यह फ़ोरम संयुक्त राष्ट्र मानव आवासीय कार्यक्रम, यानि UN-Habitat द्वारा हर दो वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है. यह पहली बार है जब ये सम्मेलन किसी महानगर में आयोजित किया जा रहा है – 2 करोड़ से अधिक की आबादी वाला मेज़बान शहर काहिरा, विश्व के सबसे बड़े शहरी क्षेत्रों में से एक है.
इसलिए शहरों को अधिक जलवायु सहनसक्षम बनाने, सर्वजन के लिए पर्याप्त आवास सुनिश्चित करने, मज़बूत समुदायों का निर्माण करने, और तेज़ी से हो रहे शहरीकरण से उपजी चुनौतियों से निपटने पर चर्चा के लिए यह एक आदर्श पृष्ठभूमि है.
UN-Habitat की कार्यकारी निदेशक, एनाक्लॉडिया रॉसबाख ने सोमवार को अपनी आरम्भिक टिप्पणी में कहा कि WUF की ओर अधिक संख्या में नए हितधारक आकर्षित हो रहे हैं. यह मंच, सकारात्मक प्रभाव पैदा करने के लिए गठबंधन और साझेदारी बढ़ाने व बनाने के लिए उपयुक्त है.
उन्होंने कहा, “आम लोग व संगठन, हमारे ग्रह के भविष्य को लेकर चिन्तित हैं और उस गम्भीरता को समझते हैं जो हमारे शहरों के विकास के लिए अहम है. रूपान्तरकारी बदलाव लाने के प्रयासों को समर्थन देने के लिए, यह फ़ोरम एक विशाल गठबंधन है.
तीन अरब से अधिक आबादी को प्रभावित करने वाले वैश्विक आवास संकट से निपटने के लिए यह बेहद ज़रूरी है.
“अनौपचारिक बस्तियों और मलिन बस्तियों में बदलाव लाना, और आवासरहित लोगों की कठिनाइयों को सम्बोधित करना बेहद आवश्यक है. इसके लिए, हमें साथ मिलकर काम करना होगा.”
शहर हमारा भविष्य हैं
एनाक्लॉडिया रॉसबाख ने कहा कि WUF12, संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों द्वारा सर्वसम्मति से भविष्य के लिए सहमति-पत्र (Pact for the Future) पारित करने के ठीक बाद आयोजित किया गया है.
इस सहमति पत्र में जलवायु परिवर्तन और बढ़ते हिंसक टकरावों, कृत्रिम बुद्धिमत्ता व बढ़ती असमानताओं समेत 21वीं सदी की सभी चुनौतियों से निपटने के लिए, अधिक प्रयास करने की प्रतिबद्धता जताई गई है.
उन्होंने कहा कि यह समझौता, आवास एवं शहरों पर एक नए एजेंडे के महत्व, स्थानीय व क्षेत्रीय सरकारों की प्रासंगिकता और डिजिटलीकरण तथा प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित चुनौतियों एवं अवसरों की पहचान करता है.
ये सभी मसले, ‘स्मार्ट’ शहरों में रहने वाले लोगों के हितों के लिए किए जा रहे हमारे प्रयासों से जुड़े हैं.
स्थानीय स्तर पर कार्रवाई
इस वर्ष, WUF12 की थीम है: इसकी शुरूआत घर से होती है: टिकाऊ शहरों व समुदायों के लिए स्थानीय स्तर पर कार्रवाई. इसके तहत समाधानों को वहाँ से शुरु करने पर बल दिया गया है, जहाँ लोगों का निवास है, जहाँ उनका कामकाज है और जहाँ वे अपना जीवन गुज़ारते हैं.
संयुक्त राष्ट्र महासचिव, एंतोनियो गुटेरेश ने एक वीडियो सन्देश के ज़रिये फ़ोरम को सम्बोधित करते हुए ध्यान दिलाया कि “वास्तविक प्रगति की शुरूआत स्थानीय स्तर पर होती है. ज़मीन पर. समुदायों और लोगों के जीवन में.”
