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वैश्विक शिक्षा को मानवता पर केन्द्रित एआई से जोड़ना आवश्यक

वैश्विक शिक्षा को मानवता पर केन्द्रित एआई से जोड़ना आवश्यक

महासचिव ने अपने सन्देश में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) जैसी प्रौद्योगिकियों की प्रगति की दोहरी प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इनमें अभूतपूर्व क्षमताओं के साथ-साथ, कई जोखिम भी मौजूद हैं. 

महासचिव ने कहा, “शिक्षा एक ऐसी निर्माण सामग्री है, जो हर एक व्यक्ति को अपनी पूर्ण क्षमता तक पहुँचने व समाजों एवं अर्थव्यवस्थाओं के आगे बढ़ने व पनपने के लिए बेहद आवश्यक है.  

एआई की सम्भावनाएँ व जोखिम

यूएन महासचिव ने ज़ोर देकर कहा कि एआई व अन्य तकनीकी नवाचार, जानकारी तथा सीखने के आधुनिक उपकरणों तक विस्तृत पहुँच प्रदान करके, छात्रों एवं अध्यापकों के लिए मददगार साबित हो सकते हैं.

लेकिन, उन्होंने आगाह किया, “इन अनगिनत लाभों के साथ-साथ, एआई से कुछ भयानक ख़तरे भी हैं. जैसे-जैसे एआई से संचालित प्रणालियाँ अधिक शक्तिशाली होगीं, मानव ने जिस लाभ के इरादे से उसे बनाया है, यह मशीन उससे अलग तालमेल बैठाते हुए, हानिकारक प्रभाव पैदा कर सकती है.  

इस वर्ष, संयुक्त राष्ट्र की शिक्षा और संस्कृति एजेंसी, यूनेस्को ने, अन्तरराष्ट्रीय शिक्षा दिवस को एआई से जुड़े अवसरों एवं चुनौतियों के लिए समर्पित किया है. 

UNESCO की महानिदेशक, ऑड्रे अज़ूले ने इसके ज़िम्मेदार उपयोग के लिए, शिक्षकों और छात्रों के प्रशिक्षण में अधिक निवेश का आहवान किया.

ऑड्रे अज़ूले ने कहा, “एआई अनगिनत अवसर प्रदान करता है, बशर्ते इसे स्कूलों में  स्पष्ट नैतिक सिद्धान्तों के तहत स्थापित किया जाए. इसकी पूरी क्षमता का लाभ उठाने के लिए, इस तकनीक का सीखने के मानवीय व सामाजिक आयामों से तालमेल बना रहना ज़रूरी है, उसकी जगह लेने के लिए नहीं. 

मानवाधिकारों पर आधारित एआई  

संयुक्त राष्ट्र महासचिन ने कहा कि इस वर्ष यह दिवस हमें यह याद दिलाता है कि एआई की क्षमता का लाभ उठाना, “तेज़ी से बदलती इस प्रौद्योगिकी के केन्द्र में मूल मानवीयता व मानवाधिकारों को रखने पर निर्भर करता है.” 

उन्होंने कहा कि इस बात की गारण्टी ज़रूरी है कि सभी उपयोगकर्तों के पास इस “तकनीक को कुशल, सुरक्षित और नैतिक तरीक़े से इस्तेमाल करने के लिए उचित उपकरण व ज्ञान उपलब्ध हों.”

शिक्षार्थियों एवं शिक्षकों को सीखने में एआई को शामिल करने के लिए यूनेस्को की योग्यता रूपरेखा, और हाल ही में अपनाए गए ग्लोबल डिजिटल कॉम्पैक्ट के ज़रिए यह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी कि एआई के विकास व शासन पर मानवता का नियंत्रण बना रहे. 

अपना सन्देश समाप्त करते हुए, महासचिव गुटेरेश ने “हर स्थान पर, शिक्षा प्रणालियों को मानवता पर केन्द्रित रखने” की प्रतिबद्धता जताने का आहवान किया.

एआई पर विभाजन

जैसे-जैसे एआई शिक्षा से जुड़ती जा रही है, विभिन्न देश उसके उपयोग को लेकर बँटे हुए हैं. यूनेस्को के नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, उच्च-आय वाले देशों में माध्यमिक विद्यालयों के एक तिहाई से अधिक छात्र, अपने स्कूल कार्यों के लिए पहले से ही जेनेरेटिव एआई उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं.

हालाँकि, एक बड़ी चुनौती यह है कि शिक्षा से जुड़े पेशेवरों के पास इसे लेकर कोई स्पष्ट मार्गदर्शन मौजूद नहीं है.

मई 2023 में 450 शैक्षणिक संस्थानों में किए गए एक यूनेस्को सर्वेक्षण से पता चला कि केवल 10 प्रतिशत स्कूलों और विश्वविद्यालयों के पास एआई के उपयोग के लिए आधिकारिक ढाँचा मौजूद है.साथ ही, अनगिनत देश कक्षा में नई तकनीकों के उपयोग पर प्रतिबंध लगा रहे हैं.

यूनेस्को के नए डेटा से संकेत मिलता है कि लगभग 40 प्रतिशत देशों ने स्कूलों में मोबाइल फोन पर प्रतिबंध लगाने वाले क़ानून या नीतियाँ लागू की हैं, जो जुलाई 2023 की 24 प्रतिशत के मुक़ाबले उल्लेखनीय वृद्धि दर्शाता है.

अधिक जानकारी के लिए, शिक्षा के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र की विशेष रैपोर्टेयर, फ़रीदा शहीद के साथ यूएन न्यूज़ की बातचीत सुनें. उन्होंने हाल ही में एक इंटरव्यू में स्कूलों में एआई की भूमिका और चुनौतियों पर चर्चा की थी.

शिक्षा तक पहुँच

यह अन्तरराष्ट्रीय दिवस हमें याद दिलाता है कि उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा तक पहुँच एक मानवाधिकार है, जिससे न केवल व्यक्तियों को असीम लाभ पहुँचता है बल्कि पूरे समुदाय का उत्थान होता है. फिर भी, लिंग, स्थान, सामाजिक पृष्ठभूमि या संघर्ष जैसे विभिन्न कारणों से लाखों बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. 

दशकों की शैक्षणिक प्रगति व अन्तरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के बावजूद, यूनेस्को के नवीनतम आँकड़ों से स्पष्ट होता है कि दुनियाभर में 25 करोड़ बच्चे व युवा, स्कूली शिक्षा से वंचित हैं.

सुरक्षित व समावेशी

हाल के एक अध्ययन में, यूनेस्को ने बताया कि लगभग तीन में से एक शिक्षार्थी पर स्कूली शिक्षा के एक साल के दौरान, कम से कम एक बार शारीरिक हमला हुआ है और दस में से एक को साइबर-बुलिंग से गुज़रना पड़ा है.

दुनियाभर में स्कूलों के भीतर व बाहर इतने अधिक बच्चों हिंसा का अनुभव कर रहे हैं कि इसके परिणाम बेहद घातक हो सकते हैं. इससे ख़ासतौर पर छात्रों के कल्याण, शिक्षा परिणामों व जीवन की गुणवत्ता पर गम्भीर असर पड़ सकता है.  

स्कूलों को अधिक सुरक्षित बनाने के उपायों पर युवजन के विचार जानने के लिए यहाँ क्लिक करें. 

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