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शिक्षा में फिर से जान फूँकने के लिए संयुक्त प्रयासों की गुहार

शिक्षा में फिर से जान फूँकने के लिए संयुक्त प्रयासों की गुहार

यह गुहार, संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने, न्यूयॉर्क स्थित यूएन मुख्यालय में, शिक्षा में बदलाव पर आयोजितएक विशेष कार्यक्रम में गुरूवार को लगाई है.

यह कार्यक्रम, इस समय मुख्यालय में जारीउच्च-स्तरीय राजनैतिक मंच (HLPF) के अन्तर्गत आयोजित हुआ था और सितम्बरमें होने वाले आगामी भविष्य – शिखर सम्मेलन की तैयारी का हिस्सा है.

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सभी देशों आहवान किया कि वे एक ऐसा शैक्षणिक वातावरण स्थापित करने के लिए समन्वितप्रयास करें, जिससे सभी को बचपन से वयस्कता तक शिक्षा प्राप्ति का अवसर मुहैया कराए.

महासचिव ने कहा कि हालात और अहमियत को देखें तो दुनिया शिक्षा क्षेत्र में व्यापक बदलाव की ज़रूरत को नज़रअन्दाज़ नहीं कर सकती, मगर दरअसल हम अगर हर नज़रिए से देखें तो, हम बिल्कुल ऐसा ही कर रहे हैं.

वैश्विक चुनौतियाँ

संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि अगर हम 2030 तक शिक्षा में रूपान्तरकारी बदलाव करने के लिए कार्रवाई नहीं करते तो लगभग 8 करोड़ 40 लाख बच्चे स्कूली शिक्षा से वंचित रह जाएंगे.

इसका मतलब है कि शायद ही टिकाऊ विकास लक्ष्य – 4 (SDG4) को शायद ही हासिल कर पाएंगे, जिसका उद्देश्य “सभी के लिए समावेशी और न्यायसंगत गुणवत्ता युक्त शिक्षा सुनिश्चित करना और जीवन पर्यन्तसीखने के अवसरों को बढ़ावा देना” है.

दुनिया भर में कुल देशों का केवल छठा हिस्सा ही, गुणवत्ता युक्त शिक्षा की सार्वभौमिक पहुँच के टिकाऊ विकास लक्ष्य-4 को हासिल करने के रास्ते पर है.

महासचिव गुटेरेश ने कहा, “माध्यमिक शिक्षा पूरी करने की दर बहुत धीमी गति से बढ़ रही है. शिक्षार्थी, एक लगातार बदलती दुनिया में, सफल होने के लिए ज़रूरी कौशल हासिल नहीं कर पा रहे हैं. आरम्भिक बाल शिक्षा और वयस्क शिक्षा को अक्सर स्वैच्छिक विकल्प रूप से देखा जाता है” यानि इन स्तरों की शिक्षा को ज़रूरी नहीं समझा जाता.

उन्होंने कहा कि “यह वास्तव में हैरानी की बात है कि सब-सहारा अफ़्रीका में, लगभग 70 प्रतिशत बच्चे, 10 साल की उम्र तक बिल्कुल आरम्भिक पाठन करने में असमर्थ हैं.”

वित्तीय रोड़े

महासचिव एंतोनियो गुटेरेश नेकहा कि गुणवत्तापूर्णशिक्षा प्रदान में चुनितयोंसे निपटने केलिए पर्याप्त धन की कमी है.

2023 में, यूएन शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन (UNESCO) ने अनुमान लगाया था किविकासशील देशों में SDG4 को प्राप्त करने के लिए, वार्षिक रूप से लगभग 100 अरब अमरीकी डॉलर के निवेश की ज़रूरत है.

अगर शिक्षा के डिजिटल रूपान्तर की लागत को मद्देनज़र रखा जाए,तो यह राशि लगभग 50 प्रतिशत तक बढ़ जाएगी.

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि विश्व भर में हर चार में से दस लोग ऐसे देशों में रहते हैं जहाँ सरकारें, शिक्षा या स्वास्थ्य पर जितना धन ख़र्च करती हैं उससे कहीं अधिक धन ऋण चुकाने पर ख़र्च करती हैं.

उन्होंने कहा कि वर्ष 2022 में हुएशिक्षा परिवर्तनशिखर सम्मेलन में, 140 से अधिक देशों ने इस संकट का मुक़ाबला करने के लिए, प्रतिबद्धता जताई थी.

मगर “प्रगति बहुत धीमी और असमान है. कुछ बदले जानेकी ज़रूरत है.”

ग़रीबी और लैंगिक मुद्दा

संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष डेनिस फ़्राँसिस ने परिवर्तन की आवश्यकता पर महासचिव के बयानों से सहमति जताई.

डेनिस फ़्राँसिस ने दक्षिण सूडान की अपनी हाल की यात्राओं को याद करते हुए कहा कि उन्हें “शिक्षा में गम्भीर निर्धनताके बारे में इस तथ्य से मालूम हुआ कि स्कूली शिक्षा हासिल करने की उम्र वाले कम से कम 70 प्रतिशत बच्चे स्कूल से बाहर हैं.

उन्होंने ध्यान दिलाया कि अफग़ानिस्तान में लड़कियों का शिक्षा के अधिकार से वंचित होना और यूक्रेन व ग़ाज़ा में लगातार हमलों के कारण शिक्षा तक पहुँच में असमर्थता, एक जटिल संकट के स्पष्ट संकेत हैं.

डेनिस फ़्राँसिस ने कहा, “सिर्फ़ शिक्षा तक पहुँच पर बात करने से आगे बढ़कर, हमें सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित करनी होगी. हर व्यक्ति तेज़ी से बदलती दुनिया में आगे बढ़ने के लिए सशक्त बन पाए, ऐसे समावेशी, न्यायसंगत और आजीवन सीखने के अवसरों को बढ़ावा देना होगा.”

उन्होंने कहा, “हमें इन तात्कालिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए निर्णायक उपायकरने के लिए स्पष्ट लक्षित कार्यों के साथ अपनी राजनैतिक इच्छाशक्ति को भी जोड़ना होगा.”

कथनी और करनी में अन्तर को दूर करें

शिक्षा पर विशेष कार्यक्रम में महासचिव गुटेरेश ने, वैश्विक शिक्षा संकट को समाप्त करने के लिए चार सूत्रीय योजना प्रस्तुत की.

उप महासचिव आमिना मोहम्मद ने कहा कि इनमें सभी देशों में वित्तपोषण और पहुँच के अन्तर को कम करना, शिक्षा के अग्रणी मोर्चे पर शिक्षकों का समर्थन करना और शिक्षा प्रणालियों को क्रान्तिकारी बनाना शामिल हैं.

महासचिव गुटेरेश ने गुहार लगाते हुए कहा कि किसी भी देश के लिए, शिक्षा में निवेश करना, सबसे अधिक महत्वपूर्ण है. यह देशों के लोगों मे निवेश और फिर देशों व लोगों के भविष्य में भी निवेश है.

“तो आइए, हम अपनी कथनीपर अमल करना शुरू करें. आइए, हम एक साथ मिलकर वैश्विक शिक्षा संकट को समाप्त करें.”

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