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शारीरिक गतिविधि के अभाव में, 1.8 अरब लोगों पर बीमारियों की चपेट में आने की आशंका

विश्व स्वास्थ्य संगठन का मानना है कि वयस्कों को प्रति सप्ताह 150 मिनट मध्यम-तीव्रता (moderate-intensity), या 75 मिनट उच्च-तीव्रता (vigorous-intensity) वाली शारीरिक गतिविधि या इसके समान शारीरिक रूप से सक्रिय रहना होगा.

शारीरिक सक्रियता ना होने की वजह से वयस्कों के लिए ग़ैर-संचारी बीमारियों, जैसेकि दिल का दौरा और स्ट्रोक, टाइप 2 मधुमेह, मनोभ्रंश, और स्तन व मलाशय कैंसर समेत अन्य बीमारियों की चपेट में आने का जोखिम बढ़ जाता है.

एक अनुमान के अनुसार, वर्ष 2010 और 2022 के दौरान, वयस्कों में शारीरिक निष्क्रियता के मामलों में क़रीब 5 प्रतिशत अंकों की वृद्धि हुई है.

यदि यह प्रवृत्ति जारी रही, तो 2030 तक निष्क्रियता का स्तर बढ़कर 35 प्रतिशत तक पहुँच जाने की सम्भावना है. मौजूदा रुझान बताते हैं कि फ़िलहाल, 2030 तक शारीरिक निष्क्रियता को कम करने का वैश्विक लक्ष्य पहुँच से दूर है.

WHO महानिदेशक डॉ. टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेब्रेयेसस ने कहा कि, “ये निष्कर्ष, कैंसर और हृदय रोग में कमी लाने और शारीरिक गतिविधि में वृद्धि के ज़रिये, मानसिक स्वास्थ्य व कल्याण को बेहतर बनाने के एक खोए हुए अवसर को रेखांकित करते हैं.”

उन्होंने कहा कि इस चिन्ताजनक रुझान को उलटने के लिए शारीरिक गतिविधि का स्तर बढ़ाना और निडर क़दमों को प्राथमिकता देना अहम है.

इस क्रम में, मज़बूत नीतियों को अपनाया जाना और निवेश के स्तर में वृद्धि करना ज़रूरी होगा.

क्षेत्रवार भिन्नताएँ

वयस्कों में शारीरिक निष्क्रियता की सर्वाधिक दर, उच्च-आय वाले एशिया प्रशान्त क्षेत्र (48 प्रतिशत) और दक्षिण एशिया (45 प्रतिशत) में दर्ज की गई है. उच्च-आय वाले पश्चिमी देशों में यह आँकड़ा 28 फ़ीसदी, जबकि ओशनिया क्षेत्र में 14 फ़ीसदी है.

लिंग और आयु के आधार पर पसरी असमानताएँ चिन्ता का विषय बताई गई हैं. यूएन एजेंसी के अनुसार, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में शारीरिक निष्क्रियता का स्तर अधिक है.

महिलाओं के लिए निष्क्रियता की दर 34 फ़ीसदी है, जबकि पुरुषों के लिए 29 प्रतिशत है. मगर, कुछ देशों में दोनों के बीच यह दूरी, 20 प्रतिशत अंकों तक है. इसके अतिरिक्त, 60 वर्ष से अधिक आयु के लोग अन्य वयस्कों की तुलना में कम सक्रिय हैं, जोकि वृद्धजन वयस्कों के लिए शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देने के महत्व को दर्शाता है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन के शोधकर्ताओं द्वारा अकादमिक सहयोगियों के साथ मिलकर तैयार किया गया यह अध्ययन, ’द लैंसेट ग्लोबल हेल्थ जर्नल’ में प्रकाशित हुआ है.

चिन्ताजनक निष्कर्षों के बावजूद, कुछ देशों में कुछ हद तक सुधार आने के संकेत हैं. दुनिया के लगभग 50 फ़ीसदी देशों में पिछले एक दशक में कुछ सुधार दर्ज किए गए हैं. 22 देशों के 2030 तक, शारीरिक निष्क्रियता में 15 प्रतिशत तक की कमी हासिल करने के वैश्विक लक्ष्य तक पहुँचने की सम्भावना हैं.

इस पृष्ठभूमि में, यूएन एजेंसी ने देशों से आग्रह किया गया है कि शारीरिक गतिविधि को बढ़ावा देने के लिए नीति और उसे अमल में लाए जाने की प्रक्रिया को मज़बूती प्रदान करनी होगी. ज़मीनी स्तर पर, समुदायों में खेलकूद और पैदल चलने, साइकिल चलाने व सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने समेत अन्य उपायों की मदद ली जा सकती है.

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