क़ानूनी तौर पर बाध्यकारी यह ऐतिहासिक सन्धि, 3 मई 2008 को लागू की गई थी, जो सर्वजन के लिए पूर्ण व समान मानवाधिकारों की रक्षा करने, उन्हें बढ़ावा देने व वादे पूरे करने की दिशा में एक मील का पत्थर मानी जाती है.
11 जून को आरम्भ होने वाले राष्ट्रों के 17वें सम्मेलन – COSP17 से ठीक पहले, प्रस्तुत है कन्वेंशन के बारे में 5 तथ्य और इस कन्वेंशन का विकलांगता के साथ जी रहे 1.3 अरब पुरुष, महिलाओं व बच्चों के जीवन पर क्या असर पड़ रहा है:
1. विश्व को इस कन्वेंशन की ज़रूरत क्यों है?
दुनियाभर में विकलांगजन को, भेदभाव और अपने मूल अधिकारों से इनकार का सामना करना पड़ता है. इसके लिए उनकी व्यक्तिगत अपंगता नहीं, बल्कि सामाजिक बाधाएँ ज़िम्मेदार होती हैं.
इसीलिए यह कन्वेंशन मौजूद है.
यह कन्वेंशन एक मानवाधिकार सन्धि है, जो विश्व को विकलांगता के समावेशन का पाठ सिखाती है.
इसका मक़सद एक ऐसा अनुकूल वातावरण तैयार करना है, जिसमें विकलांगजन, समाज में सच्ची समानता हासिल कर सकें.
2. अधिकारों की रक्षा
इस कन्वेंशन के तहत, विकलांगजन की गरिमा का सम्मान करने, उनकी परेशानियाँ सुनने और उनके जीवन पर असर डालने वाले निर्णयों में, उनकी भागेदारी पर बल दिया गया है. इसमें अभिव्यक्ति व शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य सेवा तथा रोज़गार सम्बन्धी उनके सभी अधिकार शामिल हैं.
इस सन्धि में सभी देशों से उन बाधाओं को दूर करने का आग्रह किया गया है, जिनके कारण विकलांगजन, प्रौद्योगिकी से लेकर राजनीति तक कई क्षेत्रों में पूरी तरह हिस्सा नहीं ले पाते हैं.
इस कन्वेंशन के तहत, भेदभाव व पहुँच जैसी समस्त बाधाओं को दूर करने पर ध्यान दिया जाता है, और इसमें महिलाओं व लड़कियों की समानता का भी आहवान किया गया है. साथ ही, यह सन्धि, दुनियाभर के देशों को विकलांगज के अधिकारों के रास्ते में मौजूद बाधाओं को हटाने के तरीक़े भी सुझाती है.
3. इस सन्धि को किस तरह लागू किया जाता है?
इस कन्वेंशन को लागू करने, इसका सम्मान व कार्यान्वन के कई तरीक़े हैं.
कोई भी व्यक्ति, विकलांगता के अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र समिति के समक्ष, अपने अधिकारों के उल्लंघन की याचिका ला सकते हैं.
सन्धि का मसौदा तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष डॉन मैके ने बताया, “कन्वेंशन के अस्तित्व मात्र से ही विकलांगजन व उनके संगठन, अपनी सरकारों से यह कहने में सक्षम हो गए हैं कि ‘आपने इन दायित्वों को स्वीकार किया है’ और अब वह उन्हें पूरा करने पर ज़ोर दे सकते हैं.”
जिनीवा स्थित 18-सदस्यीय समिति, कन्वेंशन के गम्भीर या व्यवस्थित उल्लंघनों की जाँच व निगरानी करके यह भी सुनिश्चित कर सकती है कि शान्ति, युद्ध व अन्य संकटों के समय में अधिकार ऑनलाइन या ऑफ़लाइन साधनों से ठीक से लागू किया जा रहा है या नहीं.
4. वार्ता में स्थान
प्रगति की कुंजी है, उन लोगों को संवाद के लिए मेज़ पर लाना, जिन्हें इन अधिकारों की आवश्यकता है.
इस वर्ष, ग़ैर-सरकारी संगठनों (NGOs) के सैकड़ों प्रतिनिधि, जून 2024 में आयोजित होने वाले राष्ट्रों के नवीनतम सम्मेलन, COSP17 में भाग लेने के लिए न्यूयॉर्क में एकत्र हो हैं, जो विकलांगता अधिकारों की सबसे बड़ी वैश्विक बैठकों में से एक है.
जब से सन्धि लागू हुई है, संयुक्त राष्ट्र और दुनिया भर के देशों की बैठकों में विकलांगजन के दृष्टिकोण व आवाज़ को सुना जा रहा है.
संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय की बड़ी मेज़ पर अब पहुँच सम्बन्धी सभी आवश्यकताओं को समायोजित किया जाता है, जिसमें व्हीलचेयर का उपयोग, श्रवण लूप का उपयोग, ब्रेल में प्रलेखन, बड़े प्रिंट या सांकेतिक भाषा का उपयोग शामिल है.
5. सुर्ख़ियों में
गायक-गीतकार और संयुक्त राष्ट्र के शान्ति दूत दृष्टिबाधित स्टीवी वंडर जैसी वैश्विक हस्तियों की आवाज़ भी इसमें शामिल है.
