यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश जी20 समूह की शिखर बैठक में हिस्सा लेने के लिए ब्राज़ील के रियो डी जनेरियो शहर पहुँचे हैं, जहाँ उन्होंने रविवार को पत्रकारों को सम्बोधित किया.
उन्होंने ब्राज़ील के लिए रवाना होने से पहले, अज़रबैजान की राजधानी बाकू में कॉप29 जलवायु सम्मेलन के दौरान महत्वाकाँक्षी जलवायु कार्रवाई का अनुरोध किया था.
यूएन प्रमुख ने रियो में पत्रकारों से बातचीत में कहा कि बाकू से ब्राज़ील और उससे इतर भी, वह साझा मुद्दों व चिन्ताओं को देख व सुन रहे हैं. “हमारा यह दौर उथलपुथल भरा है, और हमें तेज़ी से आगे बढ़कर इन बुनियादी साझा चुनौतियों से निपटना है.”
महासचिव गुटेरेश ने जलवायु संकट की भयावहता को रेखांकित करते हुए, 2024 के सर्वाधिक गर्म साल साबित होने की आशंका, ऐमेज़ॉन जंगलों में सूखे और दक्षिणी ब्राज़ील में तबाही लाने वाली बाढ़ का उल्लेख किया.
उन्होंने आगाह किया कि अनेक देश हिंसक टकराव से जूझ रहे हैं, दंडमुक्ति की भावना फैल रही है और अन्तरराष्ट्रीय क़ानून व यूएन चार्टर का बार-बार उल्लंघन हो रहा है. “असमानता बढ़ रही है और निर्धनता व भूख पर प्रगति अवरुद्ध हो गई है. टिकाऊ विकास लक्ष्य पटरी से उतर गए हैं.”
यूएन प्रमुख के अनुसार, नई टैक्नॉलॉजी के विकास में अपार सम्भावनाएँ निहित हैं मगर इनके नकारात्मक पहलुओं से भी निपटा जाना होगा. उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों से निपटने में हमारी असमर्थता के कारण, आम नागरिकों का सरकारों व संस्थाओं में भरोसा दरक रहा है.
इसके मद्देनज़र, उन्होंने सुरक्षा परिषद समेत समस्याओं के समाधान पर केन्द्रित संस्थाओं में समय की आवश्यकताओं के अनुरूप बदलाव करने की पुकार लगाई है.
यूएन प्रमुख ने कहा कि वह अपने एक सरल सन्देश के साथ रियो पहुँचे हैं.
“जी20 नेताओं को अगुवाई करनी होगी. जी20 देशों का विशाल आर्थिक कद है. उनके पास अपार कूटनैतिक शक्ति है. उन्हें इसका इस्तेमाल प्रमुख वैश्विक समस्याओं से निपटने में करना होगा.”
पहला, शान्ति स्थापना
यूएन महासचिव ने क्षोभ जताया कि युद्धों के कारण, आम नागरिकों को एक भयावह क़ीमत चुकानी पड़ रही है और इसलिए आगे बढ़कर शान्ति के लिए प्रयास किए जाने होंगे.
उन्होंने ग़ाज़ा, लेबनान, यूक्रेन और सूडान में हिंसक टकराव पर तुरन्त विराम लगाए जाने का आग्रह किया है. उन्होंने कहा कि ग़ाज़ा में सभी बन्धकों को तत्काल रिहा करना होगा, लेबनान में सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव को लागू करने की दिशा में क़दम उठाए जाने होंगे.
वहीं, यूक्रेन और यूएन चार्टर, प्रस्तावों व अन्तरराष्ट्रीय क़ानून का अनुपालन करना होगा और सूडान में भी भयावह हिंसा का अन्त किया जाना होगा.
दूसरा, वित्त पोषण
महासचिव गुटेरेश ने ध्यान दिलाया कि अनेक कमज़ोर देशों को कठिन हालात व चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. इन समस्याओं के लिए वे ज़िम्मेदार नहीं है, मगर उन्हें मौजूदा अन्तरराष्ट्रीय वित्तीय तंत्र से ज़रूरी समर्थन नहीं मिल पा रहा है, जोकि पुराना, निष्प्रभावी है और न्यायसंगत नहीं है.
इसके मद्देज़र, उन्होंने महत्वाकाँक्षी सुधारों को अपनाए जाने पर बल दिया ताकि मौजूदा दौर की अर्थव्यवस्था और विकासशील देशों की आवश्यकताओं के अनुरूप बदलाव किए जा सकें. इसका उल्लेख, इस वर्ष सितम्बर में न्यूयॉर्क में पारित हुए भविष्य के लिए सहमति-पत्र में भी किया गया है.
उन्होंने कहा कि बहुपक्षीय बैन्कों द्वारा रियायती दरों पर कर्ज़ देने की क्षमता को बढ़ाना होगा, ऋण राहत पर कारगर क़दम उठाने होंगे और सभी देशों को वित्तीय सुरक्षा कवरेज के दायरे में लाना होगा.
तीसरा, जलवायु कार्रवाई
महासचिव ने कहा कि बाकू में कॉप29 सम्मेलन में जलवायु वार्ता पर प्रगति की रफ़्तार से वह चिन्तित हैं. उन्होंने दोहराया कि एक महत्वाकाँक्षी जलवायु वित्त पोषण लक्ष्य पर सहमति बनाई जाने की आवश्यकता है, ताकि विकासशील देशों के समक्ष मौजूद चुनौतियों के अनुसार कार्रवाई की जा सके.
यूएन प्रमुख ने जी20 समूह के देशों से अपनी ज़िम्मेदारी निभाने का अनुरोध करते हुए कहा कि विश्व के सबसे बड़े उत्सर्जकों व अर्थव्यवस्थाओं को उदाहरण पेश करते हुए जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध प्रयासों का नेतृत्व करना होगा.
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन के विनाशकारी नतीजों को टालने के लिए वैश्विक तापमान में वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखना होगा, जिसके लिए वर्ष 2030 तक हर वर्ष उत्सर्जनों में 9 फ़ीसदी की कटौती करनी होगी.
चौथा, टैक्नॉलॉजी
कृत्रिम बुद्धमिता (एआई) जैसी उभरती हुई टैक्नॉलॉजी का लाभ हर देश तक पहुँचाने जाने की ज़रूरत है. इस सिलसिले में, भविष्य की शिखर बैठक के दौरान एक वैश्विक डिजिटल कॉम्पैक्ट पारित किया गया था, जिसमें एआई संचालन व्यवस्था पर एक सार्वभौमिक समझौता हुआ, और हर देश अब प्रक्रिया में शामिल है.
महासचिव के अनुसार, एआई पर एक स्वतंत्र, अन्तरराष्ट्रीय वैज्ञानिक पैनल का गठन किया जाना अहम है, और एआई क्षमता निर्माण के लिए स्वैच्छिक रूप से वित्तीय संसाधन मुहैया कराए जाने भी आवश्यक हैं.
उन्होंने कहा कि जी20 समूह को उदाहरण पेश करते हुए इन प्रयासों की अगुवाई करनी होगी ताकि वैश्विक व्यवस्था में भरोसा बहाल किया जा सके और समृद्ध जगत की दिशा में आगे बढ़ा जा सके.