विश्व

वैश्विक आर्थिक प्रगति की सुस्त रफ़्तार बने रहने की आशंका, यूएन की नई रिपोर्ट

आर्थिक एवं सामाजिक मामलों के यूएन विभाग (UN DESA) ने गुरूवार को ‘विश्व आर्थिक स्थिति एवं सम्भावनाएँ 2024’ नामक रिपोर्ट प्रकाशित की है. 

रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक व्यापार में कमज़ोरी, उधार लेनी की ऊँची क़ीमतें, सार्वजनिक ऋण में वृद्धि, निवेश का कम स्तर और बढ़ते भूराजनैतिक तनावों से वैश्विक आर्थिक प्रगति पर जोखिम मंडरा रहा है. 

यूएन विशेषज्ञों के अनुसार, वर्ष 2023 में विश्व अर्थव्यवस्था ने आशाओं व अनुमानों से कहीं बेहतर प्रदर्शन किया है, मगर सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में नज़र आई मज़बूती के पीछे, अल्पकालिक जोखिम व ढाँचागत कमज़ोरियाँ छिपी हुई थीं.

नवीनतम रिपोर्ट में निकट भविष्य में आर्थिक परिदृश्य निराशाजनक बने रहने की बात कही गई है. इसकी वजह, ऊँची ब्जाज़ दरें, हिंसक टकरावों के और भड़कने, अन्तरराष्ट्रीय व्यापार में ठहराव और जलवायु आपदाओं के बढ़ने समेत अन्य कारण हैं. 

यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने कहा कि 2024 को इस दलदल से बाहर आने का साल बनाना होगा. 

“विशाल, निडर निवेशों के द्वार खोलकर, हम टिकाऊ विकास और जलवायु कार्रवाई को आगे बढ़ा सकते हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था को सर्वजन के लिए एक मज़बूत, प्रगति पथ पर ले जा सकते हैं.”

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने पिछले साल, टिकाऊ विकास को प्रोत्साहन देने पर केन्द्रित, प्रति वर्ष 500 अरब डॉलर के पैकेज की दिशा में हुई प्रगति को जारी रखने का आग्रह किया है. 

महत्वपूर्ण निष्कर्ष 

मुद्रास्फीति

वैश्विक मुद्रास्फीति में और अधिक गिरावट आने का अनुमान है, और यह 2023 में 5.7 प्रतिशत से गिरकर 2024 में 3.9 प्रतिशत तक पहुँच सकती है. 

हालांकि अनेक देशों में ऊँची क़ीमतों का दबाव बना रहेगा, और भूराजनैतिक टकराव से यह और बढ़ सकता है. क़रीब एक-चौथाई विकासशील देशों में वार्षिक मुद्रास्फीति इस वर्ष 10 प्रतिशत के आँकड़े को पार सकती है. 

जनवरी 2021 के बाद से, विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में उपभोक्ता क़ीमतों में 21.1 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे कोविड-19 के बाद हुई पुनर्बहाली व आर्थिक प्रगति प्रभावित हुई है. 

क्षेत्रीय विषमताएँ

विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, अमेरिका की जीडीपी 2023 में 2.5 प्रतिशत से लुढ़क करके 2024 में 1.4 प्रतिशत पहुँच सकती है. ऊँची ब्याज़ दरों समेत अन्य कारणों से यहाँ उपभोक्ता व्यय में भी कमी आने की सम्भावना है, जोकि अर्थव्यवस्था में एक बड़ा योगदान है.

चीन में घरेलू और अन्तरराष्ट्रीय चुनौतियों के बीच, आर्थिक प्रगति 2023 में 5.3 प्रतिशत से घटकर इस वर्ष 4.7 प्रतिशत तक सीमित रह सकती है.

योरोपीय देशों और जापान को भी ऐसी ही चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जहाँ आर्थिक प्रगति की दर 2024 में 1.2 प्रतिशत तक पहुँच सकती है. 

वहीं, 2024 में भारत में प्रगति 6.2 प्रतिशत रहने की सम्भावना है, जोकि 2023 के लिए 6.3 प्रतिशत के अनुमान से कम है. 

वैश्विक निवेश

रिपोर्ट के अनुसार, विकसित व विकासशील अर्थव्यवस्थाओं में निवेश में मन्दी आई है. विकसित देशों ने सतत और टैक्नॉलॉजी युक्त क्षेत्रों, जैसेकि हरित ऊर्जा व डिजिटल बुनियादी ढाँचा में निवेश को आगे बढ़ाना जारी रखा है.

मगर, विकासशील देशों को पूँजी के देश से बाहर जाने और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में गिरावट समेत अन्य मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है.

इसके मद्देनज़र, वैश्विक निवेश प्रगति के आर्थिक अनिश्चितताओं, कर्ज़ के ऊँचे बोझ और बढ़ती ब्याज़ दरों के कारण निम्न स्तर पर बने रहे की आशंका है.

अन्तरराष्ट्रीय व्यापार

अन्तरराष्ट्रीय व्यापार ने आर्थिक प्रगति को आगे ले जाने में अपनी अहम भूमिका निभाई है, मगर अब यह लड़खड़ा रहा है. वर्ष 2023 में वैश्विक व्यापार में वृद्धि 0.6 प्रतिशत तक लुढ़क गई थी, जो 2024 में उबर कर 2.4 प्रतिशत तक पहुँचने की सम्भावना है. 

रिपोर्ट के अनुसार उपभोक्ता व्यय में बदलाव आ रहा है और यह सामान से हटकर सेवाओं की ओर केन्द्रित हो रहा है. इसके अलावा, भूराजनैतिक तनाव, सप्लाई चेन में व्यवधान और वैश्विक महामारी के झटकों से भी प्रभावित है.

कुछ देशों में संरक्षणवादी नीतियां अपनाए जाने की वजह से व्यापार हालात पर असर हुआ है, जिससे मौजूदा सप्लाई चेन और व्यापार समझौतों की समीक्षा की जा रही है.

अन्तरराष्ट्रीय वित्त पोषण व कर्ज़

विकासशील देशों को विदेशी ऋण के ऊँचे स्तर और बढ़ती ब्याज़ दरों से जूझना पड़ रहा है, जिससे अन्तरराष्ट्रीय पूँजी बाज़ार तक पहुँच मुश्किल साबित हो रही है.

निम्न-आय वाले देशों में विकसित देशों से प्राप्त होने वाली विकास सहायता और प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भी गिरावट दर्ज की गई है.  

ऋण की सततता एक बड़ी चुनौती बनकर उभरी है, विशेष रूप से विकासशील देशों के लिए, जिन्हें कर्ज़ के ऊँचे स्तर और वैश्विक वित्तीय क्षेत्र में बदलती परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है.

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