दुनिया भर में 30 करोड़ दृष्टिबाधित लोगों के मद्देनज़र, स्टीवी वंडर ने कहा, “किसी के दृष्टिबाधित होने का मतलब यह नहीं है कि वो दुनिया की उन चीजों की तरफ़ भी आँखें मून्द लें, जिन्हें हमें ठीक करने की आवश्यकता है.” “दरअसल हम विभिन्न क्षमताओं वाले अति सक्षम लोग हैं. हमें समावेशन की बेहद ज़रूरत है.
यहाँ देखिए, यूएन वीडियो की कुछ कहानियाँ कि कैसे एक संगीतकार ने ब्रेल को लेकर प्रचलित धारणाओं को चुनौती दी:
अभिनेता डकोटा फैनिंग ने यूएन न्यूज़ को फ़िल्म Please Stand By में ऑटिस्टिक वेंडी की अपनी भूमिका के बारे में बताते हुए कहा, “मुझे लगता है कि ऑटिज़्म के बारे में कुछ विशेष पूर्वाग्रहों के बारे में सुनते रहते हैं, लेकिन ऑटिस्टिक बच्चों के माता-पिताओं या ऑटिज़्म से पीड़ित लोगों से मिलकर मैं बहुत ही जल्दी यह सीख गई कि यह पूर्वाग्रह वास्तव में सच्चाई से बहुत दूर हैं.”
उन्होंने कहा, “इसलिए मुझे लगा कि मैं इन पूर्वाग्रहों को बढ़ावा देना नहीं चाहूँगी और इस चरित्र को मैं उसी तरह निभाउंगी, जिस तरह मैं किसी भी अन्य युवती का किरदार निभाती.”
जन्म से ही डाउन सिंड्रोम से पीड़ित, कैनेडा के कार्यकर्ता, अभिनेता एवं टॉक शो होस्ट, निक हर्ड ने बताया, “मैंने अपने जीवन का एक बड़ा हिस्सा भेदभाव के साथ बिताया है.”
“बचपन में बड़े होते समय, मेरी विकलांगता के कारण मुझे लोगों ने डराया-धमकाया, लेकिन अब मैं अपनी आवाज़ बुलन्द कर सकता हूँ, ताकि उसे अधिक तीव्रता से सुना जा सके. अब विकलांगजन को संवाद में शामिल करने की गुहार लगाने के लिए, मैं संयुक्त राष्ट्र से भी बड़ी किसी इमारत पर या पहाड़ से चिल्लाने की क्षमता रखता हूँ.”
संघर्ष और शान्ति निर्माण में विकलांगजन के लिए पहले संयुक्त राष्ट्र वैश्विक पैरोकार प्रसिद्ध फ़ोटोग्राफर, गाइल्स ड्यूले ने कहा, “युद्ध में, अक्सर विकलांगजन सर्वाधिक पीड़ित होते हैं, उन्हें मानवीय राहत सहायता में समानता से वंचित किया जाता है और शान्ति प्रक्रियाओं से बाहर रखा जाता है.”
“यह समय बदलाव का है, और अगर हम एकजुट होते हैं, तो हमें परिवर्तन लाने की शक्ति व अवसर हासिल होगी.”
वार्ता में कौन शामिल हैं?
विकलांगजन के अधिकारों पर कन्वेंशन, 2006 में हस्ताक्षर के लिए खोली गई थी. इसमें शामिल हैं:
- आज तक, 191 देशों और संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षकों ने इस सन्धि की पुष्टि की है, और 106 ने इसके वैकल्पिक प्रोटोकॉल की पुष्टि की है.
- 2008 में कन्वेंशन के लागू होने के बाद से, संयुक्त राष्ट्र और उसकी एजेंसियों ने इसके प्रावधानों को बढ़ाने की दिशा में काम किया है.
- सतत विकास के लिए 2030 एजेंडा के 17 सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) का लक्ष्य, किसी को भी पीछे नहीं छोड़ना है.
- भविष्य के शिखर सम्मेलन का उद्देश्य, सभी क्षेत्रों में समावेशन के लिए अन्तरराष्ट्रीय सहयोग में दोबारा तालमेल बैठाना है.
- संयुक्त राष्ट्र विकलांगता समावेशन रणनीति की जानकारी यहाँ जी गई है.
- कन्वेंशन और इसके वैकल्पिक प्रोटोकॉल के तहत “देशों का सम्मेलन” ((COSP) की स्थापना की गई, और इसके कार्यान्वयन की निगरानी करने व वर्तमान विषयों एवं रुझानों पर चर्चा के लिए सन्धि पर हस्ताक्षर करने वालों की वार्षिक बैठकें आयोजित की जाती हैं. इस वर्ष 11 से 13 जून 2024 तक संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में चलने वाली COSP17 की बैठकों में, रोज़गार, तक़नीक व मानवीय आपात स्थितियों पर ध्यान केन्द्रित किया है.
- विकलांगजन के अधिकारों पर समिति के बारे में जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें.
- राष्ट्रों के पिछले एवं वर्तमान वार्षिक सम्मेलन (COSP) के बारे में जानने के लिए यहाँ क्लिक करें.