यमन के लिए संयुक्त राष्ट्र के विशेष दूत हैंस ग्रंडबर्ग ने यमन के हूथी विद्रोही लड़ाकों द्वारा सैन्य टकराव भड़काने वाली गतिविधियों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने बताया कि पिछले साल ग़ाज़ा में हमास की सैन्य कार्रवाई के समर्थन में हूथी विद्रोहियों ने लाल सागर में अन्तरराष्ट्रीय जहाज़ों पर हमले किए, जिससे जवाब में अमेरिका, ब्रिटेन और इसराइल समेत कई देशों ने सैन्य कार्रवाई की.
यमन के लाल सागर बन्दरगाहों और सना अन्तरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर हुए हमलों समेत इन सभी हमलों में, नागरिक बुनियादी ढाँचे को गम्भीर नुक़सान पहुँचा और मानवीय सहायता अभियानों में बाधा पड़ी है.
संयुक्त राष्ट्र आपातकालीन राहत समन्वयक, जॉयस म्सूया ने कहा कि मानवीय राहत प्रयासों के लिए आवश्यक बुनियादी ढाँचे को सुरक्षित रखना बेहद ज़रूरी है. उन्होंने कहा कि मानवीय गतिविधियों में बाधा पड़ने से “सीधे तौर पर नागरिकों को विशाल कठिनाइयों व पीड़ा” का सामना करना पड़ता है.
गम्भीर मानवीय परिणाम
इस संघर्ष का मानवीय प्रभाव यह रहा है कि यमन की लगभग आधी आबादी – यानि 1 करोड़ 70 लाख से अधिक लोग, अपनी बुनियादी खाद्य आवश्यकताएँ पूरा करने में भी असमर्थ हो गए हैं.
इसकी कुछ वजह बंदरगाह पर परिचालन में गम्भीर गिरावट है. यमन के लोगों के भोजन का दो-तिहाई हिस्सा और 90 प्रतिशत चिकित्सा आपूर्ति आयात पर निर्भर है – जो मुख्यत: लाला सागर पर स्थित हुदायदाह बंदरगाह के ज़रिए आता है.
हूथी (जिसे पहले अंसार अल्लाह गुट के नाम से जाना जाता था) के ग़ाज़ा संघर्ष में शामिल होने के बाद लड़ाई में वृद्धि के कारण, बन्दरगाहों के ज़रिए आयातित सामग्री, अपनी पूर्ण क्षमता से घटकर केवल 30 प्रतिशत रह गई है.
इस बीच, हैजा के प्रकोप और कुपोषण ने असंगत रूप से महिलाओं, बच्चों और हाशिए पर धकेले हुए कमज़ोर समूहों को प्रभावित किया है.
शान्ति की राह
दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने एकजुट होकर, तत्काल कार्रवाई करने की आवश्यकता पर बल दिया. हैंस ग्रंडबर्ग ने कहा, “काफ़ी हद तक, क्षेत्रीय स्थिरता, यमन में शान्ति स्थापना पर निर्भर करती है.
उन्होंने राष्ट्रव्यापी युद्धविराम और यमन की आर्थिक चुनौतियों को हल करने के लिए सभी पक्षों से ठोस प्रतिबद्धताएँ जताने का आग्रह किया. इसमें केन्द्रीय बैंक को एकीकृत करना और तेल निर्यात फिर से शुरू करना शामिल है.
उनके कार्यालय ने महिलाओं और युवजन की सार्थक भागेदारी को प्राथमिकता देते हुए, यमन के भविष्य के लिए एक समावेशी दृष्टिकोण बनाने के लिए राजनैतिक सम्वादों की एक श्रृँखला शुरू की है.
उन्होंने कहा, “यह प्रयास, व्यापक राजनैतिक प्रक्रिया की नींव रखने के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं.”
उन्होंने मनमाने ढंग से हिरासत में लिए गए व्यक्तियों के परिवारों की गहरी पीड़ा की ओर ध्यान खींचते हुए, उनकी तत्काल रिहाई का आहवान किया.
तत्काल कार्रवाई की मांग
जॉयस म्सूया ने सुरक्षा परिषद से अन्तरराष्ट्रीय मानवीय क़ानून का सम्मान सुनिश्चित करने, महत्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की रक्षा करने और मानवीय अभियानों को पर्याप्त फण्डिंग प्रदान करने का आग्रह किया.
सतर्क आशावाद व्यक्त करते हुए उन्होंने बताया कि मानवीय कार्रवाई के लिए पहुँच हासिल करने में “मामूली लेकिन लगातार प्रगति” हो रही है. इसमें 2016 के बाद पहली बार विवादित दक्षिणी शहर ता’इज़ में फ्रण्टलाइन को पार करने का भी उल्लेख किया गया.
हैंस ग्रंडबर्ग ने कहा, “इस परिषद की एकता और सभी पक्षों को एक सौहार्दपूर्ण समझौते के महत्व पर इसका सुसंगत सन्देश, आने वाले महीनों में बहुत महत्वपूर्ण होगा.
दोनों वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बात पर बल दिया कि एक स्थाई राजनैतिक समाधान ही यमन में व्याप्त पीड़ा को समाप्त करने का सबसे व्यवहारिक तरीक़ा है.