उद्योग/व्यापार

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बाद क्या म्यूचुअल फंड निवेश की स्ट्रैटेजी में बदलाव जरूरी है?

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बाद क्या म्यूचुअल फंड निवेश की स्ट्रैटेजी में बदलाव जरूरी है?

शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव की वजह से निवेशकों में घबराहट का माहौल है। पिछले हफ्ते रिकॉर्ड हाई पर पहुंचने के बाद BSE सेंसेक्स में तकरीबन 3,000 अंकों की गिरावट है, जबकि NSE का निफ्टी सूचकांक 4 पर्सेंट लुढ़क चुका है। सेंसेक्स में 23 जनवरी को 1,000 अंकों की गिरावट देखने को मिली, जबकि 24 जनवरी को यह 689 ऊपर चढ़ गया। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के इस माहौल में क्या निवेशकों को अपने म्यूचुअल फंड इनवस्टमेंट रोडमैप की समीक्षा करनी चाहिए?

गिरावट की वजह

सेंसेक्स और निफ्टी50 में 23 जनवरी को 1.5-1.5 पर्सेंट की गिरावट हुई। इस दिन फार्मा को छोड़कर सभी सेक्टर के शेयरों में बिकवाली देखने को मिली। स्टॉक्सबॉक्स (StoxBox) में टेक्निकल एंड डेरिवेटिव एनालिस्ट अवधूत बागकर ने बताया, ‘ प्रमुख सूचकांकों में शुरुआत बढ़त के साथ हुई, लेकिन दिन में कारोबारा के दौरान सूचकांक एक महीने के निचले स्तर पर पहुंच गए। कुल 13 में से 11 सेक्टरों में गिरावट थी। सबसे ज्यादा गिरावट निफ्टी मीडिया और रियल्टी सेक्टरों में थी। मिड-कैप और स्मॉल-कैप सूचकांकों में 3-3 पर्सेंट की गिरावट रही।’

एक्सपर्ट्स के मुताबिक, बाजार में करेक्शन की मुख्य वजह फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इनवेस्टर्स (FIIs) द्वारा लगातार बिकवाली रही, जिन्हें पिछले 5 सत्रों में 27,830 करोड़ के शेयरों की बिक्री की। इसके अलावा, यह भी खबर है कि सेबी फॉरेन पोर्टफोलियो इनवेस्टर्स (FPIs) से जुड़े नियमों में सख्ती कर रहा है। निवेशकों को आने वाले दिनों में FPIs द्वारा और बिकवाली की उम्मीद है।

आपकी स्ट्रैटेजी क्या होनी चाहिए?

पिछले दो साल में म्यूचुअल फंडों के जरिये स्मॉल-कैप और मिड-कैप में काफी निवेश हुआ है, जबकि लार्ज-कैप फंडों का फ्लो अपेक्षाकृत सीमित रहा है। हालांकि, एक्सपर्ट्स का मानना है कि मिड-कैप और स्मॉल-कैप स्टॉक के मुकाबले लार्ज-कैप स्टॉक में निवेश की स्थिरता बनी रहेगी, क्योंकि इस सेगमेंट में सुरक्षा की संभावना ज्यादा है।

क्रीडेंस वेल्थ एडवाइजर्स (Credence Wealth Advisors) के फाउंडर कीर्तन शाह ने बताया, ‘पारंपरिक तौर पर भारती शेयर बाजार के लिए जनवरी बुरा समय होता है। रिटेल इनवेस्टर के तौर पर अगर आप लॉन्ग टर्म निवेश में दिलचस्पी रखते हैं, तो आपको शॉर्ट टर्म में होने वाले उतार-चढ़ाव की चिंता नहीं करनी चाहिए। यह समय लॉन्ग टर्म निवेशकों के लिए खरीदारी का अवसर होता है।’ हालांकि, अगर आप शॉर्ट टर्म इनवेस्टर हैं, तो आपको थोड़ा सतर्क रहने की जरूरत है।

SIPs में बने रहें

शेयर बाजार में एक हफ्ते में 4 पर्सेंट की गिरावट उल्लेखनीय है। हालांकि, म्यूचुअल फंड इनवेस्टमेंट की रणनीति में बदलाव का फैसला कई फैक्टर्स पर निर्भर है। यह काफी कुछ निवेशकों के वित्तीय लक्ष्यों पर भी निर्भर करता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, सिस्टमेटिक इनवेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिये निवेश करने वालों को अपने रवैये में बदलाव की जरूरत नहीं है। यहां यह समझना जरूरी है कि SIPs सुनिश्चित रिटर्न का आश्वासन नहीं देते हैं। बहरहाल, यह अनुमान लगाया जा रहा है कि बाजार में लॉन्ग टर्म में बढ़ोतरी देखने को मिलेगी और यह SIP निवेशकों के लिए फायदे का सौदा हो सकता है।

Source link

Most Popular

To Top
What would make this website better?

0 / 400