजेंसी से अन्य प्रकार की सहायता मिलेगी.

वही मदद जिसकी उन्हें ज़रूरत है, और जब कभी भी ज़रूरत है. 

Source link

Most Popular

To Top