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विश्व आर्थिक मंच: यूएन प्रमुख ने जलवायु संकल्पों में ढिलाई पर जताया क्षोभ

विश्व आर्थिक मंच: यूएन प्रमुख ने जलवायु संकल्पों में ढिलाई पर जताया क्षोभ

यूएन के शीर्षतम अधिकारी ने स्विट्ज़रलैंड के दावोस में हर वर्ष जनवरी में आयोजित होने वाली इस बैठक के लिए जुटे वरिष्ठ नेताओं, राष्ट्राध्यक्षों, बड़ी कम्पनियो के प्रमुखों के लिए अपने सन्देश में यह बात कही है.

इस वर्ष, आर्थिक मंच की बैठक की थीम है, बुद्धिमतापूर्ण युग के लिए रचनात्मक सहयोग. 

उन्होंने सचेत किया कि फ़िलहाल पारस्परिक सहयोग और बुद्धिमता के साक्ष्य कम ही मिले हैं. मगर, यह स्पष्ट हो रहा है कि दुनिया की समस्याएँ बद से बदतर होती जा रही हैं – हिंसक टकरावों से लेकर असमानता और मानवाधिकारों पर प्रहार तक.

यूएन प्रमुख के अनुसार, अब केवल परमाणु युद्ध ही मानवता के अस्तित्व पर ही ख़तरा नहीं है. जलवायु संकट व बिना किसी नियामन व्यवस्था के कृत्रिम बुद्धिमता (एआई) के इस्तेमाल में विस्तार में भी जोखिम निहित हैं.

जीवाश्म ईंधन की लत

महासचिव गुटेरेश ने कहा कि जीवाश्म ईंधन के इस्तेमाल के लिए बढ़ती लत से कोई बच नहीं पा रहे हैं. 

दुनिया में तेल के सुपर टैंकर के लिए 13 सबसे बड़े बन्दरगाहों पर बढ़ते समुद्री जलस्तर की चुनौती है, जोकि बढ़ते तापमान व जमे हुए जल के पिघलने का नतीजा है. इसकी एक बड़ी वजह कोयला, कच्चा तेल और प्राकृतिक गैस का इस्तेमाल है. 

उन्होंने ध्यान दिलाया कि बड़ी संख्या में वित्तीय संस्थाएं व उद्योग जलवायु संकल्पों से पीछे हट रहे हैं, जोकि स्वार्थ से प्रेरित और स्वयं को ही नुक़सान पहुँचाने वाला है.

एंतोनियो गुटेरेश ने बताया कि इस वर्ष के अन्त में, ब्राज़ील में यूएन का वार्षिक जलवायु सम्मेलन (कॉप30) आयोजित होना है, जहाँ विश्व नेताओं को नई राष्ट्रीय जलवायु कार्रवाई योजनाओं को आकार देना होगा.

उन्होंने कहा कि विकासशील देशों के लिए जलवायु वित्त पोषण में वृद्धि किए जाने की ज़रूरत है, लेकिन सभी व्यवसायों और वित्तीय संस्थाओं को ठोस, और जवाबदेह ढंग से बदलाव की योजनाएँ तैयार करनी होंगी.

एआई में निहित लाभ, जोखिम

महासचिव के अनुसार, दुनिया के अस्तित्व पर अगला बड़ा ख़तरा एआई है, जोकि एक दोधारी तलवार है. इस टैक्नॉलॉजी के ज़रिये सीखने-सिखाने के तौर-तरीक़ों में क्रांति आ रही है, बीमारियों का निदान हो रहा है और किसानों के पास अपनी पैदावार बढ़ाने का अवसर है.

मगर, इसके उपयुक्त नियामन के अभाव में अर्थव्यवस्थाओं में व्यवधान आ सकता है, संस्थाओं में भरोसा दरक सकता है और असमानताएँ गहरी हो सकती हैं.

पिछले वर्ष सितम्बर महीने में, यूएन सदस्य देशों ने भविष्य के लिए सहमति-पत्र को पारित किया था, जिसमें डिजिटल टैक्नॉलॉजी की अपार संभावनाओं को संवारने के लिए एक रोडमैप प्रस्तुत किया गया है.

साथ ही, डिजिटल दरारों को पाटने और एआई का इस्तेमाल मानवता तक लाभ पहुँचाने के लिए एक साझा दृष्टि को अपनाने की अपील की गई है.

संस्थाओं में सुधार

यूएन प्रमुख ने कहा कि मौजूदा चुनौतियों के बावजूद, संयुक्त राष्ट्र यूएन चार्टर की बुनियाद पर शान्ति, अन्तरराष्ट्रीय क़ानून और सम्प्रभुता, राजनैतिक स्वाधीनता व क्षेत्रीय अखंडता के सिद्धान्तों के लिए अपने प्रयासों से कभी पीछे नहीं हटेगा.

उनके अनुसार, मौजूदा वित्तीय तंत्र से लेकर यूएन सुरक्षा परिषद समेत वैश्विक संस्थाओं में सुधार एक आवश्यकता है, चूँकि वे मौजूदा चुनौतियों का सामना करने के लिए पूर्ण रूप से सक्षम नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों पर राजनैतिक इच्छाशक्ति के ज़रिये पार पाया जा सकता है, लेकिन सम्भवत: नेता इसे समझ नहीं पा रहे हैं, जिसके मद्देनज़र, उन्होंने एकजुटता होकर इन समस्याओं से मुक़ाबला करने का आग्रह किया है.

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