गेहूं, चावल और शुगर जैसे खाद्य पदार्थों पर व्यापार संबंधी कुछ पाबंदियों की वजह से भारत के एग्रीकल्चर एक्सपोर्ट में 4 अरब डॉलर तक की गिरावट हो सकती है। कॉमर्स मिनिस्ट्री और APEDA (एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डिवेलपमेंट अथॉरिटी) ने यह अनुमान पेश किया है। आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-अक्टूबर के दौरान APEDA के एग्रीकल्चरल एक्सपोर्ट बास्केट में 9 पर्सेंट की गिरावट देखने को मिली है। इस दौरान यह आंकड़ा 1398.5 करोड़ डॉलर रहा, जबकि पिछले साल एग्रीकल्चरल एक्सपोर्ट बास्केट 1542.3 करोड़ डॉलर था।
एक्सपोर्ट में गिरावट की मुख्य वजह गेहूं है, जिसके एक्सपोर्ट में 98 पर्सेंट की गिरावट देखने को मिली है। इसके अलावा, मिल वाले प्रोडक्ट्स और गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट में क्रमशः 65 पर्सेंट और 20 पर्सेंट की गिरावट हुई है।
एक्सपोर्ट में गिरावट क्यों?
चावल, गेहूं, चीनी जैसे कृषि उत्पादों की खुदरा कीमतों में तेजी का ट्रेंड है और तेजी को रोकने के लिए सरकार ऐसे कदम उठा रही हैं। चावल की कीमतों में इस साल 11-12 पर्सेंट की बढ़ोतरी हुई है। चावल की कीमतों में बढ़ोतरी को रोकने के लिए सरकार ने जुलाई 2023 में सभी गैर-बासमती सफेद चावल पर रोक लगा दी थी। सरकार ने पक्के चावल के एक्सपोर्ट पर भी 20 पर्सेंट ड्यूटी लगाई है। कॉमर्स मिनिस्ट्री के एडिशनल सेक्रेटरी राजेश अग्रवाल के मुताबिक, इन कदमों से बासमती और पक्के चावल से बेहतर एक्सपोर्ट मूल्य हासिल करने में मदद मिली है।
उन्होंने कहा, ‘कीमतों और वॉल्यूम में बढ़ोतरी की वजह से इन कैटगरी के चावल में हमें तकरीबन 20 पर्सेंट की ग्रोथ देखने को मिल रही है। इससे चावल एक्सपोर्ट के डेफिसिट को कुछ हद तक कम करने में मदद मिलेगी।’ अप्रैल-अक्टूबर में बासमती चावल की बिक्री 16 पर्सेंट बढ़कर 255.4 करोड़ डॉलर से 295.9 करोड़ डॉलर हो गई, जबकि गैर-बासमती चावल के एक्सपोर्ट में 20 पर्सेंट की गिरावट रही।
जहां तक गेहूं का सवाल है, तो मई 2022 से इसके एक्सपोर्ट पर पाबंदी के बावजूद इसकी कीमतों में बढ़ोतरी हो रही है। सरकार ने शुगर के एक्सपोर्ट पर पाबंदी को कायम रखा है, जिसे अक्टूबर 2022 में लागू किया गया था। कच्चे, सफेद, रिफाइंड और ऑर्गेनिक शुगर के एक्सपोर्ट के लिए एक्सपोर्टर्स को फूड मिनिस्ट्री से अनुमति लेनी पड़ती है। एक तरह से कहा जाए, तो शुगर के एक्सपोर्ट पर पूरी तरह से पाबंदी है।