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श्रीलंका: सीखने के लिए तत्पर, नन्हा विष्णु!

श्रीलंका: सीखने के लिए तत्पर, नन्हा विष्णु!

5 वर्षीय विष्णु, श्रीलंका के पूर्वी प्रान्त में वलाच्चेनई के छोटे से गाँव के स्कूल में वापस आकर ख़ुश है.

विष्णु, प्री-प्राईमरी स्कूल द्वारा प्रदान किए जा रहे मध्यान्ह भोजन से मिलने वाले पोषण के कारण, ऊर्जावान है, स्कूली शिक्षा के प्रति उसका दृष्टिकोण सकारात्मक है; और प्री-प्राईमरी स्कूल की गतिविधियों में भाग लेने के लिए उत्सुक रहता है.

विष्णु बताता है, “मुझे पहले स्कूल आने में अच्छा नहीं लगता था. मैं अपनी पढ़ाई और पाठ्येतर गतिविधियों पर ध्यान केन्द्रित नहीं कर पाता था, क्योंकि मुझे हमेशा भूख लगती रहती थी. घर पर पर्याप्त नाश्ता उपलब्ध नहीं था.”

“मेरे पिता हमें छोड़कर चले गए थे. मैं अपनी माँ के साथ, अपनी मौसी के यहाँ रहता हूँ. मेरी माँ काम नहीं करती. वह घर व बच्चों की देखभाल करने में मौसी की मदद करती है.”

विष्णु की 24 वर्षीय माँ पीरसन्थिनी, अपने बेटे को शिक्षित करने के लिए अथक परिश्रम करती हैं. उन्होंने बताया, “जब से मेरे पति ने हमें छोड़ा है, तब से भरण-पोषण एक चुनौती रहा है. आर्थिक संकट के कारण स्थिति और भी बदतर हो गई है. मैं अपनी बहन के साथ यहाँ रहती हूँ. यहाँ मेरे सिर पर छत है, और मुझे दो वक़्त का भोजन मिल जाता है.”

वलच्चेनई समुदाय, गुज़र-बसर के लिए मुख्य रूप से कृषि और मछली पालन पर निर्भर है. उनके गाँव में स्वास्थ्य और परिवहन जैसी बुनियादी सेवाओं तक पहुँच सीमित है. 2022 में शुरू हुए आर्थिक संकट ने उनकी संवेदनशीलता और बढ़ा दी है.

अभावों की समझ

विष्णु के प्री-स्कूल की शिक्षिका कविता ने बताया कि ये बच्चे और उनके परिवार न केवल आर्थिक रूप से निर्धन थे, बल्कि बच्चों की पोषण सम्बन्धी आवश्यकताओं से भी अनभिज्ञ थे.

उन्होंने कहा, “चूँकि मैं इसी समुदाय से हूँ, मैं अपने समुदाय के मुद्दों और जिन अभावों का सामना बच्चे कर रहे हैं, उन्हें समझती हूँ, जो आर्थिक संकट के कारण बदतर हो गए हैं.”

देश भर के परिवार आर्थिक कठिनाइयों की कठोर वास्तविकताओं से जूझ रहे हैं, जिससे बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और समग्र कल्याण पर व्यापक असर पड़ा  है. नतीजतन, बच्चों के विकास और सीखने में बाधाएँ एवं विभिन्न प्रकार के अल्पपोषण के उच्च जोखिम का सामना करना पड़ता है – विशेष रूप से छोटे बच्चों को, क्योंकि वे अपने नियादी प्रारम्भिक पोषण ज़रूरतों से भी वंचित होने के ख़तरे में रहते हैं.

यूनीसेफ़ ने श्रीलंका में अत्यधिक पिछले आठ ज़िलों में, प्री-प्राइमरी स्कूलों में आहार योजना के लिए, स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर काम किया है.