“मैं संयुक्त राष्ट्र समेत, हर स्तर पर अनगिनत मुद्दों मे स्थानीय एवं क्षेत्रीय अधिकारियों की हिस्सेदारी को महत्वपूर्ण मानता हूँ. वास्तव में, स्थानीय कार्रवाई ही भविष्य के हरित, न्यायसंगत और सहनसक्षम शहरों की नींव है.”
यूएन महासचिव के अनुसार, शहर “सामाजिक व आर्थिक विकास के शक्तिशाली इंजन व स्थाई समाधानों के उत्प्रेरक हैं.” इस क्र में, उन्होंने प्रतिनिधियों से इस फ़ोरम से नवाचारी समाधान व प्रेरणादायी उदाहरण साथ लेकर जाने का आग्रह किया.
शहर हमारे घर हैं
आज, दुनिया की लगभग आधी आबादी शहरों में रहती है. 2050 तक यह संख्या बढ़कर 70 प्रतिशत होने की उम्मीद है. तेज़ी से शहरों का रुख़ करती आबादी का समुदायों, शहरों, अर्थव्यवस्थाओं, जलवायु परिवर्तन एवं नीतियों पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है.
सबसे अधिक वृद्धि अफ़्रीका में होने की उम्मीद है, जहाँ अगले 30 वर्षों में शहरी आबादी के दोगुना होने का अनुमान है.
विश्व बैन्क में शहरीकरण, सहनसक्षमता और भूमि वैश्विक विभाग के निदेशक, मिंग झांग ने यूएन न्यूज़ को बताया कि तेज़ी से हो रहे शहरीकरण में अवसरों के साथ-साथ चुनौतियाँ भी मौजूद हैं. “मेरे हिसाब से यह एक ऐसा आयोजन है जहाँ सभी हितधारक, शहरों और हमारे आवासों में निहित इन्हीं अवसरों और चुनौतियों की पहचान करने यहाँ आते हैं.”
लगभग 182 देशों के 37 हज़ार से अधिक प्रतिभागियों में से एक हैं, मंगोलिया की युवा शोधकर्ता मिश्का. उन्होंने यूएन न्यूज़ के साथ अपनी उम्मीदें साझा करते हुए कहा: “मैं शहरों को बेहतर बनाने के लिए सबके साथ मिलकर अपनी आवाज़ बुलन्द करूँगी. साथ ही, मुझे यह भी जानकारी मिल रही है कि अन्य देश अपने शहरों में किस तरह प्रगति कर रहे हैं.”
उन्होंने कहा, “हम बेहतर जीवन जीने और इस जगह को बेहतर बनाने के लिए साथ आए हैं. और आप में से हर कोई इस सफ़र के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, चाहे आप महिला हों, पुरुष हों, बुज़ुर्ग हों या बच्चे.”
शहरी चुनौतियाँ
उद्घाटन समारोह को सम्बोधित करते हुए, मिस्र के राष्ट्रपति, अब्देल फतह अल-सिसी ने कहा कि फ़ोरम का 12वाँ सत्र एक ऐसे महत्वपूर्ण समय पर हो रहा है जब दुनिया संकटों व युद्धों में फँसी है, जिसका शहरों, उनके बुनियादी ढाँचे और निवासियों पर गम्भीर असर पड़ रहा है.
“हम शहरी विकास से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए यह गम्भीर प्रयास उन समुदायों के साथ शुरु नहीं कर सकते, जो फिलहाल संघर्ष, युद्ध व हत्याओं, विस्थापन, अकाल एवं बीमारियों का सामना कर रहे हैं.”
एनाक्लॉडिया रॉसबाख के अनुसार, WUF12 में महिलाओं और लड़कियों की आवाज़ भी पहले से कहीं अधिक बुलन्द है. सोमवार को हुई शुरूआती सभाओं में से एक में, महिला सशक्तिकरण और लैंगिक समानता की दिशा में काम करने वाले सभी लोगों को एक साथ लाया गया.
इसका उद्देश्य, शहरी स्थानों में महिलाओं के अधिकारों पर बातचीत को आकार देने के लिए एक मंच प्रदान करना था. पाँच सभाओं को लगभग 400 वक्ताओं ने सम्बोधित किया, जिनमें से आधे से अधिक महिलाएँ थीं.