UNICEF/UN0801936/UNICEF Sri Lanka

जवाबी कार्रवाई के रूप में, यूनीसेफ़ ने आठ सबसे वंचित ज़िलों के स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर, प्री-स्कूली स्तर पर पोषण संवेदनशील भोजन कार्यक्रमों का समर्थन किया. यह कार्यक्रम सितम्बर 2022 में शुरू हुआ, जिसका उद्देश्य छोटे बच्चों की पोषण एवं शिक्षा तक निरन्तर पहुँच सुनिश्चित करना है.

अभी तक प्री-स्कूल भोजन कार्यक्रम, आठ ज़िलों के 1500 से अधिक संसाधन-वंचित प्री-स्कूलों और देखभाल केन्द्रों के 37 हज़ार से अधिक बच्चों तक पहुँच रहा है.

आठ में से सात ज़िलों में इस कार्यक्रम के लिए, ऑस्ट्रेलिया के यूनीसेफ़ कार्यालय से वित्त पोषण मुहैया करवाया गया है.

कविता बताती हैं, “सुबह का भोजन, बच्चों के लिए बहुत फायदेमन्द होता है. एक शिक्षिका होने के नाते, मैं अपने बच्चों की ज़िन्दगी बदलने का यह अवसर मिलने पर प्रसन्न हूँ.”

साम्प्रदायिक एकजुटता और युवाओं के कल्याण के प्रति प्रतिबद्धता जताते हुए, प्री-स्कूली छात्रों की माताओं ने भोजन तैयार करने और परोसने की ज़िम्मेदारी संभाली है.

समिति की एक सदस्या 27 वर्षीय महेला बताती हैं, “समग्र भोजन कार्यक्रम की देखरेख के लिए माताओं की एक समिति बनाई गई है. हमने माताओं को स्कूल में बच्चों के लिए भोजन पकाने के साथ-साथ, स्कूल परिसर व उनके घरों में पौष्टिकता की समय पर एवं गुणवत्तापूर्ण खाद्य आपूर्ति सुनिश्चित करने की ज़िम्मेदारी सौंपी हैं.”

“भोजन जुटाने से लेकर, तैयार करने व परोसने में माताओं से मिली मदद के कारण, शिक्षक अपना पूरा ध्यान शिक्षा पर केन्द्रित करने में सक्षम हैं. यह हमें स्वामित्व की भावना देता है और कार्यक्रम को टिकाऊ बनाता है.”

समुदाय में एकजुटता

प्री-स्कूल की शिक्षिका, शान्तिराकला कहती हैं, “इस भोजन कार्यक्रम से समुदाय एकजुट हुआ है. बच्चों को अब पौष्टिक भोजन मिल रहा है, परिवारों का बोझ कम हो रहा है. भोजन कार्यक्रम के कारण, बच्चों की स्कूल में उपस्थिति लगातार बनी हुई है, और वे पाठन व पाठ्येतर गतिविधियों में सक्रिय रूप से योगदान कर रहे हैं.”

श्रीलंका स्थित यूनीसेफ़ की शिक्षा प्रमुख, ताकाहो फुकामी ने कहा, “यूनीसेफ़ ऑस्ट्रेलिया से समर्थन मिलना बहुत महत्वपूर्ण व सराहनीय है. पोषण-संवेदनशील प्री-स्कूली भोजन कार्यक्रम न केवल कमज़ोर बच्चों की तत्काल मानवीय ज़रूरतों को पूरा करने में मदद करता है, बल्कि छोटे बच्चों के बचपन के उस महत्वपूर्ण जीवन चक्र पर स्थाई प्रभाव भी डालता है, जिसमें जीवन भर सीखने और समग्रता विकास की ठोस नींव रखी जानी चाहिए.”

“श्रीलंका में मानवीय ज़रूरतें जारी हैं और इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम को बढ़ाने के लिए अधिक से अधिक संसाधन जुटाने की भी सख़्त आवश्यकता है. यह एक ऐसा आवश्यक समर्थन है जिसके लिए यूनीसेफ़, सरकार एवं स्कूल समुदायों के एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में काम कर रहा है, और जिसका सकारात्मक प्रभाव आने वाली पीढ़ियाँ महसूस कर पाएंगी.”